मगर ये मत सोचिए कि यहां गंदगी नहीं फैलाई गई. यहां भी काफी नीचता दिखाई गई है. एक मोहतरमा हैं- रजिया बानो. इनके एक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसे पढ़कर हिंदू आग-बबूला हो रहे हैं. वैसे इस पोस्ट पर नाराज होने के लिए आपको हिंदू होने की कतई जरूरत नहीं. आपका इंसान होना ही काफी है. इस पोस्ट पर बड़ी उग्र प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. रजिया बानो की वजह से लोग मुसलमानों को गालियां दे रहे हैं. ऑल्ट न्यूज ने इसपर एक डिटेल रिपोर्ट की है. हम भी आपको बता रहे हैं. कि ये पूरा मामला क्या है.

तस्वीर में दिख रहा युवक मंदसौर रेप केस का आरोपी इरफान है. उसके अलावा पुलिस ने आसिफ नाम के एक युवक को भी गिरफ्तार किया है. इरफान ने ही पुलिस को बताया था कि आसिफ इस क्राइम में उसका साथी था.
क्या है ये वायरल पोस्ट? पोस्ट में दो तस्वीरों का एक कोलाज है. बाईं तरफ एक नौजवान. दाहिनी तरफ एक सीसीटीवी फुटेज का फ्रेम. इस फ्रेम में आगे-आगे एक युवक चल रहा है. उसके पीछे एक बच्ची है, जिसके कंधे पर स्कूल का बस्ता टंगा है. इन दोनों तस्वीरों के बीच में, दायें से बायें की ओर लाल रंग का एक तीर बना है. ये दिखाने के लिए कि दोनों तस्वीरों में नजर आ रहा युवक एक ही है. ये युवक असल में मंदसौर रेप केस का आरोपी है. इसका नाम है इरफान. फोटो के साथ रजिया बानो ने एक मेसेज लिखा है. इसके शब्द हैं-
हिंदुस्तान का शेर जिसने आ... का बदला ले लिया.इस पोस्ट में रजिया बानो ने इरफान की वाहवाही की है. उसे 'हिंदुस्तान का शेर' बताते हुए लिखा है कि उसने कठुआ केस में शिकार हुई बच्ची का बदला ले लिया.

इस पोस्ट पर वैसी ही प्रतिक्रियाएं आईं, जिसकी उम्मीद में लिखने वाले ने ये कूड़ा पोस्ट लिखी होगी.

रजिया का पोस्ट बहुत घिनौना था. पढ़ने वालों को क्या दिखा? कि एक मुस्लिम लड़की एक सात साल की बच्ची के साथ हुई हैवानियत का जश्न मना रही है. क्यों? क्योंकि बच्ची हिंदू है और उसका बलात्कार करने वाला मुसलमान.

रजिया बानो की इस पोस्ट के जबाव में कई सारे लोग मुसलमानों को कलेक्टिवली गालियां देने लगे. उनके लिखने का भाव ये था मानो एक रजिया बानो की पोस्ट से सारे मुसलमानों की मानसिकता का पता चलता है.
इस पोस्ट पर कैसी प्रतिक्रिया हुई? रजिया की ये पोस्ट भड़काऊ साबित हुई. लोग दुखी हुए. जो कट्टर हिंदू थे, भड़क गए. रजिया के बहाने लोग मुसलमानों को कलेक्टिव रूप से गरियाने लगे. हिंदुत्व का अजेंडा चलाने वालों के लिए ये पोस्ट एक मौका साबित हुई. वो ये साबित करने में जुट गए कि मुसलमान कितने दरिंदे, कितने वहशी होते हैं. कि वो एक बच्ची के साथ हुए अपराध की खुशी मना रहे हैं. कठुआ केस में तमीजदार लोगों को एक बड़ी शिकायत ये थी कि कई हिंदुओं ने हिंदू आरोपियों का समर्थन किया था. रजिया के फेसबुक पोस्ट के बहाने लोग लिखने लगे कि देखो, मुसलमान भी ऐसा ही कर रहे हैं. मुसलमान बलात्कारी का पीठ ठोक रहे हैं. रजिया की पोस्ट शेयर करते हुए लोगों ने ये भी लिखा कि देखो, मुसलमानों ने अपने दिल में हिंदुओं के लिए कितनी नफरत पाली हुई है. चूंकि इस एक पोस्ट के कारण सोशल मीडिया पर इतना माहौल खराब हुआ, तो ये जरूरी है कि हम इस रजिया बानो का ब्योरा खोजें.

