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रूस का 47 साल का सपना टूट गया, चंद्रयान-3 को नहीं मिलेगा चांद पर 'दोस्त'

रूसी लुना-25 लैंडर के साथ 19 अगस्त को आखिर क्या हुआ?

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रूस के अंतरिक्ष मिशन को बड़ा झटका (फोटो: इंडिया टुडे)

रूस द्वारा लॉन्च किया गया Luna-25 लैंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया है. यानी 47 साल की तैयारी और बहुत मोटे खर्च के बाद लॉन्च किया गया ये मिशन फेल हो गया. रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) ने इस बात की पुष्टि की है. उसने माना है कि उससे डेटा एनालिसिस में गलती हुई. लैंडर गलत ऑर्बिट में घुस गया था और फिर क्रैश हो गया.

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रॉसकॉसमॉस ने बताया कि 19 अगस्त को रूसी समय के अनुसार लगभग दोपहर 2:57 बजे (भारतीय समयनुसार शाम 5:27 बजे) लूना-25 से संपर्क टूट गया था. एजेंसी ने लगातार संपर्क करने की कोशिश की. 20 अगस्त को भी ये प्रयास जारी रहा. पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला. शुरूआती एनालिसिस में पाया गया है कि हमने जो रास्ता तय किया था, लैंडर उससे इतर चलने लगा और ऐसे ऑर्बिट में घुस गया था, जहां उसे नहीं जाना चाहिए था.

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रॉसकॉसमॉस ने आगे बताया कि लूना-25 चांद की सतह से जा टकराया है. रूसी एजेंसी ने एक अंतर्विभागीय कमीशन का गठन किया है. ये कमीशन लूना-25 से हुए नुकसान की तहकीकात करेगा. रूस ने करीब 47 साल बाद चांद पर कोई मिशन भेजा था. लेकिन उसका पांच दशक पुराना सपना पूरा नहीं हो सका. Luna-25 को लेकर दावा किया जा रहा था कि वह Chandrayaan-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा.

कब लॉन्च किया गया था Luna-25?

Luna-25 को 11 अगस्त की सुबह 4:40 बजे अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था. इसे सोयुज 2.1बी रॉकेट से लॉन्च किया गया था. इस पूरे मिशन का नाम लूना-ग्लोब (Luna-Glob) मिशन रखा गया था. 1976 के लूना-24 मिशन के बाद चांद तक पहुंचने का ये रूस का पहला प्रयास था. लूना-25 चांद तक पहुंचा जरूर, पर क्रैश हो गया.

कुछ ही घंटों में होने वाली थी लैंडिंग

रूस द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के मुताबिक लूना-25 लैंडर को 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर उतरना था. इसका लैंडर चांद की सतह से 18 km दूर से ही लैंडिंग शुरू करता. 15 km के बाद आखिर के 3 km की ऊंचाई से पैसिव डिसेंट शुरू किया जाना था. 700 मीटर ऊंचाई से थ्रस्टर्स तेजी से ऑन होते, जिससे इसकी गति को धीमा किया जाता. आखिरी के 20 मीटर की ऊंचाई पर इंजन को धीमा कर दिया जाता, ताकि लैंडिंग आराम से हो.

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लूना-25 को एक साल की तैयारी के साथ चांद पर भेजा गया था. इसका वजन 1.8 टन था. 31 kg के तो सिर्फ वैज्ञानिक यंत्र लगे थे. एक यंत्र ऐसा भी था जो चांद की सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करता. इससे चांद पर जमे हुए पानी की खोज हो सकती थी. Luna-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर (Boguslavsky Crater) के पास उतरने वाला था.

2 साल देर से हुई थी लॉन्चिंग

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी स्पेस एजेंसी लूना-25 को अक्टूबर 2021 में ही लॉन्च करना चाहती थी. लेकिन इसमें करीब दो साल की देरी हुई. लूना-25 के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) पायलट-डी नेविगेशन कैमरे की टेस्टिंग करना चाहते थे. लेकिन यूक्रेन पर हमला करने की वजह से दोनों स्पेस एजेंसियों ने नाता तोड़ लिया था. लूना मिशन पर रूस ने जापान और भारत से सहयोग मांगा था, पर बात नहीं बन पाई थी.

चंद्रयान-3 की लैंडिंग

बता दें, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तैयारी है. पूरा देश और दुनिया इसका इंतजार कर रही है. ISRO इसे कई प्लेटफॉर्म पर लाइव भी दिखाने वाला है. लाइव टेलीकास्ट 23 अगस्त 2023 की शाम 05:27 बजे से शुरू होगा. आप इसे इसरो की वेबसाइट, इसरो के यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज या फिर डीडी नेशनल टीवी पर देख सकते हैं. इसे लेकर ताजा अपडेट ये है कि 20 अगस्त की सुबह Vikram Lander (चंद्रयान-3 का लैंडर) चांद से सिर्फ 25 km दूर था.

वीडियो: आरवम: चंद्रयान 3 या किसी और सैटेलाइट के श्रीकोटा से ही लॉन्चिंग की दिलचस्प वजह जान लीजिए

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