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बच्चे तनाव में थे तो स्कूल ने मां-बाप के रिपोर्ट कार्ड देखने पर ही बैन लगा दिया

स्कूल ने कहा है कि बच्चों को मार्क्स का प्रेशर फील ना हो इसलिए माता-पिता को एक सत्र के मार्क्स ही नहीं बताए जाएंगे.

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स्कूल ने कहा है कि बच्चों को मार्कस का प्रेशर फील ना हो इसलिए माता-पिता को एक सत्र के मार्कस ही नहीं बताए जाएंगे. (Photo/Unsplash.com)

स्कूल एग्जाम के बाद रिजल्ट आने का डर लगा रहता है. इससे भी बड़ा एक डर होता है. अगर खराब मार्क्स आए और माता-पिता को पता चल गया तो क्या होगा. फ़ोन ले लिया जाएगा. बाहर जाना बंद. टीवी बंद. खेल-कूद बंद. कुलमिलाकर ज़िंदगी में सिर्फ किताबें ही बचेंगी. लेकिन एक स्कूल ने कहा है कि बच्चों को मार्क्स का प्रेशर फील ना हो इसलिए माता-पिता को एक सत्र के मार्क्स ही नहीं बताए जाएंगे.

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ब्रिटिश अखबार theguardian की रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला नीदरलैंड के एक सीनियर सैकेंडरी स्कूल ने लिया है. कई देशों की तरह, नीदरलैंड में भी एक प्रणाली है, जिसके तहत छात्रों को अगले साल आगे की क्लास में जाने के लिए एक औसत ग्रेड लेकर आनी होती है. यह ग्रेड माता-पिता को एक ऐप के जरिए बताई जाती है. मतलब ऐप में दिखाया जाता है कि एग्जाम में आपके बच्चे की कौनसी ग्रेड आई. लेकिन जॉर्डन - मोंटेसरी लिसेयुम उट्रेच स्कूल ने पाया है कि इस ऐप के इस्तेमाल से बच्चों में तनाव बढ़ रहा है.

स्कूल के इकॉनमिक्स के टीचर स्टिजन उइटेनबोगार्ड (Stijn Uittenbogaard) ने स्कूल के 500 स्टूडेंट्स पर अध्ययन किया. और पाया कि जब माता-पिता नियमित रूप से ऐप चेक करते थे, तो बच्चों ने अपने तनाव को पांच में से 2.7 अंक दिए. वहीं जो माता-पिता लगातार जांच नहीं करते थे, उनके बच्चे में तनाव का स्तर 2 पाया गया.

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इसे लेकर स्टिजन ने कहा,

“मेरे विचार से छात्रों पर सफलता पाने का यह दबाव एक मॉर्डन चीज़ है. जब मैं स्कूल में था, तो साल में चार बार रिपोर्ट आती थी, लेकिन उस समय आप अपने माता-पिता को बता सकते थे कि आपको कब और क्या चाहिए. अब माता-पिता को अपने टेलीफोन पर एक पुश नोटिफिकेशन मिल सकता है: 'अरे, आपके बच्चे का नया रिजल्ट आया है,' और बच्चे को एकदम से अपने माता-पिता के साथ बातचीत के लिए तैयार होना पड़ता है. यह भयावह है.”

Stijn Uittenbogaard ने आगे कहा,

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“माता-पिता का छात्रों पर नज़र रखना तनाव का ही कारण बनता है. हमारी शिक्षा प्रणाली में, हम हमेशा कहते हैं: ”आपको गलतियां करने का अधिकार है. इसी तरह आप सीखते हैं."

यह देखते हुए स्कूल ने एक महीने तक इस ऐप पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है. इस फैसले से बच्चे सहमत थे और 95% माता-पिता ने भी हां कहा है. 

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