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फ्लाइट लेट हो जाए तो पैसेंजर के पास ये अधिकार रहते हैं, पायलट को पीटना इसमें शामिल नहीं है

फ्लाइट में देरी और फ्लाइट कैंसिल होने की स्थिति में एक पैसेंजर क्या कर सकता है? उसके क्या अधिकार हैं? फ्लाइट डिले या कैंसलेशन पर एयरलाइन को कब जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? जानिए इन सभी सवालों के जवाब.

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पिछले कई दिनों से लो विजिबिलिटी के कारण फ्लाइट्स डिले और कैंसल हो रही हैं. (फोटो: आजतक)

सोशल मीडिया पर इंडिगो की फ्लाइट का एक वीडियो आया. वीडियो में एक पैसेंजर पायलट को मुक्का मारते हुए दिखा. मामला ये था कि दिल्ली से गोवा की फ्लाइट लगभग 13 घंटे डिले हो गई थी. पायलट फ्लाइट डिले होने से जुड़ी कुछ जानकारी दे रहे थे, इसी दौरान एक पैसेंजर ने पायलट पर ही हमला कर दिया. सर्दियों में फ्लाइट कैंसल होना या उड़ान में देरी (flight delay) होना, कोई नई बात नहीं है. घने कोहरे के कारण हर साल ऐसा होता है. पिछले कई दिनों से लो विजिबिलिटी के कारण फ्लाइट्स डिले और कैंसिल हो रही हैं.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट पर सोमवार, 15 जनवरी को 100 से अधिक उड़ानों में देरी हुई. वहीं 5 फ्लाइट्स को डायवर्ट किया गया. मतलब उड़ान का रास्ता बदला गया. रविवार, 14 जनवरी को भी हालात ऐसे ही थे. बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर खराब मौसम के कारण 58 उड़ानों में देरी हुई और 8 फ्लाइट्स कैंसल कर दी गईं. विजिबिलिटी कम होने के कारण पटना और मुंबई एयरपोर्ट पर भी यात्रियों को काफी देरी झेलनी पड़ी.

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फ्लाइट्स डिले होने के कारण कुछ छोटी-मोटी झड़पें और हंगामा होनें की भी खबरें आई हैं. यहां तक कि एक एयरलाइन पर मुकदमा करने की मांग भी हुई. सोशल मीडिया पर यात्रियों की ग्राउंड स्टाफ और एयरलाइंस के अधिकारियों के साथ बहस भी देखने को मिली है. लेकिन सवाल ये कि फ्लाइट में देरी या फ्लाइट कैंसिल होने की स्थिति में एक पैसेंजर क्या कर सकता है? उसके अधिकार क्या हैं और ऐसे मामलों में एयरलाइंस को क्या करना चाहिए? फ्लाइट डिले या कैंसलेशन पर एयरलाइन को कब जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने ऐसे मामलों पर हवाई यात्रियों के अधिकारों के बारे में बताया है.

फ्लाइट डिले होने पर क्या नियम हैं?

DGCA के मुताबिक फ्लाइट में देरी की स्थिति में यात्रियों के लिए खाना उपलब्ध कराने का नियम है. हालांकि, ये हर फ्लाइट के 'ब्लॉक टाइम' पर निर्भर करता है. ब्लॉक टाइम का मतलब उड़ान की अवधि है.

यात्रियों को नाश्ता उपलब्ध कराया जाना चाहिए, अगर:

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- फ्लाइट, जिसकी अवधि ढाई घंटे है, दो घंटे डिले है.

- फ्लाइट, जिसकी अवधि ढाई घंटे से पांच घंटे के बीच है, तीन घंटे की देरी से चल रही है.

- अगर किसी फ्लाइट में चार घंटे या उससे अधिक की देरी होती है.

वहीं अगर फ्लाइट में छह घंटे से अधिक की देरी होती है, तो DGCA एयरलाइन को डिपार्चर टाइम से 24 घंटे पहले पैसेंजर को अलर्ट करने का आदेश देता है. इस मामले में, यात्री के पास पूरा रिफंड या वैकल्पिक फ्लाइट में सीट मांगने का विकल्प होता है.

दूसरे, अगर फ्लाइट में छह घंटे से अधिक की देरी होती है, और ये रात 8 बजे से सुबह 3 बजे के बीच उड़ान भरने वाली है, तो यात्री के ठहरने की मुफ्त व्यवस्था करनी होगी. यह तब भी लागू होता है, जब फ्लाइट 24 घंटे से अधिक डिले हो.

फ्लाइट कैंसिल होने पर क्या नियम हैं?

अगर कोई फ्लाइट कैंसिल हो जाती है, तो एयरलाइन को दो हफ्ते से कम समय में, लेकिन निर्धारित डिपार्चर समय से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देनी होगी. इसके बाद यात्री वैकल्पिक फ्लाइट में सीट मांग सकता है या एयरलाइन से पूरा रिफंड मांग सकता है.

अगर एयरलाइन निर्धारित डिपार्चर टाइम से कम से कम 24 घंटे पहले यात्री को फ्लाइट कैंसलेशन की सूचना नहीं देती है, तो उसे टिकट के फुल रिफंड के साथ-साथ मुआवजा भी देना होगा. मुआवजा उड़ान की अवधि के आधार पर 5,000 रुपए, 7,500 रुपए, 10,000 रुपए का हो सकता है.

अगर किसी की यात्री की पहली फ्लाइट कैंसिल होने के कारण उसी टिकट नंबर पर बुक की गई कनेक्टिंग फ्लाइट छूट जाती है, तो भी यही नियम लागू होता है.

रिफंड कब तक होगा? ये भी जानिए

टिकट रिफंड के मामले में एयरलाइन को कैश से किया गया पेमेंट तुरंत वापस होगा. कार्ड से भुगतान के मामले में सात दिनों के अंदर रिफंड का नियम है. अगर टिकट ट्रैवल एजेंट या किसी तीसरे पक्ष की वेबसाइट से खरीदा गया है, तो ट्रैवल एजेंट या संबंधित साइट से संपर्क करना होगा. हालांकि, रिफंड की जिम्मेदारी एयरलाइंस की होगी क्योंकि एजेंट उन्हीं के प्रतिनिधि हैं. इस मामले में, रिफंड को 30 वर्किंग डेज के अंदर प्रोसेस करना होगा. 

यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि ऐसे हालात, जो एयरलाइन के नियंत्रण से बाहर हों, उसकी जिम्मेदारी एयरलाइन की नहीं है. अगर फ्लाइट किसी असाधारण हालात के कारण डिले या कैंसिल होती है, तो एयरलाइन मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं है. जैसे प्राकृतिक आपदा, गृह युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा जोखिम, हड़ताल और मौसम से जुड़ी स्थितियां या फिर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के कारण फ्लाइट कैंसिल या डिले होना.

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