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पुष्कर मेले में पहुंचा युवराज जडेजा का सात करोड़ का घोड़ा!

पुष्कर में लगने वाले पशु मेले में इस बार सात करोड़ का घोड़ा आया है. 15 लीटर दूध, 5 किलो चना और 5 किलो दाल इसकी रोजाना की खुराक है.

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पुष्कर का पशुमेला हर साल लगता है.

कुछ शब्दों को उनकी ध्वनि से अलग नहीं किया जा सकता. जैसे सात करोड़ पढ़ते ही, अमिताभ बच्चन की भारी-भरकम आवाज कानों में गूंज जाती है. KBC में किसी मेहनतकश की किस्मत खुलती है - ‘सात करोड़!’ इस रकम में एक मिडिल क्लास परिवार के लगभग सारे ख्वाब पूरे हो सकते हैं. बहरहाल, हम ये सात करोड़ पुराण क्यों लेकर बैठ गए, समझाते हैं.

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राजस्थान में एक जगह है पुष्कर. अजमेर जिले में आती है ये तहसील. अपने ब्रम्हा मंदिर के लिए मशहूर. अब यहीं पर हर साल लगता है, अंतरराष्ट्रीय पशु मेला. यूं तो पशु मेला हर साल 14 से 15 दिन लगता है. पर इस बार चुनावों के चलते इसकी मियाद सिर्फ 7 दिन कर दी गई है. ये मेला देशभर में विख्यात है. इसमें देश भर के पशु-पालक आते हैं और खेती या निजी कामों के लिए जानवर खरीदते-बेचते हैं. इसके अलावा अलग-अलग जानवरों के बीच कम्पटीशन भी होता है. जैसे -  दुग्ध प्रतियोगिता होती है, जिसमें दूध निकाला जाता है. और सबसे कम टाइम में सबसे ज्यादा दूध देने वाले जानवर हुए उसके मालिक को अवॉर्ड भी मिलता है. ऊंटों की दौड़ भी होती है. उसमें भी अवॉर्ड मिलता है.

हर साल की तरह ये एक रूटीन खबर हो सकती थी. लेकिन यहीं पर आए, फ्रेंजेड जी. ये कौन हैं? ये मारवाड़ी किस्म के एक घोड़े हैं. इनके मालिक का दावा है कि इनकी कीमत सात करोड़ रूपये तक लगाई गयी है. 7 करोड़! इतनी धनराशी का आप क्या-क्या कर सकते हैं? 7 करोड़ में 14 करोड़ महा-लैक्टो टॉफ़ी आ जाएगी. हाल ही में लॉन्च हुई लग्जरी गाड़ी रॉल्स रॉयस घोस्ट आ जाएगी. कुछ नहीं, तो 14 फार्चुनर तो आ ही जाएगी. अब आप “haww” कर लीजिए.

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क्या खाता भाई ये घोड़ा?

फ्रेंजेड की खुराक जानकर आप चौंक जाएंगे. ये घोड़ा 15 लीटर गाय का दूध पीता है. 5 किलो चना और 5 किलो दाल रोज हुरता है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक़, फ्रेजेंड सिर्फ मिनरल वाटर पीता है. घोड़े के मालिक युवराज जडेजा ने बताया कि फ्रेजेंड हाइब्रिड है. पिता राजस्थानी नस्ल के हैं और मां रत्नागिरी नस्ल की. उम्र 4 साल है और पिछले डेढ़ साल से युवराज के साथ है. 

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युवराज पेशे से जमींदार और ब्रोकर है. गुजरात के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि फ्रेजेंड के रखरखाव पर ढाई से तीन लाख रुपए हर महीने खर्च होते हैं. घोड़े की देखभाल के लिए चार लोग हमेशा इसके साथ रहते हैं.  

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मेले में घोड़े को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए विशेष एंबुलेंस की तरह गाड़ी है. घोड़े की तबियत का ध्यान रखने के लिए 24 घंटे एक डॉक्टर भी तैनात रहता है.
फ्रेजेंड अब तक गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश की विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका है. आज तक उसे किसी भी घोड़े ने नहीं हराया है. अगर आप उस जमात में है, जो घोड़े पर बैठकर पोलो खेलती है, तो सॉरी टू डिसअपॉइंट यू क्योंकि इसके ओनर ये घोड़ा नहीं बेचने वाले हैं. तो बलमा घोड़े पर सवार नहीं हो पाएंगे.

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हालांकि, सिर्फ यही घोड़ा नहीं है जो इतना प्राइसी हो. एक घोड़ा है, जिसके ओनर का दावा है कि उसकी डाइट पर एक लाख रूपये महीने का खर्च आता है. पुलिस और सेना के साथ-ासाथ खेल प्रतियोगिताओं में भी इस किस्म के घोड़ों का चलन है. इसके अलावा इस मेले में घोड़े, ऊंट और बैल भी काफी तादाद में लाए जाते हैं.

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