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CJI की मौजूदगी में बोले सुप्रीम कोर्ट के जज, 'दूसरों से उम्मीद करने वाले जज खुद हिम्मत दिखाएं'

जस्टिस कौल ने समाज और आम लोगों के बीच कम होती सहिष्णुता पर भी बात की. कहा कि एक समाज के रूप में हमें एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए.

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जस्टिस कौल ने ये सभी बातें अपने रिटायरमेंट के दिन CJI के साथ एक औपचारिक बेंच के कार्यक्रम में कहीं. (फोटो- ट्विटर)

सुप्रीम कोर्ट के जज संजय किशन कौल ने कहा है कि अगर जज लोकतंत्र में अन्य संस्थानों से साहस दिखाने की उम्मीद करते हैं तो उन्हें खुद भी साहसी होना चाहिए (Justice SK Kaul). उन्होंने कहा जजों के पास खुद का समर्थन करने के लिए संवैधानिक संरक्षण होता है. अगर वो साहस नहीं दिखाएंगे तो अन्य संस्थानों के लिए इसका पालन करना मुश्किल होगा.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस कौल ने कहा,

“एक जज की निर्भीकता काफी महत्वपूर्ण है. अगर संवैधानिक संरक्षण के बाद भी हम वो न दिखा सके तो अन्य संस्थानों के लिए कैरेक्टर दिखाना काफी मुश्किल होगा. बार को ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना होगा. ज्यूडिशरी का समर्थन करना होगा और उनकी गलतियों को भी सुधारना होगा.”

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जस्टिस कौल ने समाज और आम लोगों के बीच कम होती सहिष्णुता पर भी बात की. उन्होंने लोगों के बीच समझ और स्वीकृति बढ़ाने की भी पैरवी की. कहा,

“एक समाज के रूप में हमें एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए. इंटरनेशनल लेवल पर सहिष्णुता कम हो गई है. अब समय आ गया है कि मानव प्रजातियां एक-दूसरे के साथ रहना सीखें, ताकि दुनिया रहने के लिए एक बड़ी जगह बन सके.”

जस्टिस कौल ने ये सभी बातें अपने रिटायरमेंट के दिन CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ एक औपचारिक बेंच के कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने ये भी कहा कि कभी भी किसी को अदालती कार्यवाही में खलल डालने की इजाजत उन्होंने नहीं दी है. बोले कि ये बात उनके पोते-पोतियों पर भी लागू होती है.

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2017 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए

श्रीनगर के मूल निवासी जस्टिस कौल का जन्म 26 दिसंबर, 1958 को हुआ था. उन्होंने 1982 में एक वकील के रूप में दाखिला लिया था. तीन मई 2001 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. 2003 में वो हाई कोर्ट के स्थायी जज बने. सितंबर 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस की भूमिका निभाई.

जून 2013 में उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था. इसके बाद 26 जुलाई, 2014 को उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभाला. 17 फरवरी, 2017 को उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था.

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