"बारंग के पास मुझे लगा हमारे ड्राइवर ने जानबूझकर टैक्सी को धीमा कर दिया है. मैंने देखा तो गाड़ी के सामने एक आदमी अपनी बाहें फैलाए गाड़ी रोकने के लिए खड़ा था. साइड में एक स्कूटर पार्क था, जिसपर दो लोग बैठे थे.
उस गैंगरेप की पूरी कहानी, जिसकी वजह से ओडिशा के सीएम को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी
गैंगरेप के मुख्य आरोपी को 22 साल बाद महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया गया.

जिस व्यक्ति ने हमें रोका था वो रिवॉल्वर लेकर आया और मेरे साथी को बंदूक की नोक पर आगे की सीट पर भेज दिया. उसने मेरे साथी के सर पर रिवाल्वर ताने रखा और मेरे बगल में आकर बैठ गया. हमारे ड्राइवर को उन्होंने स्कूटर पर भेज दिया और हंसिया जैसा एक चाकू लिए दूसरा आदमी गाड़ी ड्राइव करने आ गया.
बंदूक की नोक पर वो हमें एक सूनसान इलाके में लेकर जाने लगे. मैंने कहा अगर इरादा लूटपाट का है तो सबकुछ ले लो. लेकिन उसने कहा उसे मुझे खाना है. एक सुनसान जगह पहुंचकर उन्होंने मुझे गाड़ी से उतारा, अलग लेकर गए. मैंने कहा इससे बेहतर वो मुझे मार डाले. उसने कहा अगर मैंने कोई विरोध किया तो वो मेरे साथी को गोली मार देगा.
उस सर्द रात मुझे पूरा नग्न किया गया और उसने अपने साथी के साथ मिलकर मेरा एक एक करके कई बार रेप किया. वो खुद को बीके कहता था और उसका साथी मियां कहलाता था. मेरा रेप करते हुए मुझे बताया जा रहा था कि ये मेरे ढीठपने का नतीजा है. कि मैं समझौता नहीं कर रही हूं और इंद्रजीत रे के खिलाफ की गई शिकायत वापस नहीं ले रही हूं. अगर मैं हां कह देती तो मुख्यमंत्री साहब मुझे रानी बनाकर रखते. अगर मैं ना कहती रही तो इसी तरह मुझे बार बार कीमत चुकानी पड़ेगी."
किस महिला के शब्द हैं ये? कहां जा रही थी वो उस गाड़ी से? कौन था रेप करने वाला जो खुद को बीके कह रहा था? कौन है इंद्रजीत रे, महिला के मुताबिक़, जिससे समझौता न करने की सज़ा उसे मिल रही थी. और अंत में, कौन था ये बड़ा नेता, ये मुख्यमंत्री, जिसका नाम महिला ले रही थी? आइए, विस्तार से जानते हैं.

बारंग पुलिस स्टेशन
क्या है पूरा मामला?
ऊपर जिस केस का जिक्र है, वो है ओडिशा का है. इस मामले में हाल ही में पुलिस ने तीसरे आरोपी को गिरफ्तार किया है. मामला 22 साल पुराना है. तीसरे आरोपी को पकड़ने की कवायद कब कैसे शुरू हुई, इसे बाद में बताएंगे, पहले इस मामले को जानने की शुरुआत जड़ से करते हैं.
1987 की बात है. ओडिशा के भुवनेश्वर में 17-18 साल की एक लड़की रहती थी. उसकी शादी इसी साल एक IFS अधिकारी से कर दी गई. शादी के बाद लड़की को कथित तौर पर उसके ससुराल वालों ने दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्तर पर. लड़की ने आगे एक मैगज़ीन को ये भी बताया था कि पति का उसकी भाभी से अफेयर भी था. जो परिवार में एक ओपन सीक्रेट जैसा था. और उसकी शादी को बेमतलब साबित करता था.
लड़की चुपचाप अपने मायके वालों के लिए ये सब सहती रही. कुछ साल बाद उसका पहला बच्चा हुआ. वो लड़की जिसने काफी कुछ सहन कर लिया था, उसने दोबारा खुद को संभालने की ठानी. अपने बच्चे के लिए. पति की हरकतों का विरोध किया. इस पर पति ने तलाक देने की धमकी दे डाली. लड़की ने तब फिर कुछ नहीं किया.
