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सुब्रमण्यम स्वामी ने किस 'दुर्लभ गुण' की वजह से ममता बनर्जी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्रियों से कर डाली?

चर्चा गरम है कि सुब्रमण्यम स्वामी TMC में जाने वाले हैं.

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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली में मुलाकात की. (फोटो-स्वामी और टीएमसी के ट्विटर हैंडल से)
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल होने वाले हैं. ये हम नहीं, ट्विटर यूजर कह रहे हैं. चर्चा गरम है कि सुब्रमण्यम स्वामी जल्दी ही ममता बनर्जी की TMC का हाथ थाम सकते हैं. उन्होंने एक के बाद एक इसके संकेत दिए हैं. बुधवार, 24 नवंबर को स्वामी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी से मुलाक़ात की. इस मुलाक़ात के बाद स्वामी ने ममता बनर्जी की ऐसी तारीफ़ की जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है. अपने ट्विटर हैंडल से सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया,
मैं (आजतक) जिन राजनेताओं से मिला या जिनके साथ काम किया, उनमें ममता बनर्जी का कद जेपी (मतलब जयप्रकाश नारायण), मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव के बराबर है. इन लोगों की कथनी और करनी में फर्क नहीं होता था. भारतीय राजनीति में ये एक दुर्लभ गुण है.
गौर करने वाली बात ये है कि इस ट्वीट में स्वामी ने जिन 5 नेताओं का नाम लिया है, उनमें से 4 तो देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. इससे ना सिर्फ सुब्रमण्यम स्वामी के TMC में जाने के अटकलें तेज हुई हैं, बल्कि इस संभावना को भी बल मिला है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार हो सकती हैं.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख इन दिनों दिल्ली में हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों नेताओं की मुलाकात TMC के जनरल सेक्रेटरी और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के आधिकारिक आवास पर हुई.
सुब्रमण्यम स्वामी अतीत में कई मौकों पर टीएमसी सुप्रीमो की प्रशंसा कर चुके हैं. वहीं केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार हमेशा उनके निशाने पर रही है. स्वामी बार-बार मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं. इस बीच पिछले महीने उन्हें बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया गया. केंद्रीय सत्तारूढ़ दल के इस कदम को उसके खिलाफ स्वामी की तीखी आलोचनाओं से जोड़कर देखा गया.
Subramanian Swamy Meets Mamata Banerjee
ममता बनर्जी और सुब्रमण्यम स्वामी. (तस्वीर- पीटीआई)

ऐसे में जब 24 नवंबर को स्वामी बंगाल की सीएम से मिले तो उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे. वहीं सुब्रमण्यम स्वामी भी इन कयासों से भागते नहीं दिखे. ममता से मुलाकात के बाद टीएमसी में शामिल होने की अटकलों पर स्वामी ने कहा,
मैं पहले ही उनके (ममता) साथ हूं. मुझे पार्टी में शामिल होने की जरूरत नहीं है.
अक्टूबर के महीने में केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी को वैश्विक शांति सम्मेलन में भाग लेने के लिए रोम जाने की अनुमति नहीं दी थी. तब सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी. नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान ममता के पैर में चोट लगने के बाद उन्होंने ममता को अपनी शुभकामनाएं भी दी थीं. इस घटना पर टीएमसी और बीजेपी में खूब जुबानी जंग हुई थी. इस सबसे पहले 2020 में स्वामी ने ममता की राजनीति की आलोचना करने वाले एक ट्वीट का जवाब देते हुए स्वामी ने कहा था,
मेरे अनुसार ममता बनर्जी एक पक्की हिंदू और दुर्गा भक्त हैं. केस बाय केस वे कार्रवाई करेंगी. उनकी राजनीति अलग है.
स्वामी से ममता की मुलाकात के एक दिन पहले टीएमसी ने कांग्रेस के पूर्व नेताओं अशोक तंवर, कीर्ति आजाद और जद (यू) के पूर्व सांसद पवन वर्मा को पार्टी में शामिल किया था. ममता पीएम मोदी से मिलीं वैसे 24 नवंबर को ममता बनर्जी पीएम मोदी से भी मिलीं. उनसे मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा,
मैंने राज्य से जुड़े कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की. मैंने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार के मुद्दे पर भी उनसे बात की और इस फैसले को वापस लेने की मांग की.
इसके अलावा पीएम से मुलाकात में ममता ने राज्य के विकास के विभिन्न मुद्दों के अलावा त्रिपुरा में हिंसा के मामले पर भी चर्चा की.

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