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मिल्कीपुर में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग से किसको फायदा? BJP के इन समीकरणों से सपा की हार तय?

Milkipur विधानसभा Samajwadi Party का गढ़ मानी जाती रही है. लेकिन लगभग 65 फीसदी से ज्यादा हुई वोटिंग ने सियासी जानकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या हो गया की मिल्कीपुर उपचुनाव में इतनी बंपर वोटिंग हुई? इस चर्चा के पीछे कुछ वजहें भी है जो साफ दिखाई दे रहे हैं.

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मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर इस बार 65 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है (फोटो: आजतक)
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कुमार अभिषेक

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा (Milkipur Election) सीट पर हुई बंपर वोटिंग के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. उपचुनाव में इस बार 65 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है. इस बंपर वोटिंग के बाद जहां एक तरफ BJP नेताओं के चेहरे खिले हुए हैं. वहीं, ये चर्चा भी चल पड़ी है कि क्या अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी (SP) का किला ढह जाएगा? इस चर्चा के पीछे कुछ वजहें भी हैं, जो साफ दिखाई दे रही हैं.

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मिल्कीपुर विधानसभा सपा का गढ़ मानी जाती रही है. लेकिन लगभग 65 फीसदी से ज्यादा हुई वोटिंग ने सियासी जानकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या हो गया की मिल्कीपुर उपचुनाव में इतनी बंपर वोटिंग हुई? जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में 60 फीसदी से कम वोटिंग हुई थी.

धांधली के आरोप

समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर उपचुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली, सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और बाहर के वोटरों को बुलाकर फर्जी वोटिंग के साथ बुर्का हटाकर मतदाताओं की चेकिंग का आरोप लगाया. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक के बाद एक धड़ाधड़ कई पोस्ट किए और अयोध्या प्रशासन और चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया.

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साम-दाम-दंड-भेद, सब-कुछ…

उधर अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो BJP ने इस चुनाव में जमीन पर उतरकर वोटरों पर अपनी पैठ बिठाई. आजतक से जुड़े ‘कुमार अभिषेक’ की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, BJP ने सभी मोर्चों पर सपा को घेर लिया है. चाहे जातियों का समीकरण हो या फिर बूथ प्रबंधन. चाहे अपने रूठे नेताओं को मनाना हो या अपने वोटरों को बूथ तक ले जाना. BJP हर जगह सपा पर भारी पड़ती दिखाई दी है. जातियों के समीकरण की बात की जाए तो समाजवादी के कोर वोट बैंक में BJP सेंध लगाने में कुछ हद तक सफल दिखाई दी.

‘यादव’ वोटरों में सेंध

यादव वोटरों में भाजपा की सेंध लगती दिख रही है और इसका क्रेडिट रुदौली के भाजपा विधायक रामचंद्र यादव को जाता है. जिन्होंने इस चुनाव में यादव वोटर्स के बीच जबरदस्त मेहनत की. रुदौली के तीन बार के विधायक रामचंद्र यादव की पकड़ इस इलाके में है. इतना ही नहीं, मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को लेकर भी रामचंद्र, यादव बहुल इलाकों में घूमते रहे. इसके अलावा स्थानीय लेवल के यादव नेताओं को चुनाव से पहले BJP में जॉइनिंग कराई और माना जा रहा है कि उनकी मेहनत की बदौलत BJP कुछ हद तक यादव वोटरों में सेंध लगाने में सफल रही है.

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‘दलित’ वोटर्स का बंटवारा

इस बार दलित वोटों में भी विभाजन हुआ है. चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी से उम्मीदवार सूरज चौधरी को जाटव बिरादरी का कुछ वोट मिला है. जबकि दूसरे दलित बिरादरियों में BJP ने अपनी पकड़ बनाए रखी है.

ये भी पढ़ें: कौन हैं चंद्रभान पासवान, जिन्हें BJP ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए टिकट दिया है?

‘BJP’ vs ‘SP’ के बीच मुकाबला

सामान्य वर्ग के वोट परंपरागत तौर पर भाजपा के साथ दिखाई दिए. जबकि समाजवादी पार्टी अपने कोर वोट बैंक को संभालने में ज्यादा जद्दोजहद करती दिखाई दी. लड़ाई समाजवादी पार्टी और BJP में ही सिमट कर रह गई. आजाद समाज पार्टी ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की. लेकिन उनका वोट एक जाति विशेष के एक वर्ग तक ही सीमित दिखाई दिया.

कोर वोट बैंक पर भरोसा

बता दें कि मिल्कीपुर तीन ब्लॉक में बंटा है- हैरिंटिंगगंज, कुमारगंज और मिल्कीपुर ब्लॉक जिसका अमानीगंज सबसे बड़ा बाजार है. यादवों की संख्या यहां ज्यादा होने से BJP ने यहां ज्यादा मेहनत की है. समाजवादी पार्टी को यकीन है कि उनका अपना वोट बैंक उनके साथ मजबूती से खड़ा है. यादव, मुसलमान और दलित खासकर पासी समाज, यही नहीं समाजवादी पार्टी ने अपने जाटव नेताओं को भी इस चुनाव में प्रचार के दौरान खूब घुमाया.

वहीं, BJP की तरफ से नया पासी चेहरा देना लोगों को पसंद आया है. चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर के लिए नया चेहरा हैं और किसी भी विवाद से परे हैं. ऐसे में BJP के लिए ये चुनाव सपा के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद नजर आ रहा है. 

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