कुछ साल बाद वो दोबारा प्रेगनेंट हुई. जून 1994 में डिलीवरी हुई. इसके बाद उसके पति ने उसे राउरकेला के एक सायकायट्रिक नर्सिंग होम भेज दिया. जहां उसे कई बार इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया. इन सारी घटनाओं के करीब 6-7 साल बाद लड़की ने 'इंडिया टुगेदर' नाम की एक वेबसाइट को अपना इंटरव्यू दिया. जहां उसने बताया-
"मुझे धोखे से इस सायकायट्रिक होम में लाया गया था. जहां हर एक इलेक्ट्रिक शॉक के बाद बाद मैं ये भूल जाती थी कि मैं कौन हूं. मेरा दिल टूट चुका था. एक पूरी तरह से स्वस्थ लड़की को पागल बनाने की कोशिश की गई. मुझे तब राहत मिली, जब मेरे पैरेंट्स को एक अज्ञात नर्स ने कॉल किया और फिर वो मुझे बचाने आए. मैं दस महीनों तक अपने पैरेंट्स के साथ रही. फिर अपने बच्चों के लिए मैंने अपने पति के पास लौटने का फैसला किया. लेकिन इसका नतीजा ये रहा कि मुझे मेरे पैरेंट्स के खिलाफ एक एफिडेविट में साइन करने को कहा गया. मुझे 1996 में माउंट आबू में छोड़कर मुझे ब्रम्ह कुमारी बनाने की भी कोशिश की गई. जब मेरे पति की सारी कोशिशें खराब हो गईं, तो उसने फिर मुझे एक असायलम में छोड़ दिया. जहां के प्रशासन ने मेरे पति को एक लेटर के ज़रिए बताया कि मैं मानसिक तौर पर पूरी तरह से ठीक हूं, और वो मुझे वापस लेने आ सकता है. लेकिन वो कभी नहीं आया. फिर मेरे पिता उत्कल महिला समिती के पास पहुंचे और आखिरकार अप्रैल 1997 में मुझे रेस्क्यू किया गया."
असायलम में नौ महीने बिताने के बाद जब पीड़ित महिला बाहर आई तो 30 मई 1997 में उसने अपने पति समेत ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया. IPC के सेक्शन 498-A के तहत, यानी दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोपों के तहत. फिर इसी केस के सिलसिले में महिला की मुलाकात हुई इंद्रजीत रे से, जो उस वक्त ओडिशा के एडवोकेट जनरल थे. 11 जुलाई 1997 के दिन इंद्रजीत के ऑफिस में महिला को बुलाया गया. इसी केस के सिलसिले में बात करने के लिए.
इस मुलाकात के बाद महिला ने इंद्रजीत के ऊपर रेप की कोशिश करने के आरोप लगाए. 19 जुलाई के दिन कटक के कंटोनमेंट पुलिस स्टेशन में महिला ने इसी मामले में FIR भी दर्ज कराई. महिला के मुताबिक, मुलाकात के दौरान इंद्रजीत ने उनका यौन शोषण किया था और रेप करने की कोशिश की थी. इसके बाद इस मामले में ओडिशा के तब के सीएम जेबी पटनायक यानी जानकी बल्लभ पटनायक का नाम सामने आया. उस वक्त ओडिशा में थी कांग्रेस की सरकार, लेकिन इस केस के बाद ऐसी बाज़ी पल्टी कि तब से लेकर आज तक कांग्रेस ओडिशा में सरकार नहीं बना पाई.
इंद्रजीत रे और जेबी पटनायक का रिश्ता
क्या हुआ? बताते हैं. 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, इंद्रजीत रे को जेबी पटनायक का काफी करीबी माना जाता था. 1986 में एक मीडिया हाउस ने पटनायक के खिलाफ एक कवर स्टोरी पब्लिश की थी, इसमें पटनायक पर आरोप लगे थे कि जो भी उनके पास नौकरी के लिए जाता था, वो उसे सेक्शुअली एक्सप्लॉइट करते थे. इसके बाद पटनायक ने इस मीडिया हाउस के खिलाफ केस किया, जिसमें इंद्रजीत ने उनकी मदद की थी.
