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जापान के माउंट फ़ूजी के सामने 'काले पर्दे', चारधाम यात्रा में भीड़ से परेशान भक्त Overtourism के शिकार?

बहुत सारे देश और इलाके Overtourism को लेकर अलग-अलग नियम-कानून बना रहे हैं.

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जापान के टूरिस्टों से अलग है चारधाम की समस्या. वहां टूरिस्ट ज्यादा थे, यहां रीलजीवियों ने असल श्रद्धालुओं का जीना मुहाल किया है. फोटो- AFP/PTI

जापान सरकार ने एक बहुत फेमस टूरिस्ट स्पॉट पर कई मीटर बड़ा काला पर्दा लगा दिया है. इसका कारण? इस स्पॉट से देश के प्रसिद्ध माउंट फ़ूजी का व्यू बहुत अच्छा दिखता था. इस बैकग्राउंड के सामने लोग फोटो क्लिक कराने आते थे. यहां तक तो ठीक था. लेकिन, हाल के समय में इन टूरिस्टों की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि सरकार परेशान हो गई. जिस वजह से इस जगह पर पर्दे लगाने का फैसला किया गया.

द जापान टाइम्स के मुताबिक, 21 मई यानी बीते मंगलवार को मध्य जापान के फ़ुजिकावागुचिको, यामानाशी प्रान्त में एक स्टोर के सामने एक बड़ा ब्लैक मैश वाला पर्दा लगाया गया है. ताकि भारी संख्या में वहां आ रही भीड़ को फोटो लेने से रोका जा सके. वैसे तो माउंट फ़ूजी दूर तक फैला है और कई मीलों दूर से देखा जा सकता है. लेकिन, खासकर इस स्पॉट से माउंटेन और बर्फ से ढंकी उसकी चोटी का व्यू सबसे शानदार नजर आता था. यही कारण है कि यहां टूरिस्ट्स का 'जनसंख्या विस्फोट' होने लगा था. इसकी वजह से आसपास के लोगों को कई तरह की असुविधाएं झेलनी पड़ रही थीं. मसलन, अवैध रूप से पार्किंग और ‘नो स्मोकिंग’ ज़ोन में स्मोकिंग. अच्छे उर्फ एस्थेटिक शॉट के लिए फुटपाथ पर खड़े होकर फोटो लेने की कोशिश से वहां लगती बेवजह की भीड़/जाम से स्थानीय निवासियों को असुविधा.  और इस तरह के गतिविधियों से होने वाली कुछ कॉमन समस्याएं भी शुरू हुईं. जैसे इस स्पॉट के आसपास गंदगी-कूड़े की भरमार, अतिक्रमण और ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ीं. इसके बाद सरकार ने तंग आकर ये कठोर कदम उठाया. 21 मई को यहां 2.5*20 मीटर का काला जाल लगाया गया.

बढ़ती भीड़ से स्थानीय लोग परेशान, जापान सरकार ने टूरिस्ट स्पॉट ढक दिया. फोटो- AFP 

जापानी सरकार के इस फैसले से कुछ दिन पहले ही टूरिज्म एजेंसी के हवाले से खबर आई थी कि  अप्रैल 2024 में देश में लगातार दूसरे महीने पर्यटकों की संख्या 3 मिलियन से अधिक रही. अप्रैल में टूरिस्ट्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले में 56% अधिक रही. जो अर्थव्यवस्था के लिए तो अच्छी खबर हो सकती थी, लेकिन इससे नुकसान भी कुछ कम नहीं था.

