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रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल रहेगी जारी, अब दिल्ली पुलिस के सामने रखीं ये दो शर्तें

डॉक्टर्स के साथ दिल्ली पुलिस के दुर्व्यवहार ने सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं

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NEET-PG काउंसिलिंग में देरी को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स स्ट्राइक पर हैं (फोटो: इंडिया टुडे)
नीट-पीजी काउंसलिंग (NEET PG counseling) में देरी को लेकर दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल जारी रहेगी. प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स ने मंगलवार 28 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात के बाद यह फैसला लिया है. इन डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक दिल्ली पुलिस उनसे माफ़ी नहीं मांगेगी, वे स्ट्राइक जारी रखेंगे. जूनियर डॉक्टर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स को कॉलेज आवंटित होने में हो रही देरी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री से बैठक के बाद FORDA ने क्या कहा? मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ बैठक के बाद फेडरेशन ऑफ रेंजीडेंट डॉक्‍टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने देर शाम रेजिडेंट डॉक्टर्स की एक मीटिंग की. इसमें आगे की रणनीति पर विचार किया गया. इस बैठक के बाद FORDA के प्रेसिडेंट डॉ मनीष ने एक बयान जारी कहा,
"आज करीब 3 बजे हमारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया जी के साथ बैठक हुई. इसमें हमने अपनी दो महत्वपूर्ण बातें रखीं. एक जो सुप्रीम कोर्ट में 6 जनवरी को इस मामले की सुनवाई है, उसमें सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश करे कि NEET PG counseling की डेट मिल जाए. दूसरी जो पुलिस ने हमारे रेजिडेंट डॉक्टर्स को मारा पीटा है, गालियां दी हैं, इसे लेकर एक लिखित माफ़ी पुलिस की तरफ से मांगी जाए. साथ ही जो FIR हमारे खिलाफ दर्ज की गई है उसे वापस लिया जाए."
डॉ मनीष के मुताबिक सभी डॉक्टर्स ने फैसला लिया है कि जब तक दिल्ली पुलिस अपने बर्ताव के लिए माफ़ी नहीं मांगेगी और रेजिडेंट डॉक्टर्स के खिलाफ दर्ज की गई FIR वापस नहीं ली जाएगी, तब तक स्ट्राइक जारी रहेगी. सरकार ने की डॉक्टर्स से काम पर लौटने की अपील सोमवार, 27 दिसंबर को जब दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टर्स की पुलिस से झड़प हुई तो आंदोलन और तेज हो गया. कुछ घंटे बाद ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग के बाद ANI को दिए बयान में मंडाविया ने कहा,
“रेजिडेंट डॉक्टर तुरंत काउंसलिंग शुरू करने के लिए कई दिनों से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ मेरी विस्तार से बैठक हुई है. सुप्रीम कोर्ट में केस होने की वजह से हम काउंसलिंग नहीं करा पा रहे हैं. 6 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई है. इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से हम सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट जमा कर देंगे. हमारे डॉक्टर 27 दिसंबर को जब धरना दे रहे थे तब उनके साथ पुलिस की ओर से दुर्व्यवहार हुआ, उसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं. मैं सभी डॉक्टर्स से अपील करता हूं कि कोविड के संकट में हमारे देश के नागरिकों, मरीज़ों को दिक्कत न हो उसके लिए अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर लें."
पुलिस और डॉक्टर्स के बीच क्या हुआ था? 27 दिसंबर को रेजिडेंट डॉक्टर्स दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल से सुप्रीम कोर्ट तक मार्च निकालना चाह रहे थे. मार्च जब ITO पर पहुंचा तो दिल्ली पुलिस ने डॉक्टर्स को रोकने की कोशिश की. इस दौरान पुलिस और डॉक्टर्स के बीच झड़प हो गयी. पुलिसकर्मियों पर डॉक्टर्स से मारपीट और महिला डॉक्टर्स से बदसलूकी करने के आरोप लगे. कई डॉक्टर हिरासत में ले लिए गए, तगड़े विरोध के चलते पुलिस को कुछ देर बाद ही इन्हें छोड़ना पड़ा, लेकिन उसने पुलिस के काम में बाधा डालने और विरोध के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के खिलाफ FIR दर्ज कर ली. स्ट्राइक से दिल्ली के अस्पतालों पर पड़ रहा असर रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक से केंद्र सरकार द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जल्द डॉक्टर्स की स्ट्राइक खत्म करवाने का अनुरोध किया है. पीएम को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट की बढ़ती चिंताओं के बीच रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक चिंताजनक है. केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि विरोध के कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हो गई है, ऐसे में स्ट्राइक जल्द खत्म करवाने के लिए इनकी मांगे मान ली जाएं.

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