रमन राघव. एक नाम जो बम्बई के इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए शामिल रहेगा. 60 के दशक में बम्बई में अपना खौफ़ कायम करने वाला रमन राघव. 3 साल में कुछ 40 के ऊपर मर्डर. किन्हीं भी दो मर्डर के बीच कोई कनेक्शन नहीं सिवाय कातिल के. रमन राघव. सारे मर्डर बिना किसी ख़ास मकसद के. बस यूं ही. अपनी हत्यारी प्यास मिटाने को. इंडिया का 'जैक द रिपर'. रमन राघव.
रमन के सभी विक्टिम गरीब ही थे और ज़्यादातर फ़ुटपाथ वगैरह पर सो रहे होते थे. अक्सर कई लोग झोपड़पट्टी में सोते हुए मारे गए. रमन किसी को नहीं छोड़ता था. आदमी, औरतें और यहां तक कि बच्चे भी. जो भी सामने आ जाये, रमन उसकी कहानी का आखिरी चैप्टर लिख देता था. ये सभी मर्डर बम्बई के उत्तरी सब-अर्बन इलाकों में हुए थे.
सभी खून रात में होते थे. सभी विक्टिम सोते हुए मारे जाते थे. मारने का तरीका वीभत्स और हमेशा एक सा ही होता था - सर पर किसी भारी, नुकीली चीज़ से चोट. उस वक़्त चूंकि रमन पकड़ा नहीं गया था, और एक के बाद एक होते हुए खूनों का सिलसिला नया ही था, इसलिए अफवाह उड़ी कि ये सब कुछ एक सुपरपॉवर का कमाल है. सुपरपॉवर यानी इस दुनिया के बाहर की कोई चीज. वो भी ऐसी-वैसी सुपरपॉवर नहीं, वो जो किसी बिल्ली या तोते का रूप धर लेती है.
रमन के कहर के टाइम पीरियड में हर रात लगभग 2000 और कभी-कभी तो उससे भी ज़्यादा पुलिसवाले रात को पैट्रोलिंग करते थे. शाम होते ही सड़कें खाली होने लगती थीं. रात होते-होते लोग-बाग खुद अपने हाथों में लाठियां और हथियार लेकर सड़कों पर उतर आते थे. इससे हुआ ये कि कई बेगुनाह भिखारी और काम करने वाले बेघर लोग शक के चक्कर में भीड़ का शिकार बन गए. लेकिन रमन राघव कहीं किसी और ही कोने में अपने कांडों को अंजाम देता रहा.
टाइमलाइन के हिसाब से मर्डर दो पार्ट्स में हुए थे. पहला पार्ट था 1965-66 का. जिसमें कुल 19 लोगों पर उसने अटैक किया. इन 19 में 9 लोग मरे. इस दौरान एक दफ़े पुलिस ने रमन को उठाया भी था लेकिन उसके खिलाफ़ कोई भी सुराग नहीं मिला इसलिए उसे छोड़ दिया गया. पुलिस को ये ज़रूर मालूम चला कि उसकी फ़ाइल पहले से ही उनके पास मौजूद थी. रमन एक बार पांच साल जेल में बिता चुका था. उसने अपनी ही बहन का रेप कर उसे कई बार चाकू से घोंप-घोंप कर मार दिया था.
दूसरा पार्ट हुआ 1968 में. इस साल में उसने घूम-घूम कर कत्ल किये. इसी साल 27 अगस्त को उसके अटैक से बचे हुए लोगों के दिए गए डिस्क्रिप्शन के आधार पर बनाये गए स्केच से एक
एलेक्स फिआल्हो नाम के सब इन्स्पेक्टर ने उसे पहचान लिया. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. शुरूआती पूछताछ और इन्वेस्टिगेशन में मालूम चला कि उसके कई नाम थे.
सिन्धी दलवाई, तलवाई, अन्ना, थाम्बी, वेलुस्वामी ये सभी उसके नाम थे.
Ramakant Kulkarni
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रमाकांत कुलकर्णी ने 1965 में शुरू हुए इन सीरियल किलिंग्स को इन्वेस्टिगेट करना शुरू किया था. उस वक़्त पुलिस-प्रशासन में यह भी बात उठी कि रमाकांत कुलकर्णी इस जैसे बड़े और सेंसिटिव केस को लीड करने के लिए ठीक नहीं हैं क्यूंकि उनके पास पर्याप्त एक्सपीरियंस नहीं था. लेकिन
27 अगस्त 1968 को उन्हीं के अंडर रमन राघव को पकड़ा गया. कुलकर्णी 1990 में रिटायर हुए और 2005 में उनकी मौत हो गयी. उनकी किताबों
"Footprints on the Sands of Crimes" और
"Crimes, Criminals and Cops" में रमन राघव से जुड़ी पूरी इन्वेस्टिगेशन के बारे में डीटेल में पढ़ा जा सकता है.
रमन राघव के अतीत के बारे में कोई भी जानकारी हासिल नहीं हो सकी. उस वक़्त की रिपोर्ट्स के हिसाब से रमन राघव एक तमिल ब्राह्मण था. वो लम्बे कद और मजबूत काठी का था. उसकी स्कूली शिक्षा न के बराबर थी और वो बेघर था. कहा जाता है कि उसने अपना बहुत सारा समय पूना के जंगलों में बिताया.
गिरफ्तारी के समय उसके पास से चश्मा, दो कंघियां, एक कैंची, एक अगरबत्ती का स्टैंड, साबुन, लहसुन, चाय की पत्ती और दो काग़ज़ जिनपर गणित के कुछ निशान बने हुए थे, मिले. उसकी शर्ट और खाकी पैंट पर खून के धब्बे मिले. रमन राघव की कातिल के रूप में पहचान उसकी उंगलियों के निशान से हुई.
