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कभी इलॉन मस्क की चहेती रही PayPal भारत से डॉमेस्टिक बिज़नेस समेटेगी तो क्या फर्क पड़ेगा?

PayPal माफिया क्या है, ये भी जान लीजिए.

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PayPal के जरिए भुगतान और पैसे ट्रांसफ़र करने जैसे काम आप 1 अप्रैल, 2021 से नहीं कर पाएंगे. PayPal अपनी सर्विसेज़ क्यूं बंद करने जा रहा है, PayPal है क्या और क्या PayPal इंडिया से अपना पूरा कारोबार समेट रहा है? आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं.\
अगर आप ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो PayPal के बारे में जानते ही होंगे. नहीं जानते तो बता देते हैं. PayPal एक अमेरिकी कंपनी है, जो अधिकांश देशों में ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम चलाती है. मतलब कुछ-कुछ पेटीएम या गूगल पे सरीखी. आसान भाषा में कहें तो PayPal दो लोगों या संस्थाओं के बीच के पैसों के लेन-देन को आसान और सुरक्षित बनाने का शुल्क लेती है. # PayPal माफिया? क्या आपने ‘PayPal माफिया’ के बारे में सुना है? तो जान लीजिए, ये ऐसे लोगों का ग्रुप है जो कभी PayPal के कर्मचारी या फ़ाउंडर रह चुके हैं. ‘PayPal माफिया’ ग्रुप फ़ेमस भी है. इसका एक विकिपीडिया पेज
 भी है. फ़ॉर्चून मैगज़ीन दो बार इसके बारे में लिख चुकी है.
 क्यूंकि ‘PayPal माफिया’ ग्रुप के सदस्य PayPal के अलावा भी कई बड़ी-बड़ी कंपनियों को चला चुके हैं या चला रहे हैं. जैसे इलॉन मस्क, जो एक्स डॉट कॉम (x.com) के संस्थापक रहे हैं. x.com ने PayPal बनाने वाली कंपनी ‘कॉनफ़िनिटी ’ को ख़रीदा था.
सेन होज़, कैलिफ़ॉर्निया स्थित Paypal का ऑफ़िस. (तस्वीर Paypal) सेन होज़े, कैलिफ़ॉर्निया स्थित Paypal का ऑफ़िस. (तस्वीर Paypal)


लेकिन इलॉन मस्क ने बाद में x.com के बाकी सारे कारोबार को बंद कर दिया, और अपना पूरा फ़ोकस PayPal पर ही लगा दिया. क्यूंकि उनका मानना था कि भविष्य डिजिटल पेमेंट का है. # PayPal की हिस्ट्री PayPal को बाद में eBay ने ख़रीद लिया. eBay के ज़्यादातर डिजिटल पेमेंट PayPal के माध्यम से होने लगे. 2005 में VeriSign को ख़रीदने और 2007 में मास्टरकार्ड के साथ करार करने के बाद PayPal बड़ी से विशाल होती चली गई.
e Bay द्वारा ख़रीद लिया जाना PayPal के लिए एक टर्निंग पॉईंट साबित हुआ. (तस्वीर: AP) e Bay द्वारा ख़रीद लिया जाना PayPal के लिए एक टर्निंग पॉईंट साबित हुआ. (तस्वीर: AP)


2007 में PayPal की एंट्री भारत में हुई. इसने चेन्नई में अपना एक सॉफ़्टवेयर डिवेलपमेंट सेंटर खोला. फ़रवरी 2010 में PayPal ने भारत में पर्सनल पेमेंट सर्विस बंद कर दी थी. मतलब PayPal के माध्यम से सिर्फ़ बिल वग़ैरह का ही भुगतान किया जा सकता था, किसी दोस्त-रिश्तेदार को पैसे ट्रांसफ़र नहीं हो सकते थे. जिस दिन ये सर्विस बंद हुई, उस दिन खूब कोहराम मचा. लोगों के भेजे गए पैसे वापस आने लगे. उसके बाद PayPal ने अपने सभी यूज़र्स को मेसेज भेजे-
हमने आपके पेमेंट को इसलिए रिवर्स कर दिया है, क्यूंकि अब हमने भारत में या भारत से किए गए पर्सनल पेमेंट स्वीकार करने बंद कर दिए हैं.
8 नवंबर, 2017 को ‘PayPal पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से भारत में घरेलू पेमेंट सर्विस शुरू की गई. कंपनी व्यापारियों और ग्राहकों के लिए डिजिटल भुगतान की सुविधाएं देने लगी.
अब कोविड-19 का दौर आया. इस वक्त कुछ ही ऐसे सेक्टर्स थे, जो घटने के बजाय बढ़ रहे थे. डिजिटल पेमेंट वाली कंपनियां उनमें से एक थीं. यूं इस दौरान PayPal दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहा. इस वक्त PayPal को दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट सर्विस कहा जाता है. # विदेश से पैसे लेना, भेजना नहीं रुकेगा PayPal इसी साल 1 अप्रैल से भारत में डॉमेस्टिक पेमेंट सर्विस और पेमेंट गेटवे को बंद कर रहा है. मतलब अब ये सिर्फ़ ऑनलाइन माध्यम से भारत में बाहर से आने वाले और भारत से बाहर जाने वाले पैसों की ही डीलिंग करेगा. PayPal ने कहा कि अब कंपनी क्रॉस बॉर्डर बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करेगी.
मतलब ये हुआ कि भारत से बाहर रहने वाले PayPal के ग्लोबल कस्टमर्स अब भी इसके जरिए भारतीय व्यापारियों को पेमेंट करने और उनसे पैसे लेने का काम करते रहेंगे. PayPal विवाद समाधान, रिटर्न और पेमेंट रिवर्सल को लेकर अपना संचालन और सपोर्ट भी चालू रखेगी. लेकिन अप्रैल से PayPal की पेमेंट गेटवे और एग्रीगेटर सेवाएं खत्म हो जाएंगी.
In-app Purchase से लेकर वेबसाइट तक. लगभग हर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में कोई न कोई डिजिटल पेमेंट कंपनी की सर्विस रहती ही रहती है. In-app Purchase से लेकर वेबसाइट तक. लगभग हर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में कोई न कोई डिजिटल पेमेंट कंपनी की सर्विस रहती ही रहती है.

# क्या असर पड़ेगा? ये ख़बर बड़ी इसलिए है क्यूंकि भारत में ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर पोर्टल्स, ऐप्स और वेबसाइट्स पर PayPal के जरिए ढेरों पेमेंट्स होते हैं. इनमें 'यात्रा', 'मेक माइ ट्रिप', 'बुक माइ शो' और 'स्विगी' जैसे ऐप्स और ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स भी शामिल हैं. वैसे PayPal के लिए भी ‘क्रॉस बॉर्डर’ वाली राह आसान नहीं है, क्यूंकि वहां पर पहले से ही 'वेस्टर्न यूनियन' जैसे दिग्गज बैठे हैं.

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