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'नमो ब्रिगेड' का फाउंडर RTI एक्टिवस्ट के मर्डर केस में गिरफ्तार

तीन महीने से फरार था. विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी का टिकट चाह रहा था.

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विनायक, नरेश शेनॉय.
कर्नाटक के आरटीआई एक्टिविस्ट थे विनायक बालिगा. 21 मार्च को मंगलुरु में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी है नरेश शेनॉय. जिसे रविवार शाम गिरफ्तार कर लिया गया. शेनॉय नमो (नरेंद्र मोदी) सपोर्टर्स ग्रुप का फाउंडिंग मेंबर है और अगले विधानसभा चुनावों में उसके बीजेपी से टिकट पाने की उम्मीद भी थी. संडे की दोपहर मंगलुरु पुलिस ने उसे हेजमडी से गिरफ्तार किया.

बिजली मकैनिक थे, पर 90 RTI डाल चुके थे बालिगा

RTI एक्टिविस्ट विनायक बालिगा की 21 मार्च को उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वो मॉर्निंग वाक पर निकले हुए थे. रोज टहलते हुए वह शहर के वेंकटरमण मंदिर जाते थे. मंदिर जाते हुए रास्ते में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बालिगा बिजली का काम करते थे और 90 से ज्यादा RTI डाल चुके थे. जिनमें से ज्यादातर शहर में बिजली की चोरी रोकने से जुड़ी हुई थीं. उन्होंने शहर के बहुत से गरीब परिवारों की RTI के जरिये मदद की थी. जिनको उनका हक नहीं मिला था. बालिगा की शादी नहीं हुई थी और वो अपने माता-पिता और तीन बहनों के साथ रहते थे. वेंकटरमण मंदिर में आने वाले पैसों के घपले को लेकर भी उन्होंने कुछ खुलासा किया था. सूत्रों का कहना है शेनॉय मंदिर प्रबंधन का करीबी है.

लंबे अरसे से तलाश थी, अब धराया

23 जून को पुलिस ने कोर्ट में 770 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी. इसमें नरेश शेनॉय को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था. पुलिस ने बताया बहुत दिन से हम इसके पीछे पड़े थे. शेनॉय पहले जम्मू-कश्मीर फिर यूपी में गोरखपुर और लखनऊ में छिपा रहा. फिर कुछ दिन नेपाल के बॉर्डर पर किसी गांव में छिपा रहा. पिछले हफ्ते जब पुलिस ने चार्जशीट दायर की थी तभी से ये अफवाह थी कि शेनॉय पुलिस की पकड़ में आ गया है. इसका नाम तब सामने आया जब नीतीश देवाडिगा और विनीत पुजारी को पुलिस ने 25 मार्च को गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि ये दोनों कॉन्ट्रैक्ट किलर हैं. और श्रीकांत मूल्य नाम के जिस आदमी ने इन्हें सुपारी दी थी. वो नरेश शेनॉय के लिए काम करता है.

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