30 दिसंबर 2015 (अपडेटेड: 31 दिसंबर 2015, 05:33 AM IST)
जबसे 'सेल्फी' मार्केट में आई है, 'एंजल प्रिया' टाइप के लोगों से लेकर बड़े बड़े स्टार लोगों तक सबने सेल्फी पोस्ट कर के ट्विटर पर नरक काट दिया. फिर मोदी जी को भी लगा चस्का और सेल्फी को ले आए पॉलिटिक्स में. वो क्या चला था सेल्फी विद डॉटर करके? जिसमें लोगों को लगता था कि बेटी के साथ फोटू लगा देंगे तो देश की औरतों को उनके अधिकार मिल जाएंगे. मासूम सी कोशिश है. खैर, ऐसी ही एक कोशिश कर रहा है कलकत्ता का एक NGO. नाम है NGO का 'गौसेवा परिवार'. और कोशिश का नाम है 'सेल्फी विद काओ'. जिसे शुरू किया गया है गौहत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए. ग्रुप के लोगों का कहना है कि गइया केवल दूध देने के लिए नहीं होती. उसके गोबर और सूसू से बन सकता है शैम्पू, टूथपेस्ट, अगरबत्ती और साबुन जैसी चीजें. और तो और इन प्रोडक्ट्स को बनाने वालों को रोजगार भी मिलता है. इसलिए वो जब दूध देना बंद कर दे, उसे बूचड़खाने में नहीं बेचना चाहिए. ग्रुप की मानें तो उनका मकसद सिर्फ गायों ही नहीं, दूसरे जानवरों पर हो रहे अत्याचार को भी रोकना है. अत्याचार तो कुछ महीनों पहले भी हुआ था. 'बीफ' के नाम पर. खैर आप 'गोमाता' के साथ अपनी सेल्फी अपलोड करिए और लाइक्स पाइए.