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UP विधानसभा में लगी अदालत, 6 पुलिसवालों को एक दिन की जेल, 2004 में विधायक की टांग तोड़ी थी

15 सितंबर 2004 को तत्कालीन BJP विधायक सलिल विश्नोई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बिजली की समस्या को लेकर DM को ज्ञापन देने के लिए निकले थे.

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बाएं से दाएं. यूपी विधानसभा में पुलिसवाले और 2004 में तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई के साथ पुलिस की झड़प. (फोटो: आजतक/सोशल मीडिया)

कठघरे में खड़े हुए पुलिस वाले, सब विधायक देख रहे थे, इन पुलिसवालों पर आरोप था. सब एक दूसरे को देख रहे थे. कुछ की नजर नीचे झुकी हुई थी. जनप्रतिनिधि पुलिसवालों को सजा सुना रहे थे. ये मंजर यूपी विधानसभा (UP Assembly) का था. विधानसभा में 58 साल बाद अदालत लगी थी. 6 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई. ये पुलिसवाले विधानसभा में बनी जेल में एक दिन के लिए बंद रहेंगे.

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जिस मामले में ये सजा हुई है, वो साल 2004 का है. दरअसल, साल 2004 के सितंबर महीने में कानपुर से तत्कालीन BJP विधायक सलिल विश्नोई की पुलिसवालों ने टांग तोड़ दी थी. विश्नोई ने इसे विशेषाधिकार का हनन मानते हुए विधानसभा में शिकायत की थी.

वापस आते हैं विधानसभा में हुई इस कार्रवाई पर. यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस मामले पर सभी दलों के नेताओं से उनका पक्ष पूछा. इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी अपनी सफाई में बोलने का मौका दिया गया. जिसके बाद रिटायर्ड IAS अब्दुल समद और दूसरे पुलिसकर्मियों ने सदन से माफी मांगी. कहा कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी. फिर विधानसभा अध्यक्ष ने एक दिन की सजा सुनाई. ये सभी दोषी पुलिसकर्मी तीन मार्च को रात 12 बजे तक विधानसभा में बने जेल में बंद रहेंगे.

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विधानसभा की इस कार्रवाई दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक मौजूद नहीं रहे. नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में मौजूद नहीं थे. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष की तरफ से भी इस प्रस्ताव को समर्थित मान लिया. एक दिन की सजा का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने रखा था.वहीं कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दोषियों के लिए एक दिन की जगह कुछ घंटों की सजा की अपील की थी.

मामला क्या है?

पूरा मामला सितंबर 2004 का है. 15 सितंबर के दिन उस समय के BJP विधायक सलिल विश्नोई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बिजली कटौती की समस्या को लेकर DM को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे. रास्ते में प्रयागनारायण शिवालय के गेट के पास उन्हें CO बाबूपुरवा अब्लुद समद के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने रोक लिया. पुलिसवालों और BJP कार्यकर्ताओं के बीच नोंकझोक हुई. इसके बाद पुलिसवालों ने सलिल विश्नोई सहित BJP कार्यकर्ताओं की पिटाई की. इस पिटाई में सलिल विश्नोई की टांग टूट गई.

इस पूरे वाकये के बाद अगले महीने सलिल विश्नोई ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की. विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया. मामले को विधानसभा की विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया गया. जुलाई, 2005 में विशेषाधिकार समिति ने फैसला सुनाया. समिति ने माना कि विधायक के विशेषाधिकार का हनन हुआ है. समिति ने अब्दुल समद को कारावास की सजा देने की बात कही. हालांकि, कुछ वजहों से इस प्रस्ताव को तब सदन में पेश नहीं किया जा सका.

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