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शहीद हुए कमांडो की बहन की शादी में पहुंचे100 कमांडो और फिर दुनिया देखती रह गई

अपने साथी कमांडो की बहन को ज़मीन पर पांव तक नहीं रखने दिए.

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शहीद ज्योति प्रकाश निराला के साथी कमांडो ने विदाई के समय दुल्हन के पांव जमीन पर नहीं पड़ने दिया.
3 जून को बिहार में एक शादी थी. सोशल मीडिया में इसकी खूब चर्चा हो रही है. ये शादी शहीद गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की बहन की थी. निराला दो साल पहले शहीद हो गए थे. उनकी शहादत के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में बहन की शादी का जिम्मा उठाया निराला के साथियों ने. 100 कमांडो ने चंदा इकट्ठा किया. और निराला की बहन शशिकला की धूमधाम से शादी करवाई. खुद शादी में शामिल हुए.
शशिकला की शादी बिहार के पाली रोड डेहरी के रहने वाले सुजीत कुमार से हुई. इन कमांडो ने विदाई के समय दुल्हन के पांव जमीन पर नहीं पड़ने दिया. जहां-जहां दुल्हन के पांव पड़ते थे, उससे पहले शहीद के मित्र जवानों ने अपने हथेली बिछा दी. वायुसेना के गरुड़ कमांडो की हथेलियों पर पांव रखकर शहीद की बहन विदा हुई. शहीद के पिता हैं तेजनारायण सिंह. उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का सबसे यादगार समय बताया. कहा कि निराला के साथियों ने एक बहन को उसके भाई की कमी महसूस नहीं होने दी.

कौन हैं ज्योति प्रकाश निराला

18 नवंबर 2017 की बात है. जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले के चंदरनगर गांव में कुछ आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इन आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने का जिम्मा राष्ट्रीय राइफल्स के पास था. राष्ट्रीय राइफल्स की टुकड़ी में इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडोज भी होते हैं. गरुड़ कमांडो वायुसेना की एक टुकड़ी है, जो जमीन पर चल रहे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाती है. राष्ट्रीय राइफल्स के जवान और गरुड़ कमांडोज की टीम मौके पर पहुंची. इस टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे ज्योति प्रकाश निराला.
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गरुड़ कमांडो वायुसेना की एक टुकड़ी है, जो जमीन पर चल रहे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाती है. ज्योति प्रकाश इसी टीम का हिस्सा थे.

जवानों ने चारों तरफ से उस घर को घेर लिया जहां आतंकवादी छिपे थे. निराला उस घर के एकदम पास में घात लगाकर खड़े हो गए. जवानों ने आतंकवादियों को आत्मसमर्पण के लिए कहा. लेकिन आतंकियों ने गोली चला दी. सेना के जवानों की ओर से भी फायरिंग हुई. छह आतंकवादी फायरिंग करते हुए घर से भागने की कोशिश करने लगे. आतंकियों की गोली ज्योति प्रकाश निराला को भी लग गई. ज्योति प्रकाश ने भी गोलियों और हथगोलों से आतंकियों पर हमला कर दिया. अकेले ही तीन आतंकियों को मार गिराया. इस दौरान आतंकियों की गोली लगने की वजह से वो शहीद हो गए. श्रीनगर में इसी ऑपरेशन के दौरान सेना की तरफ से की गई कार्रवाई में आतंकी मसूद अजहर का भतीजे तल्हा रशीद मारा गया था.
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निराला इंडियन एयरफोर्स के पहले ऐसे जवान थे, जिन्हें ग्राउंड ऑपरेशन के लिए अशोक चक्र से सम्मान दिया गया था.

ज्योति प्रकाश निराला की बहादुरी के किस्से राष्ट्रीय राइफल्स के साथ ही इंडियन एयरफोर्स के लिए भी मिसाल बन गई. शहादत के बाद सरकार ने उन्हें अशोक चक्र सम्मान से सम्मानित करने के लिए चुना. जब देश की किसी दूसरे देश से लड़ाई नहीं चल रही होती है, तो इस दौरान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता और बलिदान के लिए जो सबसे बड़ा सम्मान दिया जाता है, वो अशोक चक्र है. इसे मरने के बाद भी दिया जाता है. निराला इंडियन एयरफोर्स के पहले ऐसे जवान थे, जिन्हें ग्राउंड ऑपरेशन के लिए ये सम्मान दिया गया.
निराला को अशोक चक्र से सम्मानित करते समय राष्ट्रपति भावुक हो गए थे.
निराला को अशोक चक्र से सम्मानित करते समय राष्ट्रपति भावुक हो गए थे.

ज्योति प्रकाश निराला बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले थे. 31 साल की उम्र में उनकी शहादत के बाद परिवार में बूढ़े मां-बाप हैं. इसके अलावा उनकी पत्नी और एक बेटी भी है. शहीद निराला की तीन बहनें हैं. 26 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी को ये सम्मान सौंपा. सम्मान देते हुए राष्ट्रपति भावुक हो गए थे. उनकी आंखो से आंसू आ गए थे.

क्या होते हैं गरुड़ कमांडो

साल 2001 में जम्मू-कश्मीर के एयरफोर्स के दो बड़े बेस पर आतंकी हमला हुआ था. ऐसे हालात में हथियारबंद फोर्सेस के पहुंचने में वक्त लगता है. अब उस समय एयरफोर्स स्टैबलिशमेंट की सुरक्षा कौन करे, तो एयरफोर्स को ऐसी फोर्स की जरूरत महसूस हुई, जो हमले, बचाव और क्रिटिकल हालात में दुश्मन को तुरंत जवाब दे सके. ऐसे कमांडो, जो आर्मी की तरह काम कर सकें और आतंकियों से लड़ सकें. अक्टूबर 2002 में इस प्लान पर काम शुरू हो गया और 2004 तक फोर्स बन गई. पहले इसका नाम ‘टाइगर फोर्स’रखा गया था, जिसे बाद में ‘गरुड़ फोर्स’ कर दिया गया. हिंदू मान्यताओं में गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन बताए गए हैं.
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जैसे आर्मी के पास पैरा कमांडोज़ होते हैं, नेवी के पास मारकोज़ होते हैं, उसी तरह एयरफोर्स के पास गरुड़ कमांडोज़ हैं. ये डायरेक्ट एक्शन ले सकते हैं, हवाई हमला कर सकते हैं, स्पेशल ऑपरेशन चला सकते हैं, ज़मीनी लड़ाई लड़ सकते हैं, विद्रोह संभाल सकते हैं, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन भी कर सकते हैं. ये वॉर-टाइम और पीस-टाइम, दोनों वक्त में काम आते हैं.


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