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हर दिन 100 से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर सुसाइड कर रहे, वजह जानकर सोच में पड़ जाएंगे

आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर है.

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ईंट भट्टे में मजदूर (फोटो- PTI)

कोविड लॉकडाउन के बाद की तस्वीरें आपको याद होगी. सड़कों पर प्रवासी मजदूरों के पैदल चलने की, सिर पर सामान और बच्चों के हाथ पकड़कर चलने की, सड़कों पर फंसे होने की, अपने गांव-घर जाने के लिए जद्दोजहद की. ये सभी तस्वीरें आपने कहीं न कहीं देखी ही होगी. इस दौरान देश की एक और तस्वीर थी, जो शायद आपने नहीं देखी होगी. इस जद्दोजहद के बीच देश में हर दिन 100 से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर (Daily wage workers) आत्महत्या कर रहे थे. खुद केंद्र सरकार ने ये जानकारी दी है.

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आपने शहरों में काम करते हुए बिल्डिंग गिरने से, वेस्टेज टैंक में सफाई करने से, फैक्ट्री में गैस रिसने या आग लगने से मजदूरों के जान जाने की खबरें पढ़ी होगी. लेकिन शहरों को सजाने में लगे मजदूरों के भीतर खुद की जान ले लेने की इस प्रवृत्ति से अनजान होंगे. केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को लोकसभा में बताया कि साल 2019 और 2021 के बीच 1 लाख 12 हजार दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की. सरकार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में इन मजदूरों के बीच आत्महत्या के मामले बढ़े हैं.

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में डेटा शेयर किया. आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में 42004 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की. हर दिन के हिसाब से देखें तो यह संख्या 115 होती है. साल 2020 में ये संख्या 37,666 थी और उसके पिछले साल यानी 2019 में 32,563 थी. पिछले साल एक लाख 64 हजार लोगों ने आत्महत्या की थी. इस तरह अगर देखें तो आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर है.

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सुसाइड रोकने के लिए सरकार क्या कर रही?

कांग्रेस सांसद सुब्बुरमण थिरुनवुक्करासर ने सरकार से पूछा कि सरकार इन मजदूरों को आत्महत्या से बचाने के लिए क्या कर रही है. इस पर सरकार ने कई योजनाओं का हवाला दिया. भूपेंद्र यादव ने बताया कि असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा एक्ट, 2008 के तहत डेली वर्कर्स को कई योजनाओं में कवर किया गया है. इसमें उनकी स्वास्थ्य सुविधा, जीवन बीमा और पेंशन योजनाओं को गिनाया. मंत्री ने इसमें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन पेंशन योजना का जिक्र किया.

हालांकि इन सुरक्षा योजनाओं के बावजूद दिहाड़ी मजदूरों में आत्महत्या की दर लगातार बढ़ी है. साल 2014 से अगर देखें तो आत्महत्या में 166 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अलग-अलग रिपोर्ट्स बताती हैं कि मजदूरों में सुसाइड बढ़ने के पीछे रोजगार नहीं मिलना, अचानक रोजगार छिन जाना, गरीबी, कर्ज, महंगाई जैसे कारण शामिल होते हैं.  

सुसाइड डेटा को अलग-अलग कैटगरी में बांटा गया है. दिहाड़ी मजदूरों के बाद सुसाइड करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या हाउसवाइफ की है. डेटा के मुताबिक, साल 2021 में 23,179 हाउसवाइफ ने आत्महत्या की. सरकार ने बताया है कि पिछले साल 13,714 बेरोजगार लोगों ने सुसाइड की है.

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(अगर आप या आपके किसी परिचित को खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आ रहे हैं तो आप 9152987821, 9820466726 नंबरों पर फोन करें. यहां आपको उचित सहायता मिलेगी. मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस होने पर डॉक्टर के पास जाना उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक बीमारी का इलाज कराना. खुद को नुकसान पहुंचाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.)

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