कबूतरबाज़ी. बोले तो किसी इंसान को एक देश से उठाकर दूसरे देश में रख देना. ज़ाहिर है गैर-कानूनी तरीके से. कानूनी भाषा में कहें, तो मानव तस्करी. कबूतरबाज़ी के बारे में आपको इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि देश के बहोब्बड़े सिंगर दलेर मेहंदी इसके दोषी पाए गए हैं. पंजाब की पटियाला हाउस कोर्ट ने दलेर को मानव-तस्करी का दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है. हालांकि, सजा मिलने के कुछ ही मिनट बाद दलेर मेहंदी को बेल भी मिल गई.
सजा मिलने के कुछ ही देर में दलेर मेहंदी तुनक-तुनक तुन गाने लगे होंगे
कबूतरबाज़ी के केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने दलेर को दो साल की सजा सुनाई है.


दलेर मेहंदी को पहले सजा और फिर बेल मिलने की खबर के बीच सिर्फ 20 मिनट का अंतर है.
साल 2003 में बख्शीश सिंह नाम के शख्स ने दलेर के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी कि दलेर ने उन्हें विदेश भेजने के नाम पर उनसे पैसे लिए. बख्शीश के मुताबिक दलेर ने उन्हें विदेश तो नहीं ही भेजा, ऊपर से पैसा भी चट कर गए. तब से उनके ऊपर केस चल रहा था. पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि ये खेला तो 1998 से चल रहा था. तब से ये लोगों को गैर-कानूनी रूप से विदेश भेज रहे थे. इसके बाद दलेर को अरेस्ट कर लिया गया.

अक्टूबर 2003 में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर दलेर
ये दलेर की ज़िंदगी का सबसे बड़ा विवाद था. इंडिया के पॉप कल्चर में इनका नाम बहुत ऊपर है. ये 1995 के आसपास की बात है, जब इंडिया में पॉप कल्चर नया-नया आया था. इसी बीच दलेर का पहला म्यूज़िक अल्बम आया 'बोलो ता रा रा रा', जो आते ही छा गया. फिर आगे के बरसों में ऐसा हुआ कि हर साल इनका एक अल्बम आता और लोगों की ज़ुबान पर चढ़ जाता. 1997 में इनका जो गाना आया था 'ना ना ना ना ना रे ना रे ना', ये अगर बारातों में न बजता तो मार हो जाती. यही गाने गाने वाले मेहंदी अब जेल जाएंगे. दो साल के लिए.
6 सितंबर 2013 को दलेर ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी. दलेर के साथ उस दिन तब के दो विधायकों- राम सिंह नेताजी (बदरपुर से बीएसपी विधायक) और आसिफ मोहम्मद खान (ओखला से आरजेडी विधायक) ने कांग्रेस जॉइन की थी. इसके अलावा NCP के पूर्व विधायक राम सिंह बिधूड़ी और बीजेपी के पूर्व काउंसलर वीके मोंगा ने भी दलेर के साथ कांग्रेस जॉइन की थी. इसके दो महीने बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे. तब के सर्वे में दिल्ली की 70 में से बीजेपी को 32 और कांग्रेस को 27 सीटें जीतते दिखाया जा रहा था.

नवंबर 2013 में कांग्रेस का थीम सॉन्ग लॉन्च करने दौरान शीला दीक्षित के साथ दलेर मेहंदी
दलेर के मुताबिक पंजाब की म्यूज़िक इंडस्ट्री में आने से पहले वो न्यूयॉर्क में टैक्सी चलाते थे. 1995 में पहला गाना आने के बाद 1997 में खुद अमिताभ बच्चन ने इन्हें अपने साथ काम करने का ऑफर दिया. इसके बाद से दलेर हर जगह छा गए. हालांकि, फिल्म 'झूम बराबर झूम' के टाइटल ट्रैक को लेकर हुए विवाद में दलेर ने यशराज फिल्म्स पर केस कर दिया था. दलेर का आरोप था कि यशराज ने गाने में उनकी जगह शंकर महादेवन की आवाज़ डाल दी. इस विवाद में अमिताभ बच्चन का नाम भी घसीटा गया था.
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