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पाकिस्तान से लड़ते हुए पति शहीद हुए थे, रसूलन बीबी ने दो बेटों को सेना में भेज दिया था

शहीद परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी, जिनका 95 साल की उम्र में निधन हो गया.

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रसूलन बीबी (बाएं) शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी थीं. 2 अगस्त, 2019 को 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
8 सितंबर, 1965. पाकिस्तान के पहले आर्म्ड डिवीजन ने अपने 200 अमेरिकन टैंकों के साथ भारत के पंजाब पर आक्रमण कर दिया. पाकिस्तानी सैनिक बॉर्डर से सटे तरनतारन जिले के खेमकरण को कब्ज़ा करते हुए आगे बढ़ने लगे. भारतीय फौजों को इसका जवाब देना था. लेकिन भारतीय फौजों के पास उस वक्त इतने टैंक और हथियार नहीं थे कि वो पाकिस्तान का मुकाबला कर सकें. लेकिन टैंकों को रोकना था. भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी टैंकों को रोकने के लिए गन्ने के खेतों में पानी भर दिया. पाकिस्तान के टैंक महमूदपुरा में फंस गए. अब मौका भारतीय फौज के पास था. उसने हमला किया. और ऐसा हमला किया कि पाकिस्तान के टैंकों का काफिला कब्रिस्तान में तब्दील हो गया.
अब्दुल हमीद के नाम पर जारी डाक टिकट.
अब्दुल हमीद के नाम पर जारी डाक टिकट.

पाकिस्तान फौज के साथ हुए इस मुकाबले के नायक थे वीर अब्दुल हमीद, जो इस लड़ाई के दौरान शहीद हो गए. उन्होंने बंदूक से लदी अपनी जीपों से पैटन टैंकों पर हमला करना शुरू किया था. उनकी देखा देखी और भी जवानों ने ऐसा ही किया और फिर भारतीय फौजें पाकिस्तानी टैंकों का मुकाबला करने में कामयाब रहीं. अब्दुल हमीद ने अकेले पाकिस्तान के सात टैंकों को मार गिराया था. लेकिन भागते हुए पाकिस्तानी फौजों का पीछा करते हुए पाकिस्तानी टैंक का एक गोला अब्दुल हमीद की जीप पर भी गिरा और वो गंभीर रूप से घायल हो गए. वो तारीख थी 9 सितंबर, 1965.
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तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी.

भारतीय फौज की तरफ से 10 सितंबर, 1965 को वीर अब्दुल हमीद की शहादत की घोषणा की गई. उनकी शहादत ने सेना का मान बढ़ाया, लेकिन उस दिन एक परिवार भी उजड़ गया था. रसूलन बीबी का परिवार, जो अब्दुल हमीद की पत्नी थीं. 10 सितंबर, 1965 के बाद वो अब्दुल हमीद की बेवा हो गईं. चार बेटे और एक बेटी के पिता और उनके पति अब्दुल हमीद शहीद हो चुके थे. रसूलन बीबी ने अपने बच्चों की परवरिश की, उन्हें पढ़ाया-लिखाया. दो बच्चों जैनुल और तलत को सेना में भेजा और खुद सेना की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शरीक होती रहीं. अब्दुल हमीद की शहादत के 50 साल पूरे होने पर 2015 में गोल्डन जुबली कार्यक्रम हुआ था. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने रसूलन बीबी को सम्मानित किया था. कहा था कि वो गाज़ीपुर में वीर अब्दुल हमीद के गांव धामूपुर में आकर उस धरती को नमन करना चाहते थे.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी.

हो सकता है कि भविष्य में प्रधानमंत्री मोदी वीर अब्दुल हमीद की धरती को नमन करने जाएं, लेकिन वहां उन्हें रसूलन बीबी नहीं मिलेंगी. क्योंकि अब वो नहीं हैं. 2 अगस्त, 2019 को उनका निधन हो गया. धामूपुर में ही उन्होंने अंतिम सांस ली. घरवालों ने बताया कि रसूलन बीबी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं. उम्र भी 95 साल की हो गई थी. घरवाले उन्हें इलाज के लिए बनारस लेकर जाना चाहते थे, लेकिन वो नहीं गईं. अपने घर ही रहीं और फिर चली गईं. बहुत दूर. लेकिन जाने से पहले उन्होंने शहीद अब्दुल हमीद की कहानी को जिंदा रखा. गांव में स्मारक बनवाया. हर साल 10 सितंबर को कार्यक्रम आयोजित करवाती रहीं.
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जनरल विपिन रावत शहीद अब्दुल हमीद के गांव गए थे और रसूलन बीबी के पैर छुए थे.

2017 में जब जनरल विपिन रावत थल सेनाध्यक्ष बने, तो वो भी अपनी पत्नी मधुलिका रावत के साथ धामूपुर गांव में पहुंचे. रसूलन बीबी के पैर छुए और शहीद को श्रद्धांजलि दी. रसूलन बीबी ने उनसे कुछ मांगें भी रखी थीं. मसलन गाज़ीपुर को सेना भर्ती में तवज्जो देने की मांग, वीर अब्दुल हमीद की आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग, दुल्लहपुर स्टेशन से दिल्ली तक अब्दुल हमीद एक्सप्रेस चलाने की मांग, दुल्लहपुर स्टेशन का नाम अब्दुल हमीद स्टेशन रखने की मांग. लेकिन उनकी ये हसरतें पूरी नहीं हो सकीं. उनके ये अरमान दिल में ही रह गए और वो चली गईं.