साल 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरीना मचाडो को देने की घोषणा हुई. इसके बाद, नोबेल समिति के अध्यक्ष से वो सवाल पूछ ही लिया गया, जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को पीस प्राइज़ क्यों नहीं दिया गया? जवाब में उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि निर्णय हमेशा काम के आधार पर लिये जाते हैं.
ट्रंप को क्यों नहीं मिला नोबेल? विजेता चुनने वाली कमेटी के अध्यक्ष ने साफ शब्दों में बता दिया
US President Donald Trump कई बार दावा कर चुके हैं कि आठ महीनों में वो ‘आठ युद्धों’ को रुकवाएं हैं. इसके लिए उन्होंने Nobel Peace Prize पर दावा भी ठोंक दिया था. मगर ये हो न सका.


नोबेल समिति के अध्यक्ष योर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा,
नोबेल शांति पुरस्कार के लंबे इतिहास में इस समिति ने हर तरह के कैंपेन और मीडिया एटेंशन को देखा है... हमें हर साल हजारों लेटर्स मिलते हैं, जिनमें लोग बताते हैं कि उनके लिए शांति का क्या मतलब है. ये साहस और इंटिग्रिटी से ओतप्रोत करने वाला होता है. समिति सभी पुरस्कार विजेताओं की तस्वीरों से भरे एक कमरे में बैठती है. हम अपने फैसले सिर्फ काम और अल्फ्रेड नोबेल की इच्छाशक्ति के आधार पर लेते हैं.
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पिछले कुछ समय से डॉनल्ड ट्रंप कई बार दावा करते आए हैं कि आठ महीनों में वो ‘आठ युद्धों’ को रुकवा चुके हैं. इसके ऐवज में उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार पर दावा ठोंक दिया. लेकिन ट्रंप को नोबेल तो नहीं ही मिला. मचाडो को चुनते हुए नोबेल समिति ने कहा,
बीते एक साल में मारिया कोरीना मचाडो को छिपकर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अपनी जान को गंभीर खतरों के बावजूद, वो देश में ही रहीं. इस फैसले ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है. जब अथॉरिटेरियन लोग सत्ता हथिया लेते हैं, तो उन साहसी लोगों को पहचानना जरूरी हो जाता है जो उठ खड़े होते हैं और विरोध करते हैं.
बीते साल का नोबेल शांति पुरस्कार जापानी परमाणु बम सर्वाइवर निहोन हिदानक्यो को दिया गया था. इस साल, समिति ने विजेता का फैसला करने से पहले कुल 338 नॉमिनेशंस की समीक्षा की. इनमें 244 लोग और 94 संगठन शामिल थे.
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