उसके अपने अपराध कुबूलने की भी एक बड़ी ही अजीब मगर मज़ेदार कहानी है. पहले दो दिनों तक रमन राघव ने पुलिस के सामने कुछ भी नहीं बोला. अचानक ही तीसरे दिन उसने मुंह खोला. उससे जब पूछा गया कि क्या उसे कुछ चाहिए?
"मुर्गा." उसका जवाब था. भर पेट मुर्गा खाने के बाद उससे दोबारा पूछा गया कि क्या उसे कुछ और चाहिए? उसने और चिकन खाने की इच्छा जताई. उसे खिलाया गया.
इसके बाद उसने बोला कि उसे सेक्स करने के लिए एक प्रॉस्टिट्यूट चाहिये. फिर उसने कहा कि चूंकि लॉकअप में उसे ये सब कुछ नहीं मिलेगा इसलिए उसने हेयर ऑइल, कंघी और शीशे की मांग रखी. उसे वो सब कुछ दिया गया.
उसने ये सब कुछ मिलने पर अपने पूरे शरीर पर नारियल का तेल लगाया. तेल लगाते हुए उसने तेल की खुशबू की तारीफ़ की. अपने बालों में कंघी की. और निहारते हुए अपने चेहरे को शीशे में देखा. बन संवरने के बाद अब सवाल पूछने की बारी उसकी थी. उसने पुलिस से पूछा कि वो उससे क्या चाहते हैं? पुलिस ने उससे मर्डर के बारे में जानना चाहा. और फिर वो पुलिस को अपने साथ उन झाड़ियों तक ले गया जहां उसने अपने सभी हथियार छुपा रखे थे. उसके हथियारों में क्रो-बार चाकू और कुछ और औजार शामिल थे.

इसके बाद दिए अपने कन्फेशन में उसने 41 लोगों को मारने की बात कही. हालांकि पुलिस का कहना है कि उसने और भी ज़्यादा लोगों को मारा है.
रमन राघव पर जब अदालत में मुकदमा चला तो बचाव पक्ष के वकील ने उसके मानसिक तौर से विक्षिप्त होने की बात कही. साथ ही कहा कि मर्डर करते वक़्त उसे ये तो मालूम था कि वो क्या कर रहा है लेकिन ये नहीं मालूम था कि उसका अंजाम क्या होगा और ये कि उसके कर्म कानून के खिलाफ़ हैं. इस वजह से उसे पुलिस के डॉक्टर के पास भेजा गया जहां वो लगभग 1 महीने रहा. डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक़ रमन का दिमाग एकदम दुरुस्त था और वो किसी भी तरह से पागल नहीं था. कम से कम डॉक्टरी जांच के आधार पर तो बिलकुल भी नहीं.
रमन को सज़ा-ए-मौत हुई और उसने उसके खिलाफ़ अपील करने से इनकार कर दिया. मुंबई हाई कोर्ट ने सज़ा को कन्फ़र्म करने से पहले मुबई के जनरल सर्जन को कहा कि वो तीन मनोवैज्ञानिकों की टीम बनाएं और ये तय करें कि रमन पागल था या नहीं. साथ ही ये कि अगर उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी तो उस हालत में वो खुद को अदालत में डिफेंड कर सकता है या नहीं.
मनोवैज्ञानिकों की इस टीम ने रमन के पांच इंटरव्यू लिए. ये सभी इंटरव्यू 2-2 घंटे लम्बे थे. इस दौरान जो बातें सामने आईं वो कुछ ऐसी थीं:
1. उसके हिसाब से दो दुनिया थीं. एक - जिसमें कानून रहता था. और दूसरी - जिसमें बाकी सभी.
2. उसे इस बात का विश्वास था कि कुछ लोग उसका सेक्स चेंज करने की हर कोशिश किये जा रहे थे. लेकिन वो सफल नहीं हो पा रहे थे. क्यूंकि वो कानून का प्रतिनिधि था.
3. उसे इस बात का भी विश्वास था कि वो शक्ति का प्रतीक है.
4. उसे ये भी लगता था कि कई सारे लोग उसके रास्ते में होमोसेक्शुएलिटी का लालच देकर उसे होमोसेक्शुअल बनाना चाहते हैं. और अगर वो उनके झांसे में आ गया तो वो औरत बन जायेगा.
5. उसे ऐसा भी लगता था कि होमोसेक्शुअल सेक्स उसे औरत बना देगा.
6. वो पूरी बातचीत के दौरान इस बात पर ज़ोर देता रहा कि वो 100% 'पुरुष' है. उसने बार बार इस बात को दोहराया.
7. उसे इस बात का भरोसा था कि सरकार ने उसे चोरी करने के लिए बम्बई बुलाया और साथ ही उससे गैर-कानूनी काम भी करवाए.
8. उसके हिसाब से देश में तीन सरकारें थीं - अकबर की सरकार, ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस की सरकार. और ये सभी सरकारें उसके खिलाफ़ साज़िश रच रही थीं और क्राइम करने के लिए उसे लालच दे रही थीं.
रमन राघव की सज़ा को कम कर उसे मौत की सज़ा की बजाय आजीवन कारावास की सज़ा दी गयी. ऐसा इसलिए क्यूंकि मनोवैज्ञानिकों ने इसे मानसिक तौर पर बीमार डिक्लेयर कर दिया था. उसे पूने के येरवडा जेल में भेज दिया गया जहां उसका सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड रिसर्च में इलाज चलने लगा. 1995 में राघव की सस्सून हॉस्पिटल में किडनी की बीमारी से मौत हो गयी.