चारधाम यात्रा में ‘रीलजीवियों’ से परेशान भक्त

'ओवरटूरिज्म' की बात हो रही है तो ये समस्या इस वक्त भारत में भी चरम पर है. दरअसल, जो रील्स सामान्य घर से आने वाली, अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर Cannes पहुंचने वाली नैंसी त्यागी की मदद करते हैं. वही रील्स कहीं ना कहीं हर सुंदर जगह पर 'भीड़ का भउसा' खड़ा करने में भी काम आते हैं. कैसे? पहले एक भाई/दीदी घूमने गए और 'अनएक्सप्लोर', 'हिडन जेम्स' बताकर अच्छी जगहों की रील पोस्ट की. अब उस रील को जितने हजार, लाख लोग देखते हैं, वो सभी 'वास्‍को डी गामा' उस 'हिडन' जगह को ढूंढते हुए वहां पहुंच जाते हैं. अब वो वहां से एक अलग 'PoV' पोस्ट करते हैं. और ये सिलसिला चलता रहता है. शिमला, मनाली, उत्तराखंड, गोवा से लेकर राजस्थान, वाराणासी, मथुरा, अयोध्या तक ऐसी कई जगह हैं, जहां अब ऑफ सीजन हो या टूरिस्ट सीजन, हर वक्त लोगों की भरमार वहां लगी रहती है. धार्मिक स्थल भी अब इस समस्या से अछूते नहीं हैं. इन्हीं सबके चक्कर में हाल के दिनों की सोशल मीडिया फीड देखें तो वो कुछ ऐसी नजर आएगी. 

सोशल मीडिया पर कई किमी जाम, भीड़ की रील्स छाई हुई हैं.

दरअसल, माउंट फ़ूजी का मामला अलग है वहां टूरिस्ट जाते हैं. और चारधाम यात्रा में श्रद्धालु जाते हैं. लेकिन, भक्तों, टूरिस्टों और रील बनाने वालों में अंतर होता है. जो बात सोशल मीडिया पर भी लगातार कही जा रही है. भक्त भक्ति में लीन भगवान के दर्शन को बढ़ते रहते हैं, वहीं टूरिस्ट हर इंस्टावर्दी जगह को व्यू पॉइंट बनाने के लिई बेताब रहते हैं. दूसरों का रास्ता रोक कंटेंट क्रिएट करने लग जाते हैं,. ऐसे में जो असली भक्त हैं वो भी इस ‘ओवर टूरिज्म’ से परेशान हैं. जैसे इस रील में भीड़ और असली श्रद्धालु का फर्क बताया गया है.

केदारनाथ में रील्स और फोटोग्राफी बैन करने बाद भी लोग रील बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं. आजतक से जुड़े प्रवीण सेमवाल के मुताबिक, केदारनाथ मंदिर परिसर में रील बनाने वाले 84 लोगों की पहचान कर उनका चालान काटा गया है जिससे सरकारी खजाने में 30 हजार रुपये जमा हुए हैं. जो लोग उठो, घूमो, YOLO टाइप की बातें करते थे, अब वही पेजेस इन जगहों पर ना आने की अपील कर रहे हैं. 'जीते जी काशी एक बार जरूर आना चाहिए' कहने वाले इंफ्लुएंसर्स अब 'बनारस को इतना भी फेमस नहीं होना था' कहते दिख रहे हैं. अयोध्या, मथुरा हो या शिमला, लद्दाख हर जगह का हाल कुछ ऐसा ही है. जहां तक नजर जाएगी, सिर्फ भीड़ ही भीड़ नजर आएगी. जिन रील्स में पहले इन जगहों की खूबसूरती दिखाई जा रही थी, अब उन्हीं में यहां की बदहाली दिख रही है.

 

जाम, अव्यवस्था, हादसों की खबरें देश के लगभग हर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल से आ रही हैं. आज तक से जुड़े अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष की तुलना में यमुनोत्री में आने वालों की संख्या में 127% की वृद्धि, केदारनाथ में 156% की वृद्धि देखी गई. मीडिया रिपोर्ट्स में आयुक्त गढ़वाल के हवाले से बताया जा रहा है कि चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद 23 मई 2024 तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें ज्यादातर लोगों की जान हार्ट अटैक से गई है. गंगोत्री में 03, यमुनोत्री में 12, बदरीनाथ में 14 और केदारनाथ में 23 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है.

जो घुमक्कड़ लोग 2 दिन का Easy getaway प्लान बनाते थे, अब वो घंटों-घंटों कई किलोमीटर जाम में फंसे रहने की वीडियो डाल रहे हैं. स्थानीय लोगों की जिंदगी जिन टूरिस्टों की कमाई से चलती थी अब उन्हीं की भीड़ के कारण बुरी तरह उथल-पुथल हो गई है. इसके अलावा पहाड़, झील और नदियों में पाए जाने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षियों के लिए भी स्थिति जानलेवा साबित हो रही है. शिमला जैसी जगहों पर गर्मी बरपा रही है.

