बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina की वतन वापसी होगी. उनके बेटे Sajeeb Wazed Joy ने ही ये बात कही है. सजीब ने अपने पिछले दावे से अलग बयान देते हुए कहा है कि शेख हसीना लोकतंत्र बहाल होते ही बांग्लादेश वापस आ जाएंगी. उन्होंने यह भी कहा है कि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि शेख हसीना एक एक्टिव राजनेता के तौर पर लौटेंगी या रिटायर्ड होकर.
"शेख हसीना बांग्लादेश लौटेंगी...", बेटे सजीब जावेद का यूटर्न
Bangladesh की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं Sheikh Hasina ने इस्तीफा दे दिया और इस सप्ताह के शुरुआत में भारत चली आईं. तब उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा था कि अब उनकी मां कभी बांग्लादेश नहीं लौटेंगी.

इससे पहले सजीब ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि शेख हसीना बांग्लादेश वापस नहीं लौटेंगी. अब सजीब ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में कहा,
"हां, यह सच है कि मैंने ऐसा कहा था. पिछले दो दिनों से देश भर में हमारे नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. इन्हें देखकर बहुत कुछ बदल गया है. अब अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जो भी करना होगा हम करेंगे. हम उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे."
सजीब ने आगे कहा,
"अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है, इसलिए हम अपने लोगों से दूर नहीं जा सकते. लोकतंत्र बहाल होने पर वह (शेख हसीना) निश्चित रूप से बांग्लादेश लौट आएंगी."
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सजीब ने अपने और अपनी बहन साइमा वाजेद के राजनीतिक भविष्य के बारे में भी बात की. बोले,
"मैं इस प्रश्न का कोई निश्चित उत्तर नहीं दे सकता. लेकिन बांग्लादेश और अवामी लीग को बचाने के लिए मैं कुछ भी करूंगा. मुजीब परिवार लोगों को मुश्किल में नहीं छोड़ेगा."
बांग्लादेश में हफ्तों से जारी हिंसा और अराजकता के चलते बीती 5 अगस्त को शेख़ हसीना ने पीएम पद से इस्तीफ़ा देकर देश छोड़ दिया था. उसके बाद अंतरिम सरकार के नए प्रमुख के तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस को चुना गया है. वे जल्दी ही अंतरिम सरकार के पीएम के तौर पर शपथ लेंगे.
सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-ज़मान ने बताया कि मोहम्मद यूनुस को खुद राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने इस पद के लिए चुना है. इससे पहले मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार बनाने की बात कही जा रही थी.
84 साल के मोहम्मद यूनुस एक अर्थशास्त्री हैं. उन्हें ग्रामीण बैंक की स्थापना के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. गरीबी से लड़ने के लिए बैंक में आम लोगों को छोटा लोन दिया जाता है.
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