कतर पर हुए इजरायली हमले (Doha Strikes) के बाद कई इस्लामिक देशों को ये डर है कि इजरायल हमास (Hamas) को निशाना बनाने की बात कह कर उन पर भी हमला कर सकता है. इसलिए अब अरब देशों के बीच नाटो (Arab NATO) जैसा मिलिट्री संगठन बनाने की बातें चल रही हैं. इसी कड़ी में सऊदी अरब और पाकिस्तान ने एक 'डिफेंस पैक्ट' पर (Saudi-Pakistan Defence Pact) साइन किया है. अब इसमें पाकिस्तान शामिल है तो भारत ने भी इस पैक्ट पर प्रतिक्रिया दी है. तो समझते हैं क्या है ये पैक्ट और भारत ने क्या कहा है?
सऊदी अरब-पाक के डिफेंस समझौते पर क्या बोला भारत?
Saudi Arabia-Pakistan Defence Pact के मुताबिक किसी एक देश पर हमला, दूसरे देश पर हमला माना जाएगा. Qatar पर हुई इजरायली Strikes के बाद कई देशों को ये डर है कि Hamas के बहाने Israel उन पर भी हमला कर सकता है.


सऊदी अरब की राजकीय प्रेस एजेंसी ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया
इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करना है. साथ ही किसी भी हमले के खिलाफ हमारे देशों के संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है. किसी भी देश के विरुद्ध किसी भी हमले को दोनों के विरुद्ध हमला माना जाएगा.
इस पैक्ट में इन्हीं शब्दों ने लोगों का ध्यान खींचा जिसमें लिखा था 'एक देश पर हमला, दूसरे देश पर हमला माना जाएगा.' ऐसी ही एक डील 70 के दशक में भारत-रूस के बीच साइन हुई थी. यही वजह थी कि जब 1971 की जंग हुई तो रूस ने खुलकर भारत का साथ दिया था. सऊदी अरब की ओर से वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) और पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस पैक्ट पर साइन किया.
अब जब ये डील साइन हुई तो भारत के लिए ये चिंता का विषय बना. क्योंकि मई 2025 में ही भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव काफी ज्यादा बढ़ चुका था. भारत ने मिसाइल्स से लेकर एयरस्ट्राइक तक की थी. और सऊदी अरब से भारत के रिश्ते बहुत अच्छे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सऊदी अरब में ही थे जब पहलगाम हमला हुआ. लिहाजा उन्होंने बीच में ही अपना दौरा समाप्त किया और भारत वापस लौट आए थे.
एक बात और कही जाती है कि सऊदी अरब हमेशा से भारत-पाकिस्तान तनाव में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाता आया है. चाहे वो बालाकोट स्ट्राइक के बाद का तनाव हो, या ऑपरेशन सिंदूर के बाद की टेंशन. सऊदी अरब ने हमेशा दोनों देशों के बीच पुल की तरह काम किया है. साथ ही भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था में सऊदी अरब तीसरा सबसे बड़ा तेल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का सप्लायर है. ऐसे में पाकिस्तान और उसके बीच इस तरह का पैक्ट होना भारत के लिए चिंता का विषय है. लेकिन अच्छी बात ये है कि ये पैक्ट इजरायल को ध्यान में रख कर हुआ है. ऐसे में भारत चाहेगा कि सऊदी के साथ पहले जैसे ही मधुर रिश्ते बरकरार रहें.
भारत ने 'सऊदी-पाकिस्तान डिफेंस पैक्ट' क्या कहा?
पाकिस्तान में हुई हर सैन्य डेवलपमेंट का भारत पर सीधा असर पड़ता है. लिहाजा इस मुद्दे पर भारत सरकार ने भी अपना रुख साफ किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने सऊदी-अरब पाकिस्तान के बीच हुए डिफेंस पैक्ट पर कहा
हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक रणनीतिक म्यूचुअल डिफेंस पैक्ट पर हस्ताक्षर होने की खबरें देखी हैं. सरकार को पता था कि यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच एक लंबे समय की व्यवस्था को औपचारिक रूप देता है, पहले से विचाराधीन था.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस पैक्ट की से हमारी (भारत की) राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय से लेकर वैश्विक स्थिरता पर होने वाले असर का आंकलन जारी है. भारत सरकार हर क्षेत्र में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है.
वीडियो: कतर की राजधानी दोहा में इजरायल का हमला, हमास के लीडर्स को निशाना बनाने का दावा