केंद्र सरकार ने 1 सितंबर को 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation, One Election) पर काम करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है. इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे. न्यूज एजेंसी ANI ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया. इसमें BJP अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने उनके घर पहुंचे.
One Nation, One Election पर सरकार का बड़ा फैसला, विशेष सत्र में ये काम होगा!
One Nation, One Election के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से क्यों मिले जेपी नड्डा?
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इससे एक दिन पहले ही सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र (Special Session of Parliament) बुलाने की घोषणा की थी. इस बीच अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024) को देखते हुए सरकार ने ये कदम उठाया है.
मीडिया रिपोर्ट्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि क्या 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation, One Election) को लेकर कानून लाया जा सकता है, कमेटी इस पर विचार करेगी. साथ ही आम सहमति से इस कानून को पास कराने के लिए सभी राजनैतिक दलों से संपर्क करने की भी कोशिश करेगी. संसद के विशेष सत्र में इस पर बात होने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं.
2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही PM नरेंद्र मोदी इसके समर्थक रहे हैं. वे कहते हैं कि लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं, ऐसे में अचार संहिता लगने के चलते देश के विकास पर असर पड़ता है. BJP ने भी समय-समय पर 'एक देश, एक चुनाव' का समर्थन किया है.
क्या है 'एक देश, एक चुनाव'?'One Nation, One Election' का सीधा मतलब है पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना. यानी, केंद्र में लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ हों. मतदान भी एक ही समय पर हो. फिलहाल केंद्र और राज्य के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. केंद्र और राज्य में सरकार के 5 साल पूरे होने पर या किसी कारण सरकार गिर जाने पर.
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इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का तर्क है कि एक साथ चुनाव होने पर इसमें लगने वाला खर्च कम होगा. साथ ही पूरे देश में प्रशासन ठीक तरह से काम कर सकेगा. चुनाव होने पर प्रशासनिक अधिकारियों की ड्यूटी पर असर पड़ता है. एक साथ चुनाव होने से इन्हें एक ही बार चुनाव के लिए काम करना पड़ेगा. लॉ कमिशन ने भी कहा है कि एक साथ चुनाव कराने पर ज़्यादा लोग मतदान करेंगे.
वहीं 'One Nation, One Election' का विरोध करने वालों का कहना है कि इसके लिए संविधान में बदलाव करना होगा. सभी राज्यों की सरकारों को लोकसभा के साथ सिंक करना होगा. जैसे इस साल 4 राज्यों में चुनाव हैं, अब 2024 में लोकसभा चुनाव होने पर क्या इनमें फिर से चुनाव होंगे? या इन चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराया जाएगा? इस तरह के कई सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं.
विपक्ष का ये भी कहना है कि एक साथ चुनाव कराने में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर दिया जाएगा. केंद्र के मुद्दों पर ही बात होगी. वहीं स्थानीय पार्टियों को भी इससे खतरा होगा. क्योंकि वे केंद्रीय पार्टियों के साथ नहीं लड़ सकेंगी. एक साथ चुनाव होने पर लोगों को देश के संघवाद पर खतरा होने की भी आशंका है. मुद्दे पर हम लगातार नजर बनाए हुए हैं, जो भी अपडेट्स आते रहेंगे, हम आप तक पहुंचाते रहेंगे. आपका इस पर क्या सोचना है, हमें कमेंट करके जरूर बताएं.
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