The Lallantop

सिनेमा हॉल में Badhai Do देखने गए युवक ने होमोफोबिक बुली की बोलती बंद कर दी!

घटना नई दिल्ली के एक थिएटर की है

Advertisement
post-main-image
लड़के ने थिएटर में खड़े हो कर बोल दिया, 'गे हूं..बोल कोई दिक्कत है'
11 फरवरी को रिलीज़ हुई फिल्म ‘बधाई दो'.  होमोसेक्शुएलिटी और उसके इर्द-गिर्द पाए जाने वाले स्टिग्मा की बात करती है. इस फिल्म में राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर लीड रोल में हैं. फ़िल्म किसी OTT प्लैटफ़ॉर्म पर रिलीज़ नहीं हुई है, थिएटर में हुई है.
एक सेम-सेक्स कपल दिल्ली के एक थिएटर में फिल्म देखने गए. वे फिल्म देखने के लिए उत्सुक थे, लेकिन थिएटर में कुछ होमोफोबिक कॉमेंट्स की वजह से निराश हो गए. इसके बाद जो हुआ, वो चौंकाने वाला है. पूरी कहानी क्या है? बधाई दो अलग-अलग कारणों से चर्चा में बनी हुई है. लैवेंडर मैरिज

, समलैंगिकता और भारतीय समाज का डायलॉग और सबसे ज़रूरी फ़िल्म का प्रेसेंटेशन. हमारे यहां बन रहे मेनस्ट्रीम कॉन्टेंट ड्रिवन सिनेमा में पहले किसी भी टॉपिक का मज़ाक उड़ाया जाता है, फिर उसकी गंभीरता समझाई जाती है. जो कि किसी भी विषय पर बात करने का टॉक्सिक तरीका है. हर्षवर्धन कुलकर्णी डायरेक्टेड ‘बधाई दो’ ये नहीं करती.

इसी वजह से इसका इम्पैक्ट ज़्यादा होता है.
बधाई दो का एक सीन

‘बधाई दो’ की कहानी है उत्तराखंड के शार्दुल ठाकुर नाम के एक पुलिसवाले और स्कूल में फिज़िकल एजुकेशन टीचर सुमन सिंह की

हालांकि, आज मामला फ़िल्म के बारे में नहीं है. फ़िल्म देखने गए दो लोगों और उनके साथ घटे अनुभव का है. दिल्ली के सेम सेक्स कपल अग्निवा और प्रियांजुल जौहरी बधाई दो देखने थिएटर में गए. जौहरी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट किया जिसमें बताया कि फ़िल्म देखने आए कुछ लोगों ने अभद्र टिप्पणियां कीं. पहले आप प्रियांजुल का वो पोस्ट पढ़ लीजिए फिर आगे बताते हैं. प्रियांजुल ने अपने पोस्ट में लिखा,
"बधाई दो, देखने जिस थिएटर में हम गए थे, वहां हमारा झगड़ा हो गया. हमसे आगे वाली रो में 10 लोगों का ग्रुप बैठा था. लड़के और लड़कियां दोनों थे. उन्हें सेम सेक्स कपल के सीन्स हज़म नहीं हो रहे थे.
'अरे! मैं तो गलत मूवी देखने आ गई', 'पहले क्यों नहीं बताया तूने कि ये सब होगा इसमें', 'तुझे बड़े मज़े आ रहे हैं.. तू भी इस कैटेगरी में है क्या?' वो लगातार कमेंट कर रहे थे.
सामने की सीट पर एक व्यक्ति राजकुमार और भूमि के सीन्स पर बहुत भद्दे कॉमेंट्स कर रहा था. 'ओय होय! मज़ा आ गया.. एक किस हो जाए.'
मैं क्या करता! अग्नि ने मुझे शांत रहने के लिए कहा. फिर राजकुमार राव के किरदार का मोनोलॉग आया. जब वह अपनी सेक्शुऐलिटी के बारे में कन्फ्रंट करता है. मुझे वो सीन देखकर रोना आ गया. पूरे हॉल में शांति थी. मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और ताली बजाने लगा. चिल्लाने लगा.
अगली सीट वाले ने टिप्पणी की, 'ये पक्का गे होगा!'
अब बहुत हो गया था. मैं अपनी सीट पर खड़ा हुआ और चिल्लाया, "हां ब्रो, गे हूं! अपने बंदे के साथ आया हूं. 4 साल से रिलेशनशिप में हूं. दोनों के घर पर भी पता है. बोल.. कोई दिक्कत है?"
आपने घटनाक्रम पढ़ लिया. काफ़ी हीरोइक था, नहीं? एकदम फ़िल्मी. लेकिन जो इसके आगे हुआ वो और फ़िल्मी है. बिल्कुल क्लाइमैक्स जैसा. प्रियांजुल ने आगे लिखा,
"सब ने मुझे चिल्लाते हुए सुना. पूरा थिएटर घुप्प सन्नाटे में चला गया. और कुछ सेकंड्स बाद, सब अचानक से ताली बजाने लगे. पूरा थिएटर मेरे लिए चीयर कर रहा था, ताली बजा रहा था. और बेस्ट पार्ट ये कि अगली सीट पर बैठा हुआ वह व्यक्ति पूरी पिक्चर के दौरान कुछ नहीं बोला. आगे बैठे वो 10 लोग भी बची हुई फ़िल्म के दौरान शांत रहे."
सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. इसके अनुसार आपसी सहमति से दो व्यस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाएगा....लेकिन इसके बावजूद अभी भी हमें समलैंगिक संबंधों की खुले में स्वीकार्यता को लेकर एक लंबा सफ़र तय करना है. बतौर समाज हमें प्रेम और प्रेम के सभी रंगों को जगह देने और सेलिब्रेट करने की ज़रूरत है, जिससे कि इस तरह की चीजों को नॉर्मल तरह से लिया जा सके और इन्हें इतने हीरोइक मोमेंट्स से डिफ़ाइन करने की ज़रूरत ही न पड़े.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement