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प्रिंसिपल, अस्पताल, आरोपी, बंगाल पुलिस और ममता सरकार; कोलकाता रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने सबको फटकारा!

CJI DY Chandrachud की अध्यक्षता में Justice JB Pardiwala और Justice Manoj Mishra की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की है. Supreme Court के 10 कड़े कमेंट जान लीजिए.

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कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने की कई बड़ी टिप्पणियां (फोटो:PTI)

कोलकाता के RG Kar Medical College में जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर (Kolkata Doctor Rape Murder) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर 20 अगस्त को सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने CBI से कहा है कि वो 22 अगस्त तक अपनी जांच रिपोर्ट पेश करे. इस बीच बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस के लिए कई तीखी टिप्पणियां की हैं. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कई गंभीर सवाल भी उठाए हैं.

कोर्ट ने क्या निर्देश दिए, ये जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल के प्रिंसिपल, पश्चिम बंगाल पुलिस के काम करने के तरीक़े, देश में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर स्थिति समेत कई मुद्दों पर गंभीर बात की है. हम उन्हीं के बारे में आपको बताएंगे.

1. कोर्ट ने कहा- हमने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने का फ़ैसला इसलिए किया है, क्योंकि ये सिर्फ़ कोलकाता के एक अस्पताल में हुई हत्या से जुड़ा मामला नहीं है. ये पूरे भारत में डॉक्टर्स की सुरक्षा से जुड़े सिस्टमेटिक मुद्दों को उठाता है. हम अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं.

2. CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हमें एक राष्ट्रीय सहमति बनानी चाहिए. काम की सुरक्षित परिस्थितियां बनाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल होना चाहिए. अगर महिलाएं काम की जगह पर नहीं जा सकतीं और सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं, तो हम उन्हें समान अवसर से वंचित कर रहे हैं. हमें जल्दी ही कुछ करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुरक्षा की स्थितियां लागू हों. ये सिर्फ़ भयावह घटना नहीं, बल्कि पूरे भारत में डॉक्टर्स की सुरक्षा की कमियों को उजागर करता है.

3. CJI चंद्रचूड़ का कहना है- कोर्ट देशभर के डॉक्टरों को शामिल करते हुए एक 'राष्ट्रीय टास्क फोर्स' का गठन कर रहा है, जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में अपनाए जाने वाले तौर-तरीक़ों पर सिफारिशें देगा. हालांकि, महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना आदि कई राज्यों ने डॉक्टर्स के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिए राज्य कानून बनाए हैं. लेकिन ये कानून संस्थागत सुरक्षा मानकों की कमियों को दूर नहीं करते हैं.

4. सबसे पहले, सुरक्षा के मामले में हम सरकारी अस्पतालों में युवा डॉक्टरों, ख़ासकर महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की स्थिति के अभाव के बारे में बहुत ही चिंतित हैं. ये लोग काम की प्रकृति और लिंग के कारण ज़्यादा असुरक्षित हैं. देश एक और रेप की घटना का इंतजार नहीं कर सकता. ज़मीनी स्तर पर बदलाव करने होंगे.

5. कोर्ट ने पीड़िता की पहचान उजागर होने पर भी चिंता जताई है. CJI चंद्रचूड़ ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि पीड़िता का नाम, शव की तस्वीरें और वीडियो क्लिप पूरे मीडिया में फैल गईं. CJI चंद्रचूड़ ने कहा - 'ये बहुत ही चिंताजनक है.' हालांकि, इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल राज्य की तरफ़ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही तस्वीरें ले ली गयी थीं और प्रसारित कर दी गयी थीं.

6. कोर्ट ने प्रिंसिपल के रवैये पर भी सवाल उठाया. CJI चंद्रचूड़ ने कहा- 'सुबह-सुबह अपराध का पता चलने के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की. माता-पिता को कुछ घंटों तक शव देखने की अनुमति नहीं दी गई.' हालांकि, सिब्बल ने कहा कि ये ग़लत जानकारी है और राज्य सभी तथ्य रिकॉर्ड पर रखेगा. CJI चंद्रचूड़ ने ये भी पूछा कि आरजी कर अस्पताल से इस्तीफ़ा देने के बाद प्रिंसिपल को दूसरे अस्पताल का प्रभार क्यों दिया गया.

7. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने FIR की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए. CJI चंद्रचूड़ ने कहा- 'शव का पोस्टमॉर्टम दोपहर 1 बजे से शाम 4.45 बजे के बीच किया गया था. शव को अंतिम संस्कार के लिए रात करीब 8.30 बजे माता-पिता को सौंप दिया गया था. हालांकि, FIR रात 11.45 बजे ही दर्ज की गई. ऐसा क्यों हुआ कि अस्पताल में किसी ने FIR दर्ज नहीं की. अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या पोस्टमार्टम से ये पता नहीं चलता कि पीड़िता के साथ रेप किया गया और उसकी हत्या की गई? प्रिंसिपल क्या कर रहे थे?

8. 14 अगस्त को अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से सवाल पूछे. CJI चंद्रचूड़ ने कहा- 'अस्पताल पर भीड़ ने हमला किया! महत्वपूर्ण सुविधाएं क्षतिग्रस्त कर दी गईं. पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस को सबसे पहले घटनास्थल को सुरक्षित करना चाहिए था. हमें ये समझ नहीं आता कि अधिकारी बर्बरता से निपटने में कैसे सक्षम नहीं थे.'

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मसले पर कहा कि 7000 लोगों की भीड़ पुलिस की जानकारी और मिलीभगत के बिना इकट्ठा नहीं होगी. इस मुद्दे की जड़ ये है कि पश्चिम बंगाल पुलिस एक DIG के अधीन काम कर रही है, जो खुद कई आरोपों का सामना कर रहा है. हालांकि, राज्य सरकार के वकील सिब्बल ने इस दलील का खंडन किया.

9. प्रदर्शनकारियों पर हो रही कार्रवाइयों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से ये भी आग्रह किया कि वो शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले तथा मीडिया, सोशल मीडिया में अपनी बात रखने वाले लोगों के ख़िलाफ़ बलपूर्वक कार्रवाई न करे. CJI चंद्रचूड़ ने कहा- 'पश्चिम बंगाल राज्य की शक्ति को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हावी न होने दें. हमें उनके साथ बहुत संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए. यह राष्ट्रीय स्तर पर शुद्धिकरण का क्षण (moment for national catharsis) है.'

इस पर सफाई देते हुए सिब्बल ने कहा कि इस मामले में मीडिया में काफ़ी ग़लत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं और राज्य सरकार सिर्फ़ उन्हीं के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है.

10. आरोपी की प्रकृति पर भी कोर्ट ने टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि वो सिर्फ़ हत्यारा नहीं, बल्कि एक विकृत व्यक्ति है. हर बार बलात्कार और हत्या होने पर देश की अंतरात्मा नहीं जागनी चाहिए.

कोर्ट ने CBI को 22 अगस्त तक जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. साथ ही, पश्चिम बंगाल राज्य को भी तोड़फोड़ की घटनाओं की जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है. भारत के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले को सुनवाई कर रही थी. इससे पहले अस्पताल में हुई तोड़फोड की घटना पर हाई कोर्ट भी पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगा चुका है. हाई कोर्ट ने ही जांच को पश्चिम बंगाल पुलिस से CBI को सौंपी है.

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