1997 में जब इंद्रजीत पर रेप की कोशिश के आरोप लगे, तो हर किसी की नज़र पटनायक पर टिकी थी. लेकिन पटनायक ने इंद्रजीत के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. फिर ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सौंपी गई CBI को. इसके बाद 1998 में इंद्रजीत ने अपने पद से इस्तीफा दिया. CBI की जांच शुरू हुई और आया साल 1999. इसी साल जनवरी महीने में महिला हुई गैंगरेप का शिकार. 9 जनवरी का दिन था. महिला अपने दोस्त के साथ भुवनेश्वर से कटक जा रही थी, अपने वकील से मुलाकात करने. साथ में एक ड्राइवर भी था. तीनों कार से सफर कर रहे थे. तभी बारंग नाम की जगह के पास तीन लोगों ने महिला की कार को रोका और गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया.

इंद्रजीत रे की फोटो. बाद में अदालत ने इंद्रजीत को रेप की कोशिश करने के लिए तीन साल का दोषी पाया.
'इंडिया टुडे' के मोहम्मद सुफियान की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जनवरी की रात महिला की कार रास्ते में थोड़ी देर के लिए रुकी. सड़क किनारे बने एक रेस्त्रां में खाने के लिए. खाने के बाद जब महिला की कार आगे बढ़ी, तो यहीं से तीन आदमियों ने इसका पीछा करना शुरू कर दिया. कुछ दूर जाने के बाद तीनों ने कार को रुकवा दिया. इन तीनों के नाम थे-
प्रदीप साहू उर्फ पाड़िया, धीरेंद्र मोहंती उर्फ पूनिया और बिबन बिस्वाल. इसी बिबन बिस्वाल को BK यानी 'बारंग किंग' कहा जाता था.
तीनों के पास हथियार थे, इसी की बदौलत इन्होंने महिला को डराया और उसका गैंगरेप किया. 10 जनवरी 1999 के दिन महिला ने कटक महिला पुलिस थाने में गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराई. 16 दिन बाद 26 जनवरी को पुलिस ने दो आरोपी धीरेंद्र मोहंती और प्रदीप को गिरफ्तार किया, लेकिन तब तक बिबन फरार हो चुका था. गैंगरेप की घटना के बाद महिला ने आरोप लगाया कि गैंगरेप के पीछे जेबी पटनायक और इंद्रजीत का ही हाथ है.
ये भी आरोप लगाया कि सीएम इस घटना को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद कई महिला संगठन और CPI, CPI(M), जनता दल समेत बाकी विरोधी पार्टियों ने पटनायक के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी. लोगों ने आंदोलन किए. सारी विरोधी पार्टियों ने बंद बुलाया. इसके बाद एक और घटना हुई. एक आदमी समेत उसके दो बेटों को कार में ज़िंदा जला दिया गया. इस घटना को लेकर भी लोगों ने पटनायक का विरोध किया. साल 2000 में होने वाले थे राज्य में विधानसभा चुनाव. पटनायक के आलोचकों ने मांग की कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. फरवरी 1999 में उन्होंने ये पद छोड़ दिया और सोनिया गांधी ने गिरिधर गमांग को ओडिशा का सीएम बनाया. ये भी बता दें कि जानकी बल्लभ पटनायक की साल 2015 में मौत हो गई थी.
CBI जांच में क्या निकला?
