क्लाउडिया गोलडिन (Claudia Goldin). अर्थशास्त्र में इस बार की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. इनके नाम पर बने एक ‘X’ (ट्विटर) अकाउंट से एक ट्वीट हुआ. ट्वीट में कहा गया- 'नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) का निधन हो गया.' लोगों ने इस पर विश्वास करना शुरू किया. कुछ मीडिया संस्थानों ने तो अमर्त्य सेन के निधन की खबर छाप दी. लेकिन कुछ ही देर में अर्थशास्त्री सेन की बेटी नंदना सेन ने ट्वीट कर अपने पिता के निधन की खबर का खंडन कर दिया. उन्होंने लिखा,
अमर्त्य सेन के निधन की फर्जी खबर चलाने वाला पत्रकार 'झूठों का सरताज' है!
अमर्त्य सेन के निधन का दावा जंगल में आग की तरह फैल गया था. उनकी बेटी ने ट्वीट कर इन दावों का खंडन किया.
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सेन के निधन की खबर फैलाने में इटालियन पत्रकार का हाथ!"दोस्तो, सहानुभूति दिखाई इसके लिए शुक्रिया, लेकिन मेरे पिता के निधन की खबर फर्जी है. बाबा पूरी तरह से स्वस्थ हैं. हमने कैंब्रिज में पूरे परिवार के साथ एक बेहतरीन हफ्ता बिताया है. उनका कल रात में हमें बाय कहते हुए हग करना हमेशा की तरह काफी बेहतर था. वह हार्वर्ड में हर सप्ताह 2 कोर्स पढ़ा रहे हैं और अपनी किताब पर काम कर रहे हैं.”
इसी बीच क्लाउडिया गोलडिन के अकाउंट से एक और ट्वीट हुआ. इसमें लिखा गया- यह एक फर्जी अकाउंट है जिसे इटली के पत्रकार Tommaso De Benedetti ने बनाया है.
इस नाम को हमने गूगल पर सर्च किया. पता चला कि यह इटली के एक पत्रकार हैं जो फेक न्यूज फैलाने के लिए कुख्यात हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टोमासो ‘X’ पर कई चर्चित लोगों को ‘मार’ चुके हैं. मतलब उनकी मौत की फर्जी खबर चला चुके हैं. इस लिस्ट में पोप बेनेडिक्ट 16, क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो और हैरी पॉटर सीरीज की लेखिका जेके रॉलिंग जैसे बड़े नाम शामिल हैं. डी बेनेडेटी यह काम पिछले कई सालों से कर रहे हैं.

हमें बचपन से सिखाया जाता है- सच बोलो, सच्चाई का साथ दो. और हां, जीत हमेशा सच की होती है. लेकिन टोमासो डी बेनेडेटी की जिंदगी का मिशन क्लियर है. ‘बिजनेस इंसाइडर’ की एक रिपोर्ट की मानें तो टोमासो का मिशन है इटली का झूठों का सरताज बनना. रिपोर्ट में बताया गया है कि टोमासो डी बेनेडेटी इटली के एक स्कूल में हिस्ट्री के टीचर हैं और दो बच्चों के पिता हैं. उनके पिता और दादा दोनों पत्रकार थे. लेकिन उन्होंने अपने पुरखों से इतर ‘झूठी पत्रकारिता’ को चुना. उन्होंने साल 2000 में इटली के एक मीडिया हाउस में काम करते हुए ‘धोखाधड़ी’ का अपना मिशन शुरू किया. कहा जाता है कि इस दौरान बेनेडेटी के 60 से अधिक कथित इंटरव्यूज अखबारों ने छाप दिए. उन्होंने जिन लोगों का कथित इंटरव्यू लिया उनमें दलाई लामा, जॉन ग्रिशम और डेसमंड टूटू जैसे बड़ी हस्तियां शामिल हैं.
लेकिन रिपोर्ट में द न्यू यॉर्कर’ के हवाले से बताया गया है कि टोमासो के महान हस्तियों के साथ लिए गए सभी इंटरव्यू पूरी तरह से फर्जी हैं. उन्होंने इन काल्पनिक साक्षात्कारों को छापने की प्रक्रिया में इटली के कई एडिटर्स को बेवकूफ बनाया.
टोमासो लगभग 10 साल तक बड़े-बड़े लोगों का कथित इंटरव्यू ले रहे थे. उनके इंटरव्यू छप रहे थे. उन्हें इस काम के 20 से 40 यूरो मिलते थे. लेकिन फिर आया साल 2010. इटली के एक समाचार लिबेरो (Libero) में अमेरिकी लेखक फिलिप रॉथ का कथित इंटरव्यू छपा. इस इंटरव्यू में टोमासो डी बेनेडेटी के सवालों का जवाब देते हुए फिलिप ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की आलोचना कर दी थी. इसके बाद इटली के ही एक अन्य पत्रकार ने फिलिप से ओबामा के इंटरव्यू को लेकर सवाल किया. तो मालूम पड़ा कि फिलिप ने यह इंटरव्यू कभी दिया ही नहीं था. इस घटना ने टोमासो का भंडाफोड़ कर दिया.

54 साल के टोमासो अपनी करनी को जस्टिफाई भी करते हैं. कहते हैं कि उनका मकसद है मीडिया के काम को लोगों के बीच उजागर करना. ‘द गार्डियन’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया,
“इटली की मीडिया कभी भी किसी सूचना की जांच-पड़ताल नहीं करता है, खासकर अगर यह उनकी राजनीतिक विचारधारा से मेल खाता हो. यही कारण है कि दक्षिणपंथी अखबार ‘लिबरो’ ने ओबामा पर रोथ की आलोचना को हाथों-हाथ लिया. मुझे इस बात का डाउट भी था कि संपादक जानते थे कि मैं मनगढ़ंत इंटरव्यू दे रहा हूं, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे प्रकाशित कर दिया.”
टोमासो का मानना है सोशल मीडिया दुनिया में अपुष्ट खबरों का सबसे बड़ा सोर्स है, लेकिन जल्दी खबर छापने की होड़ के कारण मुख्यधारा की मीडिया भी इन खबरों पर विश्वास कर लेता है.
कुलमिलाकर, लुब्बे-लुबाब यह है कि सोशल मीडिया पर दी गई किसी भी जानकारी को बिना वेरिफाई किए सच न मान लें. और शेयर करने की जल्दबाजी तो बिल्कुल भी न करें.
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