बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना (Sheikh Hasina) ने दावा किया है कि उनकी और उनकी बहन की हत्या की प्लानिंग की गई थी. उनका कहना है कि बीते साल उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के तुरंत बाद ही ये प्लानिंग हुई थी. लेकिन ऐन मौक़े पर हमले से पहले उन्होंने भागकर जान बचा ली. 5 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद शेख हसीना ने अपनी बहन रेहाना के साथ बांग्लादेश छोड़ दिया था. तब से वो भारत में रह रही हैं.
'हम 20-25 मिनट के अंतर से जिंदा बचे... ' शेख हसीना का बड़ा खुलासा, बहुत कुछ बता दिया
Bangladesh की पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina ने पिछले साल देश में हिंसा भड़कने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, वो भारत चली आईं थीं. अब उन्होंने इस पूरे मामले पर कई बड़े खुलासे किए हैं.

अब शेख़ हसीना की पार्टी ‘बांग्लादेश अवामी लीग’ ने फ़ेसबुक पर एक ऑडियो नोट शेयर किया है. इसमें शेख़ हसीना ने अलग-अलग मौक़ों पर उनकी ‘हत्या की साजिशों’ का ज़िक्र किया है. वो कहती हैं,
रेहाना और मैं बच गए, हम मौत से सिर्फ़ 20-25 मिनट के अंतर से बच गए. मुझे लगता है कि 21 अगस्त, 2004 को हुई हत्याओं से बचना, या कोटालीपारा में हुए विशाल बम विस्फोट से बचना, या 5 अगस्त 2024 को बचना, ये सब अल्लाह की इच्छा के चलते हुआ. ये अल्लाह की दया है कि मैं अभी भी ज़िंदा हूं. क्योंकि अल्लाह चाहता है कि मैं कुछ और करूं.
शेख़ हसीना ने भावुक होकर कहा, ‘मैं पीड़ित हूं, मैं अपने देश और अपने घर से वंचित हूं. सब कुछ जल गया है.’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेख़ हसीना की हत्या की कई बार साज़िश की गई थी. 2004 का ढाका ग्रेनेड हमला. ये हमला 21 अगस्त, 2004 को बंगबंधु एवेन्यू पर अवामी लीग की तरफ़ से आयोजित आतंकवाद विरोधी रैली में हुआ था. हमले में 24 लोग मारे गए और 500 से ज़्यादा घायल हो गए थे. तब हसीना को भी कुछ चोटें आई थीं.
कोटालीपारा बम हमला. द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, 21 जुलाई, 2000 को 76 किलो का बम बरामद किया गया था. दो दिन बाद, 40 किलो का बम कोटालीपारा के शेख लुत्फ़र रहमान आइडियल कॉलेज में बरामद किया गया था. यहां अवामी लीग की अध्यक्ष और तत्कालीन विपक्ष की नेता शेख हसीना 22 जुलाई 2000 को रैली को संबोधित करने वाली थीं.
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बताते चलें, पिछले साल अगस्त में शेख हसीना के ख़िलाफ छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था. बताया गया कि इन हिंसक झड़पों में 600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी. कई हफ़्तों तक चले विरोध प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों के बाद उन्हें पीएम के पद से हटा दिया गया था. 76 साल की शेख़ हसीना ने भारत में शरण ली थी. इस घटनाक्रम के बाद बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की स्थापना हुई थी.
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