अब लौटते हैं गैंगरेप वाले केस पर. 26 फरवरी को ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश पर इस केस को CBI ने टेकओवर कर लिया. CBI ने 5 मई 1999 में अपनी चार्जशीट दाखिल की. अप्रैल 2002 में खुद्रा डिस्ट्रिक्ट औस सेशन जज महेंद्र नाथ पटनायक ने प्रदीप और धीरेंद्र को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को साल 2010 में बरकरार रखा. फरवरी 2020 में प्रदीप साहू को सीने में दर्द हुआ, और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
यहां तक क्या-क्या हुआ आप समझ गए होंगे. अभी वाली अपडेट पर आने से पहले थोड़ा इंद्रजीत वाला मामला भी जान लीजिए. फरवरी साल 2000 में CBI की एक अदालत ने इंद्रजीत को रेप की कोशिश वाले आरोपों में दोषी पाया और तीन साल की सज़ा सुनाई. अब बचा था एक आरोपी बिबन, यानी बीके, यही गैंगरेप वाली घटना का मुख्य आरोपी था. जिसकी गिरफ्तारी 22 फरवरी को हुई. कैसे पुलिस बिबन तक पहुंची, आगे हम इसकी कहानी बताते हैं.

महाराष्ट्र में पकड़ा गया बिबन बिस्वाल. उसने अपना नाम बदलकर जालंदर रख लिया था.
मोहम्मद सुफियान की रिपोर्ट के मुताबिक, बिबन ने अपना नाम बदलकर जालंदर रख लिया था. और महाराष्ट्र में लोनावला की एम्बी वेली में रह रहा था, जहां वो प्लम्बर के तौर पर काम कर रहा था. कटक और भुवनेश्वर के पुलिस कमिश्नर सुधांशु सारंगी ने बिबन की गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बात की और बताया कि कैसे पुलिस इस आरोपी तक पहुंची. कमिश्नर ने बताया कि करीब तीन महीने पहले उन्होंने धीरेंद्र से मुलाकात की थी, जो इस वक्त जेल में बंद है. और पूछा कि क्या वो जानता है कि इस वक्त बिबन कहां है? धीरेंद्र ने बताया कि उसे कोई जानकारी नहीं है.
इसके बाद कमिश्नर सारंगी ने इस केस की पुरानी फाइल्स को पढ़ना शुरू किया, पाया कि बिबन ही मुख्य आरोपी है और जिन दो को सज़ा दी गई, वो तो उसके साथी थे. आगे कमिश्नर ने बताया-
"जब मुझे ये समझ आया कि मुख्य आरोपी की तो अभी तक गिरफ्तारी ही नहीं हुई है, तो हमने उसे पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन लॉन्च किया, नाम रखा 'साइलेंट वाइपर'. प्रण लिया कि इसे पकड़कर ही रहेंगे. फिर हमने एक टीम बनाई. बिबन बारंग इलाके के नारनपुर गांव का रहने वाला था. हमें पता चला कि वो अपने परिवार को अभी भी कभी-कभी पैसे भेजता है. और कभी-कभी मिलने भी आता है. फिर छानबीन में हमें पता चला कि बिबन का परिवार जालंदर नाम के आदमी का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने की कोशिश कर रहा है. जबकि नारनपुर गांव में जालंदर नाम का कोई आदमी था ही नहीं. फिर हमने इसी नाम के बारे में और जानकारी जुटानी शुरू की और पता लगा कि वो एम्बी वैली में रह रहा है. हमारी स्पेशल टीम 19 फरवरी को मुबंई के लिए निकली. और उसे खोजकर गिरफ्तार किया."
इस मामले में मुंबई पुलिस ने भी कटक पुलिस का साथ दिया था. 22 फरवरी को जब बिबन की गिरफ्तारी हुई तो पीड़ित महिला ने इस मुद्दे पर 'इंडिया टुडे' से बात की. कहा,
"मैंने तो उम्मीद ही खो दी थी कि मुझे न्याय मिलेगा. अब मुझे कुछ उम्मीद दिख रही है. पुलिस कमिश्नर सुधांशु सारंगी को मैं धन्यवाद कहती हूं. मैं चाहती हूं कि उसे मौत की सज़ा मिले नहीं तो कम से कम उम्रकैद की सज़ा तो दी ही जाए."
22 साल बाद उस मामले का मुख्य आरोपी गिरफ्तार हुआ, जिसने ओडिशा की सरकार को हिलाकर रख दिया था. जिसके लिए कई सारे प्रोटेस्ट हुए. वो महिला जिसने घरेलू हिंसा, यौन शोषण और फिर गैंगरेप का सामना किया, लेकिन लगातार लड़ती रही. उसे ऑडनारी की टीम सलाम करती है.