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फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में निधन

नहीं रहे मिल्खा.

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मिल्खा सिंह की फाइल फोटो.
कोविड-19 की चपेट में आने के 30 दिन बाद फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ज़िन्दगी की जंग हार गए हैं. पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का कोविड-19 की वजह से निधन हुआ था. और अब मिल्खा सिंह भी इस दुनिया में नहीं रहे. शुक्रवार रात उन्होंने PGIMER चंडीगढ़ में आखिरी सांस ली. चैम्पियन मिल्खा सिंह 20 मई को वायरस की चपेट में आए थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक परिवार के एक कुक के पॉज़ीटिव पाए जाने के बाद उनकी तबीयत भी अचानक से बिगड़ी थी. इसके बाद 24 मई को उन्हें मोहाली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. 30 मई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन तीन जून को फिर से ऑक्सिजन लेवल गिरने की शिकायत के चलते उन्हें PGIMER के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. इसके बाद बीते गुरुवार को मिल्खा की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बाद उन्हें कोविड ICU वार्ड से मेडिकल ICU वार्ड में शिफ्ट किया गया. लेकिन वहां पर फिर से तबीयत खराब होने की वजह से शुक्रवार को उनका निधन हो गया. निधन की जानकारी उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह ने दी. उन्होंने इंडिनय एक्सप्रेस को बताया कि
''पिताजी का देहांत हो गया है.''
भारत के लिए जीते ढेरों मेडल भारत के ग्रेट एथलीट रहे मिल्खा सिंह का जन्म 30 नवंबर, 1928 को पाकिस्तान के गोबिंदपुरा में हुआ था. वो भारत के पहले ऐसे एथलीट बने जिन्होंने ब्रिटिश एम्पायर के समय गोल्ड मेडल जीता. इतना ही नहीं 1958 कार्डिफ में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर पहली बार भारत का नाम किया. कॉमनवेल्थ गेम्स में बना उनका ये रिकॉर्ड 50 साल तक अकेले उनके नाम ही रहा. 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में कृष्णा पूनिया ने मिल्खा के इस रिकॉर्ड की बराबरी की. मिल्खा सिंह ने कार्डिफ कॉमनवेल्थ गेम्स में 400m रिले को 46.6 सेकेंड में पूरा करके साउथ अफ्रीका के मैल्कम स्पेंस को हराया था. Insta इसके अलावा मिल्खा सिंह ने भारत के लिए एशियन गेम्स में चार गोल्ड मेडल भी जीते. पहले 1956 के एशियन गेम्स में 200m और 400m रिले. इसके बाद 1962 एशियन गेम्स में 400m और 4X400m रिले में भी उन्होंने सोना अपने नाम किया था. लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा लम्हा आया 1960 रोम ओलम्पिक्स में. जब उन्होंने 400m फाइनल में मामूली से अंतर से मेडल गंवा दिया. ये एक बहुत नज़दीकी दौड़ थी जहाँ पहले चार स्थानों का फ़ैसला फ़ोटो फ़िनिश से हुआ. डेविस, कॉफ़मैन, स्पेंस और मिल्खा चारों ने 45.9 सेकेंड का पुराना ओलंपिक रिकार्ड तोड़ दिया. डेविस 44.9 सेकेंड के समय के साथ पहले स्थान पर आए. कॉफ़मैन का समय 44.9 रहा. स्पेंस का समय था 45.5. उन्हें कांस्य पदक मिला. जबकि मिल्खा ने 45.6 का समय निकाला जो उस समय के ओलंपिक रिकार्ड से बेहतर था लेकिन उन्हें चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा. Milkha1 बाद में मिल्खा सिंह का 45.6 सेकेंड का ये रिकॉर्ड परमजीत सिंह ने 1998 में तोड़ा. मिल्खा सिंह के परिवार में उनकी तीन बेटियां डॉ. मोना सिंह, अलीज़ा ग्रोवर, सोनिया संवलका और एक बेटा जीव मिल्खा सिंह है. जीव एक गोल्फर हैं और 14 बार के इंटरनेशनल विजेता भी रहे हैं.