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हैदराबाद के डॉक्टर को 70 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर के रखा, हार्ट अटैक से मौत हो गई

Digital Arrest के इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित का अंतिम संस्कार हो गया. परिवार के सदस्यों को इसका तब पता चला जब Scammers उनकी मौत के बाद भी उनके नंबर पर मैसेज और कॉल करते रहे.

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डिजिटल अरेस्ट को लेकर तमाम तरह के जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं (PHOTO-Lallantop)

भारत में ऑनलाइन स्कैमर्स अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. इन स्कैम करने वालों ने बीते कुछ समय से लोगों को ठगने के लिए 'डिजिटल अरेस्ट' (Hyderabad Digital Arrest) वाला झोल शुरू किया है. लल्लनटॉप के पत्रकारों के साथ भी ऐसा हुआ जब उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की गई. ऐसा ही एक मामला हैदराबाद से सामने आया है जहां 76 साल की एक रिटायर्ड डॉक्टर को स्कैमर्स ने 70 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर के रखा. जब अरेस्ट खत्म हुआ तो उनके लाखों रुपये लुट चुके थे. इसके कुछ ही समय बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आ गया. तो जानते हैं, क्या है इस स्कैम की कहानी?

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फर्जी डॉक्यूमेंट्स दिखाए, परिवार से संपर्क तोड़ा

डॉक्टर के साथ ठगी की ये घटना 5 सितंबर को शुरू हुई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता को बेंगलुरु पुलिस अधिकारी होने का दावा करते हुए कुछ लोगों ने व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया. उन्होंने डॉक्टर पर मानव तस्करी और आधार कार्ड के दुरुपयोग जैसे अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया. स्कैमर्स ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कानूनों के तहत तुरंत गिरफ्तारी की चेतावनी दी. उनसे कहा कि उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रहना होगा. 

धोखेबाजों ने अपने झूठे दावों को सही दिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की मुहर लगे जाली डॉक्यूमेंट्स दिखाए. उन्होंने डॉक्टर से कहा कि उनका नाम इस केस से हटा दिया जाएगा लेकिन इसके लिए उन्हें पैसे देने होंगे. इस दौरान स्कैमर्स ने डॉक्टर को लगातार वीडियो कॉल पर रहने को कहा. इस वजह से डॉक्टर का अपने परिवार और बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट गया.

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पैसे ट्रांसफर कराए, डॉक्टर को आ गया कार्डियक अरेस्ट

6 सितंबर आते-आते स्कैमर्स, डॉक्टर पर भारी मानसिक प्रेशर बना चुके थे. दबाव में आकर, डॉक्टर ने अपने पेंशन वाले खाते से 6.6 लाख रुपये महाराष्ट्र स्थित एक शेल कंपनी से जुड़े खाते में ट्रांसफर कर दिए. इसके बावजूद, बार-बार कॉल, वीडियो कॉल और फर्जी नोटिस के जरिए स्कैमर्स उनका उत्पीड़न करते रहे. लगभग तीन दिनों तक लगातार ये खेल चलता रहा. आखिरकार 8 सितंबर को रिटायर्ड डॉक्टर के सीने में तेज दर्द उठा और वो गिर पड़ीं. उन्हें तुरंत उनके अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दिल की धड़कन रुकने से उनकी मौत हो गई.

लोगों को अब भी यही लग रहा था कि डॉक्टर की मौत एक नेचुरल मौत है. लेकिन मामले का खुलासा तब हुआ जब उनका अंतिम संस्कार हो गया. परिवार के सदस्यों को इसका तब पता चला जब कथित तौर पर स्कैमर्स उनकी मौत के बाद भी उनके नंबर पर मैसेज और कॉल करते रहे. 

मामला सामने आने के बाद हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (BNS) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. जांच टीम आरोपियों की पहचान करने और फर्जी कंपनी के खाते का पता लगाने के लिए पैसे के लेन-देन और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच कर रही है.

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पुलिस अधिकारियों ने ऐसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे स्कैम्स के प्रति लोगों के चेतावनी दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया टुडे से कहा कि कोई भी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी वीडियो कॉल के माध्यम से कभी जांच नहीं करती. कोई एजेंसी गिरफ्तारी से बचने के लिए कभी पैसे की मांग नहीं करती. अधिकारी ने नागरिकों से अपील की है कि ऐसे किसी भी फ्रॉड की स्थिति में तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन के माध्यम से ऐसी घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट करें.

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