आप गौर से अगर इस प्रोफाइल में दी गई डिटेल्स पढ़ें, कई सारी चीजें साफ हो जाएंगी.
रजिया के फेसबुक अकाउंट ने क्या चुगली की? हम सब अपनी फेसबुक प्रोफाइल में कुछ डिटेल्स भरते हैं. मसलन, हम कहां के रहने वाले हैं. कहां पढ़े हैं. कहां नौकरी करते हैं. वगैरह वगैरह. इन मोहतरमा के मुताबिक, ये पाकिस्तान के कराची शहर की रहने वाली हैं. लिखा है कि वो कराची ग्रैमर स्कूल से पढ़ी हैं. हमने इस स्कूल के बारे में पढ़ा. काफी अच्छा स्कूल है. अच्छे पढ़े-लिखे बच्चे निकलते हैं यहां से पढ़कर. इतने अच्छे स्कूल से पढ़कर भी रजिया बानो को Wait की स्पेलिंग नहीं आई. हमने उनकी एक पोस्ट में देखा. उन्होंने Wait को Wet लिखा हुआ था. खैर. आगे बढ़ते हैं. ये महिला 'आर लेडी ऑफ फातिमा यूनिवर्सिटी' यानी OLFU में 'फैकल्डेड' हैं.

ये OLFU का होम पेज है. पांच जगहों पर कैंपस हैं इसके. फिलिपीन्स की प्राइवेट यूनिवर्सिटी है ये. इसका कोई कैंपस कराची में नहीं है मगर.
मेडिकल कॉलेज से कुछ और ही पढ़कर निकली हैं ये फैकल्डेड पुर्तगाली भाषा का शब्द है. मतलब, रजिया बानो यूनिवर्सिटी की फैकल्टी में शामिल हैं. स्टूडेंट्स को पढ़ाती हैं. एक तरफ रजिया ने लिखा है कि वो इस यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. दूसरी तरफ उन्होंने ये भी लिखा है कि वो पाकिस्तान के कराची शहर में रहती हैं. अगर ऐसा है, तो OLFU कराची में होना भी चाहिए. हमने गूगल पर सर्च किया. पता लगा कि ये फिलिपीन्स की यूनिवर्सिटी है. 1967 में बना था ये. पहले इसका नाम था- फातिमा मेडिकल साइंस फाउंडेशन. ये एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है, जहां मेडिकल की पढ़ाई होती है. इसके पांच जगहों पर कैंपस हैं, मगर इनमें से कोई भी पाकिस्तान में नहीं है. वहीं फिलिपीन्स में हैं सारे कैंपस. अब एक मजे की बात सुनिए. रजिया बानो जिस मेडिकल यूनिवर्सिटी से पढ़कर वहां स्टूडेंट्स को पढ़ाने का दावा करती हैं, वहां से उन्होंने खुद कौन सी पढ़ाई की है? मेडिकल? नहीं. उन्होंने पढ़ा है फैशन आर्ट. है न मजेदार बात. जो कोर्स यहां पढ़ाया नहीं जाता, वो पढ़ लिया रजिया ने.
Murray died on a night in the heart of secrets اُترو like get out of hand, knock some dayपता नहीं, लिखने वाले ने क्या लिखने की कोशिश की थी. मरे नाम से लगता है कि शायद टेनिस खिलाड़ी एंडी मरे पर कुछ लिखने का ट्राय किया होगा. इस ट्वीट के साथ एक फोटो है. वही फोटो, जो रजिया बानो की प्रोफाइल पिक है. इस तस्वीर पर राइट क्लिक करके 'सर्च इमेज फॉर गूगल' पर क्लिक कीजिए. गूगल आपको कुछ लिंक्स दिखाएगा. वो सब, जहां इस फोटो का इस्तेमाल हुआ है. हम आपको स्क्रीनशॉट्स दिखाते हैं.

आप रजिया बानो की प्रोफाइल पिक को गूगल पर रिवर्स सर्च कीजिए. आपको दो पेज मिलेंगे. इनके ऊपर कई सारे लिंक्स हैं. इन सारे लिंक्स में कहीं न कहीं इस लड़की की इमेज का इस्तेमाल हुआ है. फेसबुक और ट्विटर पर लड़कियों के नाम से लाखों फर्जी अकाउंट्स हैं.

