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'गांधी-अंबेडकर की मूर्तियों को... ', संसद परिसर में ऐसा क्या कर दिया गया जो कांग्रेस भड़क गई?

New Parliament building के मेन गेट के पास से महात्मा गांधी और BR Ambedkar सहित 15 मूर्तियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. इन मूर्तियों को 'प्रेरणा स्थल' पर स्थापित किया गया है. विपक्षी पार्टियों ने इस शिफ्टिंग पर सवाल उठाए हैं.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया.

संसद भवन के मेन गेट के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने सांसद असहमति या विरोध जताने के लिए इकट्ठा होते रहे हैं. लेकिन अब इस प्रतिमा को परिसर में स्थित 14 दूसरी मूर्तियों के साथ शिफ्ट कर दिया गया है. और 'प्रेरणा स्थल' नाम के एक स्थान पर स्थापित किया गया है. जिसका उद्घाटन 16 जून को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्घाटन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि 'प्रेरणा स्थल' विजिटर्स के लिए प्रेरणादायक है. उन्होंने 1989 में पहली बार सांसद बनने के बाद से संसद परिसर में हुए बदलावों को भी याद किया. इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि यह निर्णय लोकसभा द्वारा लिया गया है. जिसके संचालन में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है.

ओम बिड़ला ने कहा कि गांधी और अंबेडकर की मूर्तियों सहित सभी 15 मूर्तियों को एक ही स्थान पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. ताकि विजिटर्स महान नेताओं के जीवन के बारे में जान सकें. और इनका रखरखाव भी ठीक से होगा. उन्होंने ये भी कहा कि यह निर्णय सभी स्टेकहोल्डर्स से सलाह के बाद लिया गया है. 

विपक्ष ने संसद के मेन गेट के पास प्रमुख जगहों से मूर्तियों को हटाने के लिए सरकार पर निशाना साधा है. ओम बिड़ला के दावे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा, 

चित्र और प्रतिमाओं पर संसद की समिति की आखिरी बैठक 18 दिसंबर, 2018 को हुई थी और लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, 17वीं लोकसभा में 2019 से 2024 तक इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है.

जयराम रमेश ने मूर्तियों की जगह बदलने पर निशाना साधते हुए आगे लिखा,

आज, संसद परिसर में बड़े पैमाने पर मूर्तियों को स्थानांतरित किया रहा है. यह स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ शासन द्वारा लिया गया एकतरफा निर्णय है. इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और डॉ.अंबेडकर की मूर्तियों को संसद की उस जगह से दूर हटाना है जहां बैठक होती है. दरअसल ये मूर्तियां ही शांतिपूर्ण, वैध और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध दर्ज करने के पारंपरिक स्थल थे.

 

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वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बयान में कहा कि महान नेताओं की मूर्तियों को मनमाने और एकतरफा ढंग से प्रमुख स्थानों से हटा दिया गया है. उन्होंने कहा,  

बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है. महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्तियों को प्रमुख स्थानों पर और अन्य प्रमुख नेताओं की मूर्तियों को अन्य उचित स्थानों पर उचित विचार-विमर्श के बाद स्थापित किया गया था. संसद भवन परिसर में प्रत्येक मूर्ति और उसकी जगह बड़ा महत्व रखती है.

पिछले कुछ सालों के दौरान विपक्ष और सत्तापक्ष के सांसद, संसद भवन के सामने गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठते रहे हैं. अब इन मूर्तियों को पुराने संसद भवन के पास लाइब्रेरी बिल्डिंग के पीछे स्थापित किया गया है. महात्मा गांधी और डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां पुराने संसद भवन के गेट नंबर 7 के पास स्थापित की गई हैं. इससे पहले 2021 में जब नया संसद भवन बन रहा था, तब गांधी प्रतