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जम्मू-कश्मीर के सभी स्कूलों में सुबह की असेंबली में राष्ट्रगान अनिवार्य, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

शिक्षकों को फ्रीडम फाइटर्स की आत्मकथाओं पर चर्चा करने, स्कूल के इवेंट्स के बारे में डेली अनाउंसमेंट करने और स्टूडेंट्स को प्रेरित करने के लिए मोटिवेशनल स्पीच देने का निर्देश दिया गया है.

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सर्कुलर में नशीली दवाओं के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की गई है. (सांकेतिक फोटो- ट्विटर)

जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में सुबह की असेंबली में राष्ट्रगान (National anthem J&K) को अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने एक सर्कुलर के माध्यम से ये आदेश जारी किया है. 12 जून को जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया कि स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के अनुसार सुबह की असेंबली की शुरुआत राष्ट्रगान से होनी चाहिए.

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स्कूली शिक्षा विभाग ने कहा कि छात्रों में एकता और अनुशासन की भावना को बढ़ावा देने में सुबह की असेंबली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सर्कुलर में कहा गया कि असेंबली नैतिकता, साझा समुदाय और मानसिक शांति जैसे मूल्यों को बढ़ावा देने के मंच के रूप में काम करती है. हालांकि ये देखा गया है कि जम्मू और कश्मीर के सभी स्कूलों में इसका समान रूप से पालन नहीं किया जा रहा है. सर्कुलर में स्कूलों को फॉलो करने के लिए 16 कदम भी सुझाए गए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विभाग ने स्कूल की मॉर्निंग असेंबली में गेस्ट स्पीकर्स को बुलाने और नशीली दवाओं के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की गई है. साथ ही स्कूलों को ये निर्देश भी दिया गया है कि सुबह की असेंबली 20 मिनट तक चले. जिसके लिए स्टूडेंट और शिक्षकों को दिन की शुरुआत में निर्धारित जगह पर एकत्रित होना होगा. शिक्षकों को फ्रीडम फाइटर्स की आत्मकथाओं पर चर्चा करने, स्कूल के इवेंट्स के बारे में डेली अनाउंसमेंट करने और स्टूडेंट्स को प्रेरित करने के लिए मोटिवेशनल स्पीच देने का निर्देश दिया गया है.

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महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

राज्य के शिक्षा विभाग के इस सर्कुलर पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्र शासित प्रदेश में हाल के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा,

"मेरी पीढ़ी राष्ट्रगान गाते हुए बड़ी हुई है, चाहे वो स्कूलों में हो, सार्वजनिक समारोहों में हो या फिर सिनेमा हॉल में फिल्म खत्म होने के बाद भी. इसे एक नियम के रूप में देखा जाता था, ना कि सरकार की ओर से जारी किसी आदेश के रूप में."

पूर्व सीएम ने केंद्र सरकार पर प्रदेश के स्कूलों को “प्रचार स्थल” बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी इन संस्थानों का उपयोग तथाकथित सामान्य स्थिति के अपने झूठे आख्यान को फैलाने के लिए कर रही है. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऐसे आदेश अधिकतर वास्तविक मुद्दों और सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ही आते हैं.

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