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कल रात चांद को क्या हुआ? इतना बड़ा और चमकीला क्यों दिखा? पूरी दुनिया से आईं तस्वीरें देखिए

Super Blue Moon एक खगोलीय घटना है. कल जैसा चांद अब 2037 में ही दिखाई देगा.

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दुनिया भर में अलग-अलग तरह का दिखा सुपर ब्लू मून (फोटो सोर्स- AP)

इस साल 30 अगस्त की रात से 31 अगस्त की सुबह के बीच चांद बिल्कुल अलग तरह दिखाई दिया. चांद सामान्य से कहीं बड़ा और चमकीला था. ऐसा तब होता है जब चांद और पृथ्वी दोनों एक-दूसरे के सबसे नजदीक आ जाते हैं. इसे सुपरमून (Supermoon in India) कहते हैं. और जब एक ही महीने में में दूसरा सुपरमून बनता है तो उसे सुपर ब्लू मून (Super Blue Moon) कहते हैं. कल दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सुपर ब्लू मून देखा गया. आपको दिखाएंगे, कहां कैसा चांद दिखा, लेकिन पहले ये समझ लें कि सुपरमून बनता कैसे है.

क्या है सुपरमून?

पूर्णिमा और अमावस्या तो हम जानते ही हैं. पूर्णिमा तब जब चांद, पृथ्वी से पूरा दिखे और अमावस्या (अमावस) तब जब चांद बिल्कुल न दिखे. ऐसे चांद की पृथ्वी से दूरी और उसकी स्थिति के चलते होता है. अब दो चीजें और जान लीजिए- एपोजी (Apogee) और पेरिजी (Perigee). असल में चांद हमारी पृथ्वी के चारों तरफ एक गोलाकार रास्ते में चक्कर नहीं लगाता. इसकी कक्षा इलिप्टिकल यानी अंडाकार है. ऐसे में चांद, पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी वक़्त पृथ्वी से बहुत दूर भी होता है. और किसी वक़्त बहुत नजदीक भी. चांद की कक्षा का वो पॉइंट, जहां से चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, उसे पेरिजी कहते हैं. इस वक़्त चांद की पृथ्वी से दूरी करीब 3 लाख 63 हजार 104 किलोमीटर होती है.

और जब चांद पृथ्वी से सबसे दूर के पॉइंट पर होता है तो उस पॉइंट को एपोजी कहते हैं. एपोजी से पृथ्वी की दूरी लगभग 4 लाख 5 हजार किलोमीटर होती है. पेरिजी और एपोजी के बीच की दूरी होती है करीब 42 हजार किलोमीटर. और एपोजी से पेरिजी के बीच, यात्रा के दौरान चांद कई बार सुपरमून बन जाता है.

कोलकाता के MP Birla Planetarium से जुड़ी ऑफिसर शिल्पी गुप्ता इंडिया टुडे को बताती हैं,

"जब चांद, पृथ्वी से 3 लाख 60 हजार किलोमीटर से कम दूरी पर होता है तो सामान्य चांद से काफी बड़ा दिखता है. इसे सुपरमून कहते हैं. सुपरमून असल में चांद का पूरा फेज़ है."

जब सुपरमून बनता है तो चांद का आकार सामान्य से 14 फीसद तक बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला दिखता है. माने असल में चांद का आकार बढ़ता नहीं, पृथ्वी के क्षितिज (होरिजन) पर ऐसा लगता है कि चांद बड़ा है और पृथ्वी के काफी नजदीक है. 'सुपरमून' एस्ट्रोनॉमी (खगोल विज्ञान) का कोई आधिकारिक शब्द नहीं है. पहली बार, 'सुपरमून' शब्द का इस्तेमाल 1979 में हुआ था.

एक साल में कितने सुपरमून?

आम तौर पर एक साल में 3 या 4 बार सुपरमून दिखते हैं. इस साल का एक सुपरमून 1 अगस्त और 2 अगस्त की दरम्यानी रात को दिखा था. तब ये पृथ्वी से  3 लाख 63 हजार 104 किलोमीटर यानी पेरिजी से कम दूरी पर था. लेकिन कल जो सुपर मून बना वो इससे भी कम दूरी था. इसलिए चांद, और बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखा. एक ही महीने में दूसरी बार जब सुपर मून बनता है तो इसे  सुपर ब्लू मून कहते हैं. ये दुर्लभ घटना होती है. इससे पहले साल 2018 में सुपर ब्लू मून दिखा था. और इसके बाद साल 2037 में अलग सुपरमून दिखेगा.

कहां कैसा दिखा चांदमिशिगन, अमेरिका-
फोटो सोर्स- AP
ब्रिटेन-
फोटो सोर्स- AP
इटली- 
फोटो सोर्स- AP
विस्कॉन्सिन, अमेरिका-
फोटो सोर्स- AP
 ग्रीस-
फोटो सोर्स- AP
 तुर्किए-
फोटो सोर्स- AP
भारत-
फोटो सोर्स- AP
सिनसिनाटी, अमेरिका-
फोटो सोर्स- AP
मैरीलैंड, अमेरिका-
फोटो सोर्स- AP

 

पुर्तगाल
फोटो सोर्स- AP
लेबनान-
फोटो सोर्स- AP
उरुग्वे-
फोटो सोर्स- AP
सुपर ब्लू मून से पृथ्वी पर कोई फर्क पड़ा? 

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, बीती रात का सुपर ब्लू मून, सामान्य पूर्णिमा के चांद से 8 परसेंट बड़ा और 15 परसेंट अधिक चमकीला दिखाई दिया. साथ ही पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण भी कुछ बढ़ गया और चांद के अपने गुरुत्वाकर्षण की वजह से जो ज्वार आते हैं वो भी कुछ हद तक बढ़ा पाया गया. जब सुपर ब्लू मून आया, उसी समय फ्लोरिडा के खाड़ी तट पर इडालिया तूफ़ान एक्टिव था. सुपर ब्लू मून के चलते बढ़े ज्वार के कारण, इस तूफ़ान का प्रभाव भी बढ़ने की आशंका थी. जिससे न केवल  फ्लोरिडा, बल्कि जॉर्जिया और दक्षिण कैरोलिना जैसे राज्यों में भी बाढ़ बढ़ने की आशंका थी. फ्लोरिडा के पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों में 15 फीट तक तूफान बढ़ने का अनुमान लगाया है. 

वीडियो: तारीख: चांद पर छोड़ी इंसान की पॉटी से खुल सकता है एक बड़ा राज़!

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