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ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर लोग आरक्षण पर क्यों सवाल उठा रहे हैं?

लोगों के दावों के पीछे क्या सच्चाई है?

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ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है (फोटो- पीटीआई)

ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है. और 900 से ज्यादा लोग घायल हैं. घायल लोग अस्पतालों में जान बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं. कई हादसे में खोए अपने लोगों की तलाश में जुटे हैं. अभी तक हादसे की 'सही वजह' सामने नहीं आई है. लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसके लिए आरक्षण की व्यवस्था को गाली देने में जुट गए. लिखने लगे कि ऐसी जगहों पर आरक्षण नहीं होना चाहिए.

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ट्विटर पर कई यूजर्स इसी तरह की बातें लिख रहे हैं. वे आरक्षण व्यवस्था के जरिये नौकरी में आए लोगों को कम स्किल्ड बता रहे हैं. शुभम शर्मा नाम के एक यूजर ने ट्वीट किया, 

"जान लीजिये रेलवे की एक पॉलिसी है 'फेल होने वालों में बेस्ट' आरक्षण सिस्टम, जिसके तहत जिम्मेदार स्टाफ को नियुक्ति की जाती है. भारत में 'फेल होने वालों में बेस्ट' कैंडिडेट की तुलना में लोगों की जान कम महत्वपूर्ण है."

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जाडोन नाम के एक यूजर ने लिखा, 

"आरक्षण वाले ही ट्रेन चलाएंगे, आरक्षण वाले ही स्टेशन कंट्रोल करेंगे तो ऐसे बड़े हादसों को कभी नहीं रोका जा सकता. आज रेलवे में 70% स्टाफ आरक्षण वाला है."

राहुल शर्मा नाम के एक ट्विटर ने लिखा है, 

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"जिस देश में 80% कर्मचारी जातिगत आरक्षण के सहारे भर्ती होते हैं, वहाँ ऐसे हादसे होना स्वाभाविक है...! 60 लोगों की दर्दनाक मौत. प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए?"

एक और यूजर 'LIVE WELL' ने ट्वीट किया, 

"जब आप आरक्षण देते हैं तो यही होता है. बिना स्किल के लोग स्टेशन मास्टर बन रहे हैं. और इसका नतीजा देख रहे हैं...ट्रेन में देरी और सब."

अभी घटना के पीछे की सही-सही वजह सामने नहीं आई है. फिर भी अगर देखें, तो ट्रेन कब चलेगी और कब रुकेगी, ये लोकोपायलट के हाथ में नहीं होता. वो या तो सिग्नल के हिसाब से चलती है, या फिर गाड़ी के गार्ड के कहे मुताबिक. लोकोपायलट और गार्ड ही वो दो लोग होते हैं, जो गाड़ी के ब्रेक लगाने का फैसला लेते हैं. गाड़ी को जब तक हरा सिग्नल मिलता रहता है, वो अपनी नियत रफ्तार से चलती है. ये प्रोटोकॉल है.

लोकोपायलट इमरजेंसी ब्रेक भी लगा सकते हैं. लेकिन अगर इमरजेंसी ब्रेक लगा दे, तो ब्रेक पाइप का प्रेशर पूरी तरह खत्म हो जाएगा और गाड़ी के हर पहिए पर लगा ब्रेक शू पूरी ताकत के साथ रगड़ खाने लगेगा. इसके बावजूद ट्रेन 800 से 900 मीटर तक जाने के बाद ही पूरी तरह रुक पाएगी.

इसके अलावा, इन तथ्यों के पीछे कोई रिसर्च या रिपोर्ट नहीं है जो साबित करे कि आरक्षण का लाभ लेकर आए लोग कम स्किल्ड होते हैं. जनवरी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि आरक्षण किसी व्यक्ति के मेरिट के खिलाफ नहीं है. बल्कि ये संविधान के तहत समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने का तरीका है.

वीडियो: हादसे के बाद ट्रेन के अंदर का मंजर, Odisha Train Accident में डिब्बों की ये हालत हो गई

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