ऐसे फेक अकाउंट्स बनाने वाले गूगल की अथाह दुनिया से तस्वीरें चुराते हैं और उसको अपनी प्रोफाइल पिक बना लेते हैं. आपको कई अकाउंट्स ऐसे दिखेंगे, जिनकी प्रोफाइल पिक एक सी होगी.
एक और जरूरी बात ये जिस वायरल पोस्ट की हम बात कर रहे हैं, उसमें रोमन लिपि का यूज हुआ है. मगर रजिया बानो के फेसबुक पर कई और पोस्ट मिले, जिनमें देवनागरी लिपि का इस्तेमाल हुआ है. कबीलाई इलाकों के अलावा ज्यादातर पाकिस्तान हिंदुस्तानी में ही बात करता है. हमारी भी यही जुबान है. बस पाकिस्तान के बोलने में फारसी और अरबी के शब्द थोड़े ज्यादा होते हैं. इस थोड़े से अंतर की वजह से वो अपनी ज़बान को उर्दू कहते हैं. हममें और उनमें जो असली फर्क है, वो लिपि में है. वो नास्तालिक या उर्दू लिपि में लिखते हैं. हमारी तरह देवनागरी नहीं चलती वहां. ऐसी बात नहीं कि पूरे पाकिस्तान में किसी को देवनागरी लिखनी-पढ़नी नहीं आती होगी. आती होगी. लेकिन रजिया बानो का देवनागरी लिखना थोड़े संशय की बात है. ये संशय उनकी प्रोफाइल की बाकी कई संदिग्ध चीजों की वजह से पैदा होता है. इसी वजह से ये संभावना लगती है कि रजिया बानो का ये अकाउंट फर्जी है. ऐसा लगता है कि इसे किसी हिंदुस्तानी ने ही बनाया है. एक और भी चीज दिखी. रजिया की वॉल पर कई मुस्लिम-विरोधी पोस्ट भी नजर आए. जिनकी भाषा बेहद आपत्तिजनक थी. इन पोस्ट्स में कई हिंदुओं को टैग किया गया था. नीचे वाला स्क्रीनशॉट देखिए. 'जय श्री राम' लिखना मुस्लिम-विरोधी नहीं है. लेकिन बाकी चीजें जो लिखी गई हैं, वो दौ कौड़ी की हैं. कोई मुस्लिम खुद ही ऐसा क्यों लिखेगा?

आप देखिए. पोस्ट में लिखा क्या है? और किन लोगों को टैग किया गया है? साफ-साफ दिखता है कि ये फर्जी अकाउंट है.
किसने बनाया होगा ये फर्जी अकाउंट? अब दो संभावनाएं हैं. एक तो ये कि किसी मुस्लिम ने इसे बनाया हो. ताकि फर्जी आईडी के बहाने अपने मन की नफरत उगल सके. दूसरी संभावना ये है कि इसके पीछे किसी कट्टर हिंदूवादी का हाथ हो. ताकि मुस्लिम नाम वाले अकाउंट से घिनौनी बातें लिखकर ये साबित किया जा सके कि मुस्लिमों के मन में हिंदुओं के लिए कितना जहर है. कि मुसलमान कितने बुरे और अमानवीय होते हैं. हमें रजिया बानो के फेसबुक पर कई ऐसे पोस्ट मिले, जिनमें हिंदू नाम वाले लोगों को टैग किया गया है. पढ़कर ऐसा लगता है कि मानो उनकी आपस में जान-पहचान हो. एक समझ सी बनी हो.

