- खिलाड़ियों को खुद भी सीखना होता है. खुद को संभालना होता है. - प्लेयर्स को कायदे से बताना होगा. कि वो सिस्टम का बेजा फायदा नहीं उठा सकते. - आलोचकों और क्रिकेट बोर्ड को भी ध्यान रखना चाहिए. वो ओवर-रिऐक्ट न करें. - ऐसा नहीं कि पहले का सब कुछ (क्रिकेट और क्रिकेटर) बहुत अच्छा-अच्छा था. ऐसा भी नहीं कि आज के दौर में जो कुछ है, सब बुरा है.'ये पहली बार तो नहीं है कि किसी प्लेयर ने ग़लती की हो' 'द हिंदू' ने इस पूरे पंड्या-राहुल विवाद पर द्रविड़ की राय पूछी. उन्होंने कहा-
ये पहली बार नहीं है कि किसी खिलाड़ी ने ग़लती की हो. ऐसा भी नहीं कि आगे कभी कोई खिलाड़ी ग़लती नहीं करेगा. चाहे हम उन्हें सिखाने और समझाने की कितनी भी कोशिश कर लें. मैं लोगों से कहना चाहता हूं. कि प्लीज, वो ओवर रिऐक्ट न करें.'खिलाड़ियों का किया सब कुछ हमारे सिर न आए' द्रविड़ ने ये भी कहा कि खिलाड़ियों को सही से तालीम दी जानी चाहिए. कि मैदान से बाहर कैसे पेश आएं. कैसा बर्ताव करें. वो बोले कि इंडिया की ए टीम और अंडर-19 के खिलाड़ियों को कोच करते समय वो सालों से लंबे समय से ऐसा करते आए हैं. टीम को और क्या करना चाहिए, इस बारे में द्रविड़ की राय है-
हमें लगातार बेहतर होने की कोशिश करनी होगी.ये भी देखना होगा कि खिलाड़ियों का किया सब कुछ हमारे सिर न आए. उनके किए हर काम के जिम्मेदार हम न हों.'खुद से भी सीखना होता है' बाकी द्रविड़ का ये भी कहना है कि ट्रेनिंग किसी एक दिन की चीज नहीं है. घर में क्या सिखाया जाता है और स्कूल में बच्चा क्या सीखता है, ये भी बहुत मायने रखता है. वो मानते हैं कि एक दिन कोई आपको अलग से बिठाएगा और लेक्चर देकर सब सिखा देगा, ऐसा नहीं होता. क्या होता है, बकौल द्रविड़-
खिलाड़ी अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं. उनकी क्या जिम्मेदारियां होंगी, ये तय होना चाहिए. कोई न कोई मसला तो बना ही रहेगा. हमें उन्हें सिखाना होगा. उन्हें राह दिखानी होगी. उन्हें बताना होगा कि वो सिस्टम का ग़लत इस्तेमाल नहीं कर सकते. मैंने कर्नाटक क्रिकेट के अपने सीनियर्स को देखकर बहुत कुछ सीखा. घर में मां-बाप से सीखा. कोचों से सीखा. वो मेरे रोल मॉडल्स थे. किसी ने मुझे अलग से बिठाकर लेक्चर नहीं दिया. मैंने खुद से भी चीजें सीखीं.पहले का सब कुछ अच्छा-अच्छा ही थोड़े न था बाकी द्रविड़ बोले कि पहले भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें हुई हैं. पंड्या और राहुल के विवाद से डील करते हुए भी लोगों को ये बात याद रखनी चाहिए. उनका कहना है- लोग भूल जाते हैं कि पहले भी कई तरह की घटनाएं हुई हैं. ऐसा थोड़े न है कि पहले के क्रिकेट, उस दौर के क्रिकेटरों की सारी बातें अच्छी ही थीं. कि वो टाइम महान था. न ही आज के दौर का सब कुछ बहुत बुरा है. बात सही है. पहले भी बहुत कुछ हो चुका है. बस तब टेक्नॉलजी नहीं थी इतनी. तो सारी बातें हम तक नहीं पहुंचती थीं. न ही खिलाड़ियों पर हर दम नज़र ही रहती थी. पहले कोई देखता नहीं था, तो बड़ी-बड़ी चीजें दब जाती थीं.
सिडनी में मैच से पहले कोहली से पूछा गया हार्दिक के मामले पर सवाल