कहते है कि कुत्ते बहुत वफादार होते हैं. चाहे वो पालतू हों या फिर गली में घूम-घूम कर सब के घरों से रोटियां खाने वाला. सही कहते हैं. इसलिए तो लोग दूसरे पालतू जानवरों को घर में रखने के बजाए कुत्ते को रखना ज्यादा पसंद करते हैं.भुवनेश्वर में एक कुत्ते ने अपने मालिक और बाकी घरवालों को सांपों से बचाने के लिए अपनी जान दे दी.
दिबाकर रायता भुवनेश्वर से 400 किलोमीटर दूर सेबेकापुर गांव में अपने परिवार से साथ रहते हैं. कुछ महीने पहले डाबरमैन नस्ल का कुत्ता वो अपने घर लेकर आए थे. आस-पास पहाड़ी इलाका होने के चलते सांपों का आना-जाना लगा रहता है. सोमवार की रात को दिबाकर के घर में भी चार कोबरा सांप घुसने की फिराक में थे. पर उन्हें मालूम नहीं था कि जिस घर में वो जा रहे हैं वहां उनका काम तमाम करने के लिए पहरेदार बैठा पड़ा है.
चारों सांप घर के अंदर होने को ही थे कि कुत्ते की नजर उन पर पड़ी. फिर क्या, भिड़ गया उनसे. वो अकेला और कोबरा चार. घंटों तक लड़ाई चली. और फाइनली कुत्ते ने चारों सांपों का काम तमाम कर दिया. पर बेचारा वो भी कुछ देर बाद भगवान को प्यारा हो गया. लड़ाई के वक्त सांपों ने उसे डस लिया था. जिसके चलते उसके पूरे शरीर में जहर फैल गया.

Source : deccanchronicle
सेम टू सेम एक खबर है मध्य प्रदेश के उमरिया इलाके से. वहां एक भैंस ने बाघ से अपने मालिक की जान बचाई.
परसुख प्रजापति बांधवगढ़ नैशनल पार्क से सटे बिजौरी गांव के रहने वाले हैं. रोज की तरह अपने गाय-भैंसों को चराने के लिए निकले थे. गाय-भैंसों को चरने छोड़ वो बैठ गए. अचानक एक बाघ उन पर टूट पड़ा. और उनका एक हाथ दबोच लिया. अचानक हुए हमले से वो सकपका गए और मदद के लिए चिल्लाने लगे. हाथ बाघ के मुंह में था इसलिए हिल भी नहीं पा रहे थे. बाघ ने फिर पंजों से परसुख की जांघ दबोच ली.
इसी दौरान पास में चर रही भैंस परसुख को बचाने के लिए दौड़ी-दौड़ी आई और बाघ पर टूट पड़ी. बाघ इस हमले से बौखला गया. उसने परसुख को छोड़ दिया और भिड़ गया भैंस से. इतना वक्त काफी था परसुख को भागने के लिए. वो निकल पड़े वहां से. कुछ देर बाघ और भैंस लड़ते रहे. उसके बाद बाघ वहां से कट लिया. परसुख को अस्पताल में भर्ती कराया गया और फॉरेस्ट रेंजर को इस घटना की खबर दी गई.