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सलाम! चूहे की हत्या से आहत शख्स ने केस दर्ज कराया, पोस्टमार्टम तक करवा दिया

चूहे को डुबोकर मारने वाले के खिलाफ चलेगा केस.

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बाईं तस्वीर सांकेतिक तस्वीर है. दाएं विकेंद्र के शिकायत पत्र की तस्वीर. (साभार- Unsplash.com और आजतक)

अगर आप किसी सड़क से गुजर रहे हों और आपके सामने कोई मर्डर हो रहा हो, तो आप क्या करेंगे? ज्यादातर लोग आंख बंदकर के वहां से फुर्ती से भाग जाएंगे. क्योंकि हमारे देश के 'अति एक्टिव' पुलिस सिस्टम और न्याय व्यवस्था के भंवरजाल में कोई फंसना नहीं चाहता. लेकिन कुछ लोग होते हैं जो वाकई में जान की परवाह करते हैं. और जान किसी की भी हो, एक चूहे की ही क्यों ना हो, ऐसे लोग परवाह करते हैं. यूपी के बंदायू में एक शख्स इसकी मिसाल है. उसने सड़क पर एक चूहे का भयानक टॉर्चर देखा और व्यथित हो गया. उससे ये सब देखा नहीं गया. फिर वो किया जो शायद आजतक किसी चूहे के लिए किसी ने नहीं किया होगा.

चूहे की निर्मम हत्या का केस दर्ज

कहानी कुछ ऐसी है कि एक सिरफिरा शख्स सड़क किनारे पुलिया पर बैठा था. उसके साथ कुछ बच्चे थे. और उसने एक चूहे को पकड़ा हुआ था. सिरफिरे ने चूहे की पूंछ पर पत्थर बांधा और नाले में डूबो दिया. जब ये सब हो रहा था तब वहीं से गुजर रहे थे विक्रेंद शर्मा. उन्होंने देखा और ऐसा करने से मना किया. विकेंद्र का कहना है कि उस समय चूहा जिंदा था. लेकिन उनके टोकने पर सिरफिरे ने चूहे को नाले में फेंक दिया.

विकेंद्र के चूहे को बचाने की कोशिश यहीं नहीं रुकी. उन्होंने जैसे-तैसे उस चूहे को नाले से निकाला. लेकिन कोशिश का परिणाम दिल दुखाने वाला था. तब तक चूहे की मौत हो चुकी थी. ये देखकर विकेंद्र को काफी गुस्सा आया. उन्होंने आरोपी का नाम पूछा. उसने नाम बताया मनोज कुमार. और कहा कि मैं तो ऐसे ही मारता हूं और मारता रहूंगा, जो करना हो कर लो.

विकेंद्र ने भी वो किया जो उन्हें करना था. पुलिस थाने गए. मृत चूहे को लेकर. और मनोज कुमार के खिलाफ लिखित शिकायत की. उन्होंने कहा कि मैं चूहा कोतवाली में दे रहा हूं इसका पोस्टमार्टम कराने का कष्ट करें. उन्होंने मांग की कि पशु क्रूरता अधिनियम के तहत आरोपी पर कार्रवाई की जाए. 

एक अच्छी बात ये रही कि पुलिस ने भी इस मामले को पूरी गंभीरता से लिया. बदायूं पुलिस ने ट्वीट कर बताया, 

चूहे को पोस्टमार्टम के लिए बदायूं के पशु जिला चिकित्सालय भेजा गया है. उचित कार्रवाई की जाएगी.

पशु क्रूरता नियम

हमारे संविधान में हर नागरिक के लिए कुछ मूल कर्तव्य भी बताए गए हैं. इन्हीं कर्तव्यों में से एक है पशुओं के साथ पशुता ना करना. संविधान के अनुच्छे 51(A) के तहत हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है. 

भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1971 के मुताबिक किसी पशुओं का शिकार करना, करतब देखना, उसकी निर्मम हत्या करना, जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को 3 साल की जेल और ₹10 हजार का आर्थिक दंड देने का प्रावधान है.

साथ ही, भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया या किसी अन्य तरीके से हत्या की, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है. इसके साथ ही आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

वीडियो: पशु क्रूरता कानून का वो बदलवा जिस पर सुप्रीम कोर्ट कसके गुस्साया