कहा जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से आम लोगों को फायदा होगा. वहीं, उन लोगों को विशेष रूप से बड़ी राहत मिलेगी जिन्हें ढाई लाख रुपये के पीएफ डिपॉजिट पर मिलने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स चुकाने को कहा गया था. वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये घोषणा की थी. हालांकि मंगलवार को उन्होंने इसमें बदलाव कर दिया.

लोकसभा में बहस के दौरान निर्मला सीतारमण. (तस्वीर- पीटीआई)
बीती 1 फरवरी के बजट भाषण में की गई घोषणा के हवाले से वित्त मंत्री ने बताया कि केवल एक प्रतिशत पीएफ कॉन्ट्रिब्यूटर्स पर ही इस टैक्स का असर पड़ता. उन्होंने कहा कि बाकी के कर्मचारियों और उनकी कंपनियां इससे प्रभावित नहीं होते, क्योंकि उनका सालाना पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन ढाई लाख रुपये से कम ही है. इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में ध्वनि मत से फाइनेंस बिल 2021 पारित कर दिया गया. बिल को लेकर हुई बहस के दौरान 127 संशोधनों को सरकार ने स्वीकार किया. इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सरकार की तरफ से दिए गए टैक्स प्रपोजल्स प्रभाव में आ जाएंगे. पेट्रोल-डीजल पर क्या बोलीं निर्मला? मंगलवार को हुई बहस में पेट्रोल-डीजल को लेकर भी वित्त मंत्री से कई सवाल किए गए. विपक्ष की ओर से ये बात कई दिनों से कही जा रही है कि गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की कीमतों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने को लेकर सरकार का क्या विचार है. इस पर केंद्रीय मंत्री ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में उन्हें इस मुद्दे पर बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि केवल केंद्र सरकार ही मोटर फ्यूल पर टैक्स नहीं लगाती, राज्य सरकारें भी ऐसा करती हैं. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले राज्यसभा में इसी मुद्दे पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इसी तरह का बयान दिया था. यहां बता दें कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक इसी महीने हो सकती है.