खैर, सोसाइटी के मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि वो चाइल्ड मैरिज को ख़त्म करना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि बेटियों को पढ़ाने के लिए लोग अपनी बेटियों की शादी में देरी करेंगे.वाह रे अक्ल! जहां लोग वैसे भी अपनी बेटियों को पढ़ने नहीं देते, वो अब और नहीं पढ़ने देंगे. हमारे यहां बेटी के कॉलेज का पैसा बाद में जुटाया जाता है, पहले उनकी शादी के गहने जुटाए जाते हैं. ऐसे में अगर आप उनसे कहेंगे कि हम शादी वाली लड़कियों को पढ़ाएंगे नहीं, वो बड़ा प्रेरित होंगे बेटियों को पढ़ाने के लिए! ये बात सही है कि तेलंगाना में ऐसे कॉलेजों में लड़कियों का पढ़ना, रहना, खाना, सब फ्री रहता है. और लगभग ढाई सौ से ज्यादा कॉलेजों में ऐसी 4 हजार जो लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने के लिए प्रेरित करता है. मगर ये बात भी समझनी ज़रूरी है शादी करवाने की अनिवार्यता ऐसी है कि लोग कभी पढ़ाई के लिए शादी से कॉम्प्रोमाइज़ नहीं करते. दूसरी बात ये कि हो सकता है कुछ लड़कियां अपनी मर्ज़ी से शादी कर रही हों. किसी भी तरह के व्यक्ति से किसी भी तरह से पढ़ने का हक छीनना उनका अधिकार छीनना है.
अगर बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित ही करना है, तब तो शादीशुदा लड़कियों को डिस्काउंट में पढ़ाना चाहिए. ताकि वो शादी के बाद भी अपने अधिकार न भूलें, किसी तरह के हैरेसमेंट का शिकार न हों.एक्टिविस्टों की मानें तो यहां कई नाबलिग लड़कियों की शादी की जाती है. ऐसे में अगर इन लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया गया, तो जाने कितनी लड़कियां अनपढ़ रह जाएंगी. और हां. हर अच्छी यूनिवर्सिटी में आपको 'मैरिड वीमेन' हॉस्टल अलग से मिलते हैं.
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