The Lallantop

पाकिस्तान ने 'रेयर अर्थ मिनरल' की जो पहली खेप अमेरिका भेजी, उसमें क्या-क्या शामिल है?

Pakistan की America के साथ इकोनॉमिक और स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप एक नए दौर में दाखिल हो रही है. दोनों देश Rare Earth Minerals की डील को करीब-करीब अमल में ला चुके हैं. यह सौदा 500 मिलियन डॉलर (करीब 4435 करोड़ रुपये) का है.

Advertisement
post-main-image
शहबाज शरीफ (बाएं से दूसरे) की मौजूदगी में डॉनल्ड ट्रंप (बाएं) के सामने रेयर अर्थ मिनरल का डिब्बा पेश करते आसिम मुनीर(बाएं से तीसरे). (White House)

पाकिस्तान ने एक अमेरिकी कंपनी के साथ रेयर अर्थ मिनरल (Rare Earth Minerals) की डील के तहत पहली खेप अमेरिका रवाना कर दी है. दावा किया जा रहा है कि दुर्लभ खनिजों की ये खेप सैंपल बतौर भेजी गई है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो पाकिस्तान का ये ‘खजाना’ अमेरिका जाता रहेगा. हालांकि, विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इस कवायद की आलोचना की है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी यूएस स्ट्रेटेजिक मेटल्स (USSM) ने पाकिस्तान के फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गेनाइजेशन (FWO) के साथ 500 मिलियन डॉलर (करीब 4435 करोड़ रुपये) का निवेश समझौता किया है. FWO पाकिस्तान मिलिट्री से जुड़ी इंजीनियरिंग और माइनिंग की संस्था है. हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का सीधे अमेरिकी सरकार के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है.

पाकिस्तानी अखबर डॉन की खबर के मुताबिक, इस डील के तहत नमूने के तौर पर जो खेप भेजी गई, उसमें एंटीमनी, कॉपर कंसंट्रेट और नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं. USSM ने एक बयान में रेयर अर्थ मिनरल की डिलीवरी को पाकिस्तान-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में एक मील का पत्थर बताया.

Advertisement

USSM ने कहा, 

"ये MOU मिनरल वैल्यू चेन में सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करता है - एक्सप्लोरेशन और प्रोसेसिंग से लेकर पाकिस्तान के अंदर रिफाइनरीज बनाने तक."  

सितंबर में वाइट हाउस में पाकिस्तान आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की खिदमत में एक स्पेशल डिब्बा पेश किया था. इसमें पाकिस्तान के 'रेयर अर्थ मिनरल्स' थे. उस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी उनके साथ थे.

Advertisement
asim munir donald trump shehbaz sharif
सितंबर 2025 में वाइट हाउस में शहबाज शरीफ (बाएं), डॉनल्ड ट्रंप (बीच में) और आसिम मुनीर (दाएं). (White House)

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के लिए ये समझौता ग्लोबल लेवल पर अहम माने जाने वाली क्रिटिकल मिनरल इकोनॉमी में एंट्री लेने का दरवाजा खोलता है. इससे अरबों डॉलर की कमाई होने, रोजगार बढ़ने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा मिलने की संभावना है.

हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और क्रिकेट कप्तान इमरान खान की पार्टी PTI इससे उतना इत्तेफाक नहीं रखती. PTI ने मांग की है कि सरकार को इस 'सीक्रेट डील' का खुलासा देश के सामने करना चाहिए. PTI के सूचना सचिव शेख वक्कास अकरम ने कहा कि इस तरह की 'सीक्रेट डील' पाकिस्तान को खतरे में डाल सकती है.

PTI के प्रवक्ता ने पासनी पोर्ट को वाशिंगटन को सौंपने की फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. हालांकि, पाकिस्तान सेना ने उस रिपोर्ट के दावे को खारिज करते हुए उस प्रस्ताव को 'आधिकारिक पॉलिसी' के बजाय 'एक कमर्शियल आइडिया' बताया.

इस बीच अकरम ने पाकिस्तान सरकार को मुगल इतिहास की याद दिलाई. उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार मुगल बादशाह जहांगीर के 1615 में सूरत पोर्ट को अंग्रेजों को सौंपने से सीख ले. जहांगीर ने इस पोर्ट पर अंग्रेजों को व्यापारिक अधिकार दिया था. अकरम ने कहा कि इसके विनाशकारी नतीजों से सरकार को सीख लेनी चाहिए, जो आगे चलकर औपनिवेशिक नियंत्रण में तब्दील हो गया.

वीडियो: सर क्रीक को लेकर क्या है विवाद? राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को दिया अल्टीमेटम

Advertisement