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सत्यपाल मलिक को कौन सी चीज़ ज़ब्त किए जाने का डर था, जो उन्होंने पहले ही छिपा दी थी?

सत्यपाल मलिक का कहना है कि CBI का छापा 'ग़ैर-ज़रूरी' था क्योंकि जिस मामले की CBI जांच कर रही है, उसकी शिकायत खुद मलिक ने ही की थी.

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सत्यपाल मलिक अस्पताल में भर्ती हैं. (फ़ोटो - एजेंसी)

केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने गुरुवार, 22 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) के घर और दफ़्तर पर छापे मारे थे. सत्यपाल मलिक तब घर पर नहीं थे. पैर में हुए एक संक्रमण के चलते नई दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं. इलाज चल रहा है. अपने बिस्तर से ही उन्होंने मीडिया से बात की. कहा कि CBI के छापे 'ग़ैर-ज़रूरी' थे, क्योंकि जिस मामले की CBI जांच कर रही है - किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट घपला - उसमें मलिक ने ही शिकायत की थी.

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पूर्व-राज्यपाल को चार दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शायद CBI को इस बात की जानकारी नहीं थी.

ये वही किरू मामला है, जिसमें मैंने ख़ुद ही बताया था कि मुझे 150 करोड़ रुपये की रिश्वत पेश की गई थी. लेकिन मैंने फ़ाइल पर साइन करने से इनकार कर दिया था. मैंने जिन दोषियों के नाम लिए थे, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के बजाय CBI शिकायत करने वाले के घर पर ही छापा मार रही है, परेशान कर रही है.

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छापे के बारे में सत्यपाल मलिक ने अपने घर पर काम करने वालों से पूछा, तो उन्हें बताया गया कि CBI कुछ काग़ज़ात ले गई है. किसी कंप्यूटर को ज़ब्त नहीं किया गया. सत्यपाल कहते हैं कि उन्हें इस तरह की कार्रवाई की आशंका पहले से थी, और इसीलिए उन्होंने पहले ही कश्मीर पर अपनी आने वाली किताब का ड्राफ़्ट छिपा दिया था. उन्होंने कहा,

मैंने एक रैली में कश्मीर पर अपनी किताब के बारे में बोल दिया था. वहीं से लोगों को इस बारे में पता चला. तब मुझे लगा कि मैंने जो 200 पन्ने लिखे हैं, उसे घर पर नहीं रखना चाहिए. और आज के छापे ने मुझे सही साबित कर दिया. एक बार चुनाव की घोषणा हो जाए, आचार संहिता लागू हो जाए, तब मैं किताब छपवाने की दिशा में काम करूंगा. कई प्रकाशकों के साथ संपर्क में हूं.

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इस किताब का टाइटल ‘द ट्रूथ अबाउट कश्मीर’ बताया जा रहा है.

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सत्यपाल मलिक के घर पर छापे की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे थे. इस पर मलिक ने अख़बार से कहा कि ये छापे साफ़ तौर पर आगामी आम चुनावों से जुड़े हुए हैं.

सरकार अपने आलोचकों को चुप कराना चाहती है. जिस तरह से मैं पिछले साल से किसान आंदोलन पर उनसे सवाल कर रहा हूं, वो उन्हें पसंद नहीं आया होगा.

सत्यपाल मलिक 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे. तब जम्मू-कश्मीर राज्य था, केंद्र शासित प्रदेश नहीं बना था. उन्होंने ये भी बताया कि 2,200 करोड़ रुपये के किरू प्रोजेक्ट का आख़िरी कॉन्ट्रैक्ट उनके राज्यपाल पद से हटने के बाद साइन किया गया था. अक्टूबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर से हटने के बाद उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया. फिर मेघालय भेजा गया, जहां उन्होंने अगस्त, 2020 से अक्टूबर, 2022 तक राज्यपाल के रूप में कार्य किया. 

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