पहले इन शहरों की खूबसूरती दिखानेवाले रील्स, अब यहां की परेशान कर देनेवाली स्थिति दिखा रहे.
स्थानीय लोगों पर आफत

ये समस्या सिर्फ उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों या धार्मिक स्थलों की नहीं है. पश्चिम बंगाल के फेमस हिल स्टेशन दार्जलिंग की दशा भी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है. द टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, हीटवेव से परेशान लोग 'क्वीन ऑफ हिल्स' कहे जाने वाले दार्जिलिंग की ओर रुख कर रहे हैं. इस बार की गर्मी में यहां टूरिस्टों की संख्या पहले के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.  भीड़ इतनी बढ़ गई है कि लोकल्स के लिए पानी की कमी हो रही है. इसके अलावा बढ़ती भीड़ के कारण निकल रहे प्लास्टिक और एल्यूमीनियम वेस्ट से नैचूरल इकोसिस्टम पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है. दार्जिलिंग नगर पालिका की अध्यक्ष दीपेन ठाकुरी ने टेलीग्राफ से बातचीत में कहा, "पर्यटन ठीक है, लेकिन 'अत्यधिक पर्यटन' एक समस्या हो सकती है".

स्थानीय लोगों का भी कहना है कि बढ़ती भीड़ में टूरिस्टों की डिमांड और अच्छी क्वालिटी का तालमेल बिठाना सबसे बड़ी चुनौती होती है.

Overtourism का तोड़ ऐसे निकाल रहे ये देश

- स्पेन के Ibiza और Mallorca जैसे द्वीप में हजारों की संख्या में लोग टूरिस्टों के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आए. बार्सिलोना और एथेंस में भी  'Bad Tourism' के खिलाफ अप्रैल में प्रदर्शन देखने को मिले.

- इटली में वेनिस के शहरों या आइलैंड में प्रवेश करने के लिए 3 यूरो से लेकर 10 यूरो तक एंट्री फीस लगती है.इसके अलावा यहां के फेमस लैगून में बड़े क्रूज जहाजों के प्रवेश पर भी बैन लगाया गया है. एम्सटर्डम में भी बड़े क्रूज की एंट्री प्राइमरी पोर्ट्स पर बैन की गई है. ताकि एक साथ ज्यादा संख्या में टूरिस्ट ना आ सकें.

- स्पेन के Balearic आईलैंड में टूरिज्म से जुड़ीं समस्याओं के मद्देनजर रात 9.30 बजे से सुबह 8 बजे के बीच शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला किया गया है.

- स्विट्जरलैंड के Lauterbrunnen नाम के पहाड़ी गांव में 'वेनिस स्टाइल एंट्री फी' शुरू की गई है. यहां कार से आने वाले यात्रियों से प्रवेश शुल्क लिया जाएगा. जबकि इस खूबसूरत गांव में अगर कोई टूरिस्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आएगा तो उससे कोई फीस नहीं ली जाएगी.

- इंडोनेशिया के बाली में सरकार ने 2024 में टूरिस्ट फीस का ऐलान किया है. ताकि बढ़ती टूरिस्टों की संख्या को काबू में किया जा सके. अब द्वीप पर आने वाले सभी विजिटर्स को लगभग 10 डॉलर का भुगतान करना होगा. आनेवाले समय में बाली में किराए पर मिलने वाली मोटरसाइकिल पर भी रोक लग सकती है.

- भूटान ने पर्यटकों की संख्या कंट्रोल करने के प्रयास में एक सतत विकास शुल्क (Sustainable Development Fee) लागू किया है. अब यहां प्रवेश के लिए प्रतिदिन 100 अमेरिकी डॉलर के पर्यटक वीज़ा की आवश्यकता होती है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: चारधाम यात्रा में अव्यवस्था और बेतहाशा भीड़ की वजह क्या है?