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स्पेस एक्स के 'स्टारशिप' की 9वीं टेस्ट फ्लाइट, कंपनी ने जुटाया महत्वपूर्ण डेटा

Starship Rocket के बूस्टर ने मैक्सिको की खाड़ी में नियंत्रित तरीके से Splashdown किया. इस वजह से लॉन्च टॉवर के Robotic Arms द्वारा महत्वाकांक्षी “कैच” करने के प्रयास को छोड़ दिया गया.

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स्पेसएक्स की 9वीं टेस्ट फ्लाइट (PHOTO-Space X)

स्पेसएक्स (SpaceX) ने 28 मई की सुबह अमेरिका के साउथ टेक्सस स्थित बोका चिका बीच के पास एक रॉकेट की टेस्ट फ्लाइट को अंजाम दिया. स्पेसएक्स की स्टारबेस फैसिलिटी से लॉन्च किए गए स्टारशिप सुपर हेवी (Starship Super Heavy Rocket) रॉकेट की 9वीं टेस्ट फ्लाइट को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. हालांकि यह रॉकेट हिंद महासागर में क्रैश हो गया. लेकिन इस टेस्ट में पहले की गलतियों को सुधार लिया गया था. भारतीय समयानुसार यह मिशन सुबह 5:00 बजे शुरू हुआ. ये लॉन्च स्पेसएक्स की पूरी तरह से दोबारा इस्तेमाल किए जाने (Reusable Rocket) लायक हेवी-लिफ्ट रॉकेट (Heavy Lift Rocket) प्रणाली विकसित करने की राह में मील का पत्थर बताया जा रहा है. ये रॉकेट इंसानों को चांद, मंगल ग्रह और उससे आगे तक ले जाने में भी सक्षम है.

इस मिशन को स्टारशिप फ्लाइट 9 नाम दिया गया. इसमें सुपर हैवी बूस्टर को लगाया गया था. साल 2025 की की शुरुआत में फ्लाइट 7 के बाद ये दूसरी उड़ान थी जिसे शिप 35 नामक यान के साथ जोड़ा गया था. इस मिशन की पिछली कई कोशिशें नाकाम रही थी. स्पेसएक्स के रॉकेट्स बीच उड़ान में ही विफल हो गए थे. कंपनी ने बताया कि इस परीक्षण का उद्देश्य रॉकेट की विश्वसनीयता और प्रदर्शन को दिखाना था.

रॉकेट के बूस्टर ने मैक्सिको की खाड़ी में नियंत्रित तरीके से स्पलैशडाउन (पैराशूट की मदद से नियंत्रित लैंडिंग) किया. स्पलैशडाउन लैंडिंग की वजह से लॉन्च टॉवर के रोबोटिक आर्म्स द्वारा महत्वाकांक्षी 'कैच' करने के प्रयास को टाल दिया गया. रोबोटिक आर्म्स आर्टिफिशियल हाथ जैसे होते हैं. रॉकेट जब दोबारा लैंड करता है, तब ये रोबोटिक आर्म्स उसे सही जगह पर प्लेस होने में मदद करते हैं. हालांकि स्पेसएक्स ने इस कैच को भविष्य के मिशनों के लिए टाल दिया है. अब रोबोटिक आर्म्स द्वारा कैचिंग आगे के मिशंस में की जाएगी.

इस उड़ान में सिस्टम की री-यूज़ करने और मजबूती को सुनिश्चित करने के लिए कई इन-फ़्लाइट्स टेस्ट्स भी किए गए थे. सुपर हैवी बूस्टर पर लगे 33 रैप्टर इंजनों में से 29 को एक्टिवेट रखा गया. मिशन के दौरान स्टेज सेपरेशन (बूस्टर से बाकी हिस्सों का अलग होना) के लिए हॉट-स्टेजिंग मैनुवरिंग को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया. इस सेपरेशन को लॉन्च के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक माना जा रहा है.

सैटेलाइट है चुनौती

स्टारशिप के ऊपरी स्टेज में आठ स्टारलिंक सिम्युलेटर सैटेलाइट्स भी थे. अंतरिक्ष यान का कक्षा से निकलना और वापस से उसमें प्रवेश करने की क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए हिंद महासागर में स्पलैशडाउन किया गया. हालांकि, स्पेसएक्स स्टारलिंक सिम्युलेटर सैटेलाइट्स को सही कक्षा (Orbit) में तैनात करने में विफल रहा. लॉन्च के लगभग 30 मिनट बाद स्टारशिप पर भी नियंत्रण खो दिया. इसके कुछ ही देर बाद स्टारशिप हिंद महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

ये स्टारशिप की नौवीं टेस्ट फ्लाइट थी. 2025 में पहले दो लगातार विफलताओं के बाद ये पहला कामयाब टेस्ट रहा. 28 मई के मिशन को रॉकेट डवलपमेंट के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. स्पेसएक्स ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि हर उड़ान के साथ वो जरूरी डेटा इकट्ठा करता है. इससे आगे के मिशंस में मदद मिलती है.

कीप-आउट जोन

अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने स्टारशिप की अगली उड़ान को मंजूरी देते हुए एक बयान में कहा था कि इस फ्लाइट के दौरान यूनाइटेड किंगडम, तुर्किए और कैकोस द्वीप समूह, बहामास, मैक्सिको और क्यूबा जैसे देशों ने भी सहयोग किया. स्टारशिप अंतरिक्ष के अपने रास्ते पर इन्हीं देशों या उनके पास से उड़ान भरता है. इसलिए इन देशों का सहयोग भी जरूरी था. 

FAA ने स्टारशिप के फ्लाइट पाथ (उड़ान के रास्ते) पर पहले से निर्धारित कीप-आउट ज़ोन, या एयरक्राफ्ट हैज़र्ड एरिया, को 885 समुद्री मील से बढ़ाकर 1,600 समुद्री मील कर दिया. ये इलाका अमेरिका के दक्षिणी टेक्सस तट पर स्पेसएक्स की लॉन्च साइट से पूर्व की ओर बहामास, तुर्क, कैकोस द्वीप समूह सहित फ्लोरिडा के स्ट्रेट से होकर गुजरता है.

एलन मस्क हमेशा कहते हैं कि उनका उद्देश्य इस दशक के अंत में लोगों और कार्गो को चंद्रमा पर भेजने का है. स्टारशिप के जरिए मस्क मंगल ग्रह पर उड़ान भरने में सक्षम, एक बड़े और मल्टीपरपज नेक्स्ट जेनरेशन अंतरिक्ष यान का प्रोडक्शन करना चाहते हैं.

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