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साक्षी की मौत से कुछ देर पहले ही करंट से गई थी एक और जान, दिल्ली घूमने आया था सोहेल

25 जून की सुबह करीब 5 बजे सोहेल अपने चाचा के घर के पास तैमूर नगर पहुंचा. वहां गली में पानी भरा हुआ था.

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साक्षी की मौत से कुछ देर पहले ही एक और शख्स की करंट से मौत हुई थी (फोटो- ट्विटर)

दिल्ली रेलवे स्टेशन (Delhi Railway Station) के बाहर 25 जून को करंट की चपेट में आने से 34 साल की साक्षी अहूजा की मौत हो गई. खबर है कि उस घटना से कुछ मिनट पहले ही एक और शख्स ने करंट की चपेट में आने से जान गंवाई थी. 17 साल का सोहेल (Sohail) बेंगलुरु का रहने वाला था. छुट्टियों मनाने दिल्ली में रिश्तेदार के घर पर आया था. नहीं जानता था कि पानी से भरी सड़क पर बिजली की खुली तार पड़ी है.

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NDTV से जुड़े मुकेश सिंह सेंगर की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 16 किलो मीटर दूर तैमूर नगर की है. सोहेल 45 दिन की छुट्टी पर साउथ-ईस्ट दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में अपने चाचा के घर पर आया था. वो दिन में चाचा के घर रहता था और रात में सोने के लिए ईस्ट दिल्ली के सीमापुरी में अपने एक दूसरे रिश्तेदार जमाल के घर चला जाता था.

25 जून की सुबह करीब 5 बजे सोहेल अपने चाचा के घर के पास तैमूर नगर पहुंचा. वहां गली में पानी भरा हुआ था. जैसे ही वो गली पार करने के लिए पानी में उतरा तो करंट की चपेट आ गया. आसपास के लोगों ने देखा कि पानी में बिजली का तार है. मामले की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बिजली काटी. सोहेल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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कुछ मिनट बाद साक्षी की मौत

उसी सुबह करीब साढ़े पांच बजे साक्षी आहूजा अपने परिवार के साथ दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची. स्टेशन के आसपास बारिश की वजह से पानी जमा हुआ था. परिवार पार्किंग लॉट पार कर रहा था. इसी वक्त साक्षी ने जमीन पर इकट्ठा पानी से बचकर निकलने के लिए करंट वाले पोल को पकड़ लिया. तभी उन्हें तेज बिजली झटका लगा जिससे उनकी मौत हो गई. 

उत्तर रेलवे के चीफ PRO दीपक कुमार ने बताया कि ये दुर्घटना रेलवे के वर्किंग सिस्टम में कमी के चलते नहीं बल्कि इन्सुलेशन फेलियर की वजह से हुई. 

साक्षी की मौत को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (HNRC) ने 27 जून को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस भेजा. उसमें कहा गया कि सिविक और बिजली अधिकारियों के अलावा भारतीय रेलवे भी स्टेशन पर ऐसी जान को जोखिम में डालने वाली कमियों पर निगरानी रखने में विफल रहा. "लापरवाही" के चलते पीड़िता और उसके परिवार के मानवाधिकारों का "गंभीर उल्लंघन" हुआ है. 

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