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माधबी पुरी बुच की मुश्किलें और बढ़ीं, SEBI का मामला सीधे संसद पहुंच गया है!

PAC ने इस वर्ष के अपने एजेंडे में SEBI के प्रदर्शन की समीक्षा को शामिल करने का निर्णय लिया है. ऐसे में SEBI की चेयरपर्सन Madhabi puri buch की मुसीबतें बढ़ सकती है.

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माधबी पुरी बुच की बढ़ सकती है मुसीबतें (फोटो: PTI)

SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi puri buch) की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. सरकारी खर्चों पर निगरानी रखने वाली संसदीय संस्था लोक लेखा समिति (PAC) ने  इस वर्ष के अपने एजेंडे में SEBI के प्रदर्शन की समीक्षा को शामिल करने का निर्णय लिया है. हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg research) की तरफ से माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बाद से ही वो विपक्षी पार्टियों के निशाने पर हैं.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े लिज मैथ्यू की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि PAC ने इस साल का अपना एजेंडा अधिसूचित कर दिया है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल की अगुवाई वाली संसदीय समिति अपनी समीक्षा प्रक्रिया के दौरान SEBI चेयरपर्सन को तलब कर सकती है. इस निर्णय से माधबी पुरी बुच मुश्किलें और बढ़ सकती है. ये बात तब सामने आई है, जब SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अडानी समूह की जांच को लेकर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं.

SEBI अधिकारियों ने लगाए गंभीर आरोप

साथ ही SEBI के अधिकारियों की तरफ से बुच पर 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 6 अगस्त को SEBI के अधिकारियों की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया कि SEBI प्रमुख की बैठकों में ‘चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम’ हो गया है. SEBI एक सरकारी संस्था है. शेयर मार्केट के निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी. फिलहाल SEBI के पास ग्रेड ए और उससे ऊपर (सहायक प्रबंधक और उससे ऊपर) के लगभग एक हजार अधिकारी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से आधे यानी ‘500’ अधिकारियों ने SEBI चीफ के खिलाफ भेजी गई शिकायत पर हस्ताक्षर किए हैं.

SEBI के अधिकारियों ने 'अ कॉल फॉर रेस्पेक्ट' शीर्षक वाले इस पत्र में कहा है कि बुच का रवैया टीम के सदस्यों के प्रति ‘कठोर’ है और उनके साथ ‘गैर-पेशेवर’ भाषा का इस्तेमाल किया जाता है. उनकी 'मिनट-दर-मिनट गतिविधि' पर नज़र रखी जाती है. SEBI के इतिहास में शायद यह पहली बार है जब उसके अधिकारियों ने कर्मचारियों से बुरे व्यवहार के बारे में चिंता जताई है.

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Hindenburg research ने बढ़ाई थी मुसीबत

हिंडनबर्ग रिसर्च ने 19 अगस्त, 2024 को एक रिपोर्ट जारी कर ये दावा किया था कि SEBI की मुखिया और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ीं विदेशी ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है. फर्म ने ये भी दावा किया कि माधवी और उनके पति का मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में भी हिस्सा है. हिंडनबर्ग ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया था इस फंड में कथित तौर पर अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने अरबों रुपये निवेश किए हैं.

कांग्रेस हुई हमलावर

वहीं, कांग्रेस ने माधवी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 2 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि SEBI से जुड़े होने के दौरान माधवी ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेती रहीं. कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी बुच ने 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक से 16.80 करोड़ रुपये की सैलरी उठाई. साथ ही वो ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं. बताते चलें कि माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं. इसके बाद 2 मार्च, 2022 को वह SEBI की चीफ बनीं. तब से वो इस पद पर हैं.

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