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‘न्यूक्लियर वॉर’ पर अब ऑनलाइन सट्टा! 2025 तक बम फटेगा या नहीं, लगा रहे हैं दांव

अमेरिकी वेबसाइट Polymarket पर परमाणु युद्ध होने की संभावना को लेकर सट्टा लगाया जा रहा है. इसके लिए 31 दिसंबर 2025 की टाइमलाइन तय की गई है. Guess करके और हां या न में सट्टा लगाने का ऑफर है. सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स इस हरकत की आलोचना कर रहे हैं.

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वेबसाइट पर लगाया जा रहा सट्टा. (स्क्रीनग्रैब)

इज़रायल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला किया. उन्हें नुकसान पहुंचाया. अमेरिका और इज़रायल नहीं चाहते कि ईरान न्यूक्लियर बम बनाए. ईरान के न्यूक्लियर बम बनाने को इज़रायल अपने अस्तित्व के लिए ख़तरा मान रहा है. पूरे टेंशन के बीच जो कीवर्ड है वो है ‘Nuclear War.’ पूरा तनाव इसी शब्द के इर्द-गिर्द है. अक्सर जब भी इस शब्द का ज़िक्र आता है तो जापान में न्यूक्लियर बम गिराए जाने के वो मंज़र, किस्से और कहानियां ज़ेहन में ताज़ा हो उठते हैं. लेकिन इसके उलट कुछ लोग हैं जो इस भयावह स्थिति को फायदा का सौदा मान रहे हैं. परमाणु युद्ध होने की संभावना पर ऑनलाइन सट्टा (Online Betting On Nuclear War) लगाया जा रहा है. वो भी बड़े पैमाने पर. पूरा माजरा क्या है चलिए बताते हैंः

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Polymarket नाम की एक अमेरिकी वेबसाइट है. इस वेबसाइट पर यूज़र्स दुनिया के ताज़ा घटनाक्रम के बारे में हां या न में भविष्यवाणियां करके सट्टा लगाया जाता है. इसी वेबसाइट पर “क्या 2025 में कोई परमाणु हथियार विस्फोट होगा?” के टाइटल पर भी सट्टे का दस्तूर जारी है. 

परमाणु हमले की भविष्यवाणी के लिए 31 दिसंबर 2025 की टाइमलाइन तय की गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि लोग Guess करें और हां या न में सट्टा लगाएं कि इस तारीख़ से पहले दुनिया के किसी कोने में न्यूक्लियर हमला होगा या नहीं.

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सट्टे के लिए शर्तें भी तय

सट्टा कब ‘हां’ और कब ‘न’ के तौर पर माना जाएगा, इसे लेकर नियम वेबसाइट पर बताए गए हैं. वेबसाइट पर दिए नियमों के मुताबिकः 

- न्यूक्लियर अटैक 31 दिसंबर 2025 के रात 11:59 से पहले होगा तो उसे हां की श्रेणी में माना जाएगा.

- युद्ध में परमाणु हथियार का इस्तेमाल हुआ हो तो उसे भी हां में ही रखा जाएगा.

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- परमाणु हथियार का परीक्षण होता है तो वह भी हां की कैटिगरी में माना जाएगा. 

- अगर गलती से भी परमाणु हथियार चलता है तो उसे भी हां ही माना जाएगा.

वहीं, अगर 31 दिसंबर 2025 के रात 11:59 बजे के बाद परमाणु हमला होता है तो इसे न की कैटिगरी में माना जाएगा. वहीं अगर किसी न्यूक्लियर हथियार को लॉन्च किया गया, लेकिन वह विस्फोट नहीं हुआ या फेक निकला तो उसे गिना नहीं जाएगा.

परमाणु हमला हुआ भी है या नहीं इसकी पुष्टि तभी मानी जाएगी जब न्यूक्लियर हमले की कोई जानकारी किसी पुख़्ता सोर्स पर हो. लेकिन पुख़्ता सोर्स क्या होगा इसका ज़िक्र नहीं किया गया है.    

दूसरी तरफ, सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स इस हरकत की आलोचना कर रहे हैं. babawander नाम के एक यूज़र ने इंस्टाग्राम पर लिखा,

वाह! हम सबसे खराब की तुलना उससे भी बदतर से कर रहे हैं.

Nuclear Post
यूज़र का पोस्ट

दर्शना नाम की यूज़र ने लिखा,

मुझे नहीं पता कि क्या बुरा है. वॉर में इंसान एक दूसरे को मार रहे हैं और लोग इस पर सट्टा लगा रहे हैं.

NP
यूज़र का पोस्ट

एक अन्य यूज़र ने लिखा, “जब मैं सोचता हूं कि लोग और ज़्यादा बेवकूफ और पागल नहीं हो सकते तो ऐसी बातें सामने आ जाती हैं.”

सिद्धांत नाम के यूज़र ने लिखा,

यह बिल्कुल भी मज़ाक की बात नहीं है. अगर हिरोशिमा-नागासाकी की पोस्ट की जाती तो लोग ऐसे मामलों पर दांव नहीं लगाते. 

Social Media Post
यूज़र का पोस्ट

गौरतलब है कि पब्लिक स्पेस में अक्सर न्यूक्लियर हमले पर चर्चा होती है. लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता. इस मुद्दे पर जोक्स क्रैक किए जाते हैं. लेकिन जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी का ज़िक्र आता है तो संवेदनशील लोगों के बदन में सिहरन दौड़ने लगती है.    

क्या होता है न्यूक्लियर हमला होने पर

एक न्यूक्लियर बम किसी भी शहर को पूरी तरह बर्बाद कर सकता है. अगर कई बम एक साथ फटें तो करोड़ों लोग मारे जा सकते हैं. धमाके से निकलने वाली हीट लोगों को तुरंत मार देती है. आसपास की इमारतें गिर जाती हैं. लोग मलबे में दब जाते हैं. न्यूक्लियर बम से निकलने वाला रेडिएशन कैंसर और दूसरी जानलेवा बीमारियां पैदा करता है. इतना ही नहीं पर्यावरण को लंबे समय के लिए ज़हरीला बना देता है.

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