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'G20 में दिखाना चाहिए', मुजफ्फरनगर वाले वीडियो पर विपक्ष ने मोदी सरकार पर क्या आरोप लगाया?

AIMIM अध्यक्ष ओवैसी ने कहा है कि ये पिछले 9 साल का नतीजा है.

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मुजफ्फरनगर से वायरल हुए बच्चे के वीडियो पर विपक्ष की बात सुनी? (साभार - ट्विटर/पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक स्कूल से जो वीडियो वायरल हुआ, वो देश के कोने-कोने तक पहुंचा. इसमें एक महिला टीचर एक UKG के बच्चे को स्कूल के दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवा रही हैं. थोड़ी देर बाद ख़बर आई कि पीड़ित के पिता ने टीचर के साथ समझौता कर लिया है. महिला टीचर के खिलाफ केस भी दर्ज हो गया है. पर सारे सवालों का जवाब नहीं मिला है. इस घटना के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है और नफरत फैलाने का आरोप लगाया है.

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AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ये पिछले 9 साल का नतीजा है. बच्चों को सिखाया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को मारा जा सकता है. इसपर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा,

"मुज़फ़्फ़रनगर का वीडियो जिसमें एक शिक्षिका अपने छात्रों से एक मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने के लिए कह रही है, पिछले 9 वर्षों का प्रोडक्ट है. छोटे बच्चों के दिमाग में यह संदेश डाला जा रहा है कि कोई भी किसी मुस्लिम को बिना किसी परिणाम के पीट सकता है और अपमानित कर सकता है.

बच्चे के पिता ने अपने बच्चे को स्कूल से निकाल लिया है और लिखित में दिया है कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते क्योंकि उन्हें पता है कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा और इसके बजाय इससे 'माहौल' खराब हो सकता है. ये कौन लोग हैं जो अपने बच्चे के लिए न्याय मांग रहे एक पिता पर माहौल को 'खराब' करेंगे?

ये दिखाता है कि लोगों को योगी सरकार की न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है. ऐसा भी हो सकता है कि शिक्षक को दंडित होने के बजाय कोई सरकारी पुरस्कार मिल जाए.

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 स्पष्ट है. मुजफ्फरनगर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. NCPCR और NHRC आमतौर पर बहुत जल्द स्वत: संज्ञान लेते हैं. पर इस मामले में उन्होंने कुछ नहीं किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, NCPCR न्याय सुनिश्चित करने के बजाय वीडियो के वायरल होने को लेकर अधिक चिंतित है.

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इस मामले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बयान दिया है. उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस वीडियो को G20 Summit में दिखाना चाहिए. अखिलेश ने ट्विटर पर लिखा,

“मुजफ्फरनगर के एक वायरल वीडियो में एक टीचर एक अल्पसंख्यक बच्चे को दूसरे बच्चों से पिटवा रही है. इसमें वो दोहरे अपराध की दोषी हैं क्योंकि वो पिटवा भी रही है और दूसरे बच्चों को हिंसक भी बना रही है. भाजपा सरकार ये वीडियो G20 की मीटिंग में दिखाकर साबित करे कि उसका नफ़रती एजेंडा किस तरह से सही है. ऐसी टीचर शिक्षक समाज पर धब्बा है, पूरे देश के शिक्षकों को उस टीचर को दंडित करने के लिए आवाज़ उठानी चाहिए.”

वहीं, राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के नेता जयंत चौधरी ने भी ट्वीट कर लिखा,

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“मुजफ्फरनगर स्कूल का वीडियो एक दर्दनाक चेतावनी है. गहरा होता जा रहा धार्मिक विभाजन अल्पसंख्यक समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़का सकता है. मुजफ्फरनगर के हमारे विधायक यह सुनिश्चित करेंगे कि यूपी पुलिस स्वत: मामला दर्ज करे और बच्चे की शिक्षा बाधित न हो.”

यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने इस घटना पर पीएम मोदी से सवाल किया कि उन्हें नींद कैसे आ रही है. श्रीनिवास ने लिखा,

"प्रधानमंत्री जी, नींद कैसे आ रही है?

मुझे मुजफ्फरनगर में एक शिक्षक के वायरल वीडियो से घिन्न आ रही है. वीडियो में वो अपने छात्रों को एक बच्चे पर उसके धर्म के आधार पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. यह मानवाधिकारों और गरिमा का उल्लंघन है. ये काम घृणा और हिंसा की भावना से भरा हुआ है. मैं शिक्षक और स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता हूं."

टीचर के खिलाफ FIR दर्ज

वायरल वीडियो के बाद टीचर तृप्ता त्यागी के खिलाफ मंसूरपुर थाने में FIR दर्ज कर ली गई है. उन पर IPC की धारा 323 और 504 लगाई गई हैं. हालांकि, दी लल्लनटॉप ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील से बात कर बताया था कि तृप्ता पर कौन-कौन सी धारा लगाई जा सकती है. फिलहाल लगाई गई धाराओं से साफ़ दिख रहा है कि मामले में कोताही बरती जा रही है. अब ये पीड़ित बच्चे के पिता की ओर से है, जिन्होंने टीचर के साथ ‘समझौता’ कर लिया था, या पुलिस की तरफ से, ये कहा नहीं जा सकता.

FIR में लगी कमजोर धाराएं

बच्चे के इस वीडियो पर राहुल गांधी ने जो कहा, वो आप यहां पढ़ सकते हैं. 

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