विपक्षी पार्टियों के बहिष्कार के बीच 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नई संसद की तस्वीर शेयर करते हुए इसकी तुलना ताबूत से कर दी. आरजेडी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ताबूत के साथ नई संसद की तस्वीर शेयर की गई है. इसके साथ लिखा है- ‘ये क्या है?’ आरजेडी ने भी दूसरी विपक्षी पार्टियों की तरह संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया. इन दलों ने मांग की थी कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए.
RJD ने नई संसद की तुलना 'ताबूत' से कर दी, BJP बोली- देशद्रोह का केस हो, ओवैसी ने भी सुना दिया
आरजेडी नेता बोले- लोकतंत्र का ताबूतीकरण किया जा रहा है.

आरजेडी नेताओं ने इस ताबूत वाले पोस्ट का बचाव भी किया है. RJD नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि ट्वीट में ताबूत की तस्वीर इसलिए लगाई है क्योंकि लोकतंत्र का ताबूतीकरण किया जा रहा है. शक्ति सिंह ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा,
"लोकतंत्र का मंदिर (संसद) संवाद की जगह है. और उन जगहों को आप अलग रास्ता दिखाना चाहते हैं. देश उसको स्वीकार नहीं कर रहा है. संविधान और परंपरा दोनों का उल्लंघन है. राष्ट्रपति संसद की सर्वेसर्वा हैं. संविधान का अनुच्छेद-79 इसकी पुष्टि करता है. प्रधानमंत्री से आग्रह है कि लोकतंत्र का ताबूतीकरण ना करें."
वहीं संसद में ‘सेंगोल’ स्थापित करने को आरजेडी ने 'राजशाही' से जोड़ा है. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने ट्वीट किया,
"लोकशाही से राजशाही तक इस विशाल देश को ले जाने का मेरा सपना आज पूरा हुआ...कुछ ऐसी ही भावनाओं से ओतप्रोत होंगे हमारे PM सर. जय हिंद."

आरजेडी के इस ट्वीट पर विरोध जताते हुए बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज होना चाहिए. क्या आरजेडी ने यह तय कर लिया है कि उनके सदस्य स्थायी रूप से बहिष्कार करेंगे? सुशील मोदी ने ANI से कहा,
“इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है. उनको इतनी भी बुद्धि नहीं है...नया संसद भवन जो बना है वो जनता के पैसों से बना है. उसमें सभी दलों के लोग बैठेंगे. संसद की तुलना ताबूत से कर रहे हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ तो देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. जिनको इतनी भी समझ नहीं है कि देश की नई संसद और ताबूत का चित्र, इससे ज्यादा लोकतंत्र का अपमान नहीं हो सकता है.”
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी आरजेडी के इस ट्वीट की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि आरजेडी वाले ‘कुछ और बोल’ सकते थे. कभी अपने आपको धर्मनिरपेक्ष बोलते हैं, कभी बीजेपी का साथ छोड़ने वाले नीतीश कुमार से हाथ मिला लेते हैं. उनका छोड़िये, वे कुछ भी बोलते रहते हैं.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने संसद परिसर में हिंदू रीति-रिवाजों के हिसाब से आयोजित पूजा और हवन में भी हिस्सा लिया. मोदी संसद के उद्घाटन मौके पर भाषण भी देने वाले हैं.
इस कार्यक्रम का करीब 20 राजनीतिक दलों ने विरोध किया. 24 मई को कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था. इसमें मांग की गई थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाना चाहिए. बयान में कहा गया था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है.
वीडियो: नेतानगरी: नई संसद के उद्घाटन पर बहस, वरिष्ठ पत्रकार भिड़े तो पुराने किस्से सामने आए