किसान आंदोलन ज़ोरों पर है. तीन कृषि कानूनों का किसान जमकर विरोध कर रहे हैं. धरने पर हैं. दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. विरोध के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. नोएडा में कुछ लोगों ने भैंस के आगे बीन बजाकर प्रोटेस्ट किया.
कृषि कानूनों का विरोध करते-करते ये भैंस के आगे बीन क्यों बजाने लगा?
भारत बंद से पहले विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं

एक मुहावरा है 'भैंस के आगे बीन बजाना'. इसका मतलब होता है, किसी ऐसे व्यक्ति से कुछ कहना या समझाना, जो कभी कुछ समझ ही नहीं सकता, या जिस पर किसी बात का कुछ असर न हो. किसान प्रोटेस्ट में शामिल लोग अब इसी मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए प्रतीकात्मक विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि तीन कृषि कानून सरकार वापस ले. वो लगातार सरकार से कह रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई हल नहीं निकाला गया है. तो अब आप समझ ही सकते हैं कि यहां प्रदर्शनकारी भैंस के ज़रिए किस पर कटाक्ष कर रहे हैं.
12 दल कर रहे किसानों आंदोलन का सपोर्ट
किसान आंदोलन का 12 से ज्यादा दलों ने समर्थन कर दिया है. किसानों के साथ सरकार की 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद, किसानों ने मंगलवार 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है.
समाजवादी पार्टी ने सोमवार को किसान आंदोलन के सपोर्ट में सड़कों पर उतरने की कोशिश की. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव कन्नौज में किसान मार्च करने जाने वाले थे लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. लखनऊ में अखिलेश के घर के बाहर ही उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
सरकार क्या कह रही है?
बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा-
हम आज कांग्रेस, NCP से किसान सुधारों पर उनके बेशर्मी भरे दोहरे मापदंड पर जवाब चाहते हैं. जो मोदी सरकार ने किया है, ये दल अपनी सरकार वाले राज्यों में वही कर रहे थे. आज उनका राजनैतिक वजूद खतरे में है. वो अपनी जमीन खोते जा रहे हैं. किसान अपने आंदोलन को अराजनैतिक रखना चाहते हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ वहां अपना भाग्य आजमाने पहुंच गई हैं.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मनमोहन सिंह से लेकर राहुल गांधी और योगेंद्र यादव को मौके के हिसाब से पलट जाने वाला बताया. उनका कहना था कि ये पहले कुछ और कह रहे थे, और अब कुछ और बोल रहे हैं.