ये बातचीत बहुत दोस्ताना है. पढ़कर ऐसा लगता है कि इनकी आपस में पहचान रही होगी. ऐसा भी नहीं कि कमेंट करने वाले बस कमेंट करके निकल गए. रजिया बानो ने बाकायदा उसके ऊपर जवाब दिया है.
एक और दिलचस्प चीज है सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट चल रहा है. ये रजिया की ही एक पुरानी पोस्ट का स्क्रीनग्रैब है. ये 20 मई की पोस्ट है. रजिया ने लिखा-
'क्या हाल है दोस्तों'इसके जवाब में नवीन मेशराम सोनू नाम के एक शख्स ने कमेंट किया. लिखा- शर्मा जी नाम क्यों बदल दिया. इस कमेंट पर रिप्लाई करते हुए रजिया बानो ने तीन स्माइली बनाए. इसी कमेंट के नीचे एक रमाकांत सिंह का भी कमेंट है. वो लिखते हैं- पवन भाई अब मुल्ली बनोगे क्या. सॉरी मुल्ला. इसका जवाब देते हुए रजिया ने लिखा- जस्ट वेट ऐंड वॉच डियर. लिखना चाहती होंगे Wait (इंतजार), लेकिन स्पेलिंग लिख गईं Wet. जिसका मतलब होता है गीला. अब नवीन मेशराम सोनू का अकाउंट फेसबुक से गायब है. मतलब इस नाम का एक अकाउंट मिला तो, लेकिन वो कोई और इंसान हैं. रमाकांत सिंह, जिनकी प्रोफाइल पिक्चर में हॉलिवुड ऐक्टर जॉनी डेप की फोटो है, वो भी गायब हो गए हैं. इन सबका कॉमन लिंक रजिया बानो तो फेसबुक छोड़ ही चुकी हैं.

ये सब पिछले हफ्ते से चल रहा था. पहले तो नफरत वाली पोस्ट्स ही आईं. जिसमें पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग दिया गया था. फिर ऐसी पोस्ट्स नजर आने लगीं. जिनमें लोग लिख रहे थे कि ये फर्जी अकाउंट है.

ये कैराना उपचुनाव के बाद लिखी गई पोस्ट है. लिखने वाली वही रजिया बीवी हैं. इस तरह की पोस्ट्स लोगों को मेसेज देती हैं. कि चुनाव नहीं हुआ, हिंदू-बनाम मुसलान का मुकाबला हुआ है. ऐसी पोस्ट्स धार्मिक लामबंदी करती हैं. हिंदुओं में एक किस्म का डर जाता है. कि अगर हमने एकजुट होकर वोट नहीं दिया, तो इस्लाम जीत जाएगा.
इसका मकसद क्या रहा होगा? जाहिर है, ये सब मंदसौर में हुई घटना के बहाने सांप्रदायिक माहौल खराब करने की नीयत से किया गया होगा. इसका असर भी हुआ. लोगों ने इसे पढ़ा और भड़के. एक रजिया का लिखा पढ़कर उन्होंने तमाम मुसलमानों को कोसा. शुरुआत में मुस्लिम इसे लेकर डिफेंसिव हुए. लेकिन कई लोग लिख रहे थे कि ये फर्जी अकाउंट है. ऐसा लिखने वालों में हिंदू और मुस्लिम, दोनों तरफ के लोग थे. उन्होंने लिखा कि मुस्लिमों को बदनाम करने और मंदसौर घटना को हिंदू-मुस्लिम ऐंगल देने की कोशिश है. ये कोई नई बात नहीं. ऐसे तमाम फर्जी अकाउंट्स फेसबुक और ट्विटर पर भरे पड़े हैं. उनपर रोजाना कूड़ा लिखा जाता है. गाली-गलौच. सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की बातें. धर्मों और धार्मिक प्रतीकों पर अनर्गल टिप्पणियां. बहुत बेहूदगी वाली बातें लिखी जाती हैं इसमें. इनका मकसद क्लियर है. माहौल खराब करना. दूसरे धर्म वालों का नाम खराब करना. ये लोग अपने मकसद में कामयाब भी होते हैं. क्योंकि बड़ी जमात ऐसे लोगों की है जो बिना दिमाग का इस्तेमाल किए बस भड़क जाते हैं. जो देखते हैं, उसके ऊपर यकीन कर लेते हैं. आगे फॉरवर्ड भी करते हैं. फिर एक और दिक्कत है. जो बहकने वाली जमात है, उन तक रजिया बानो का पोस्ट तो पहुंच गया. लेकिन वो एक फर्जी अकाउंट है, ये बताने वाली खबरें उन तक शायद न पहुंचें. पहुंच भी गईं, तो शायद उन्हें यकीन न हो. जब सोशल मीडिया आया था, तब किसने सोचा था. कि इसका ऐसा इस्तेमाल भी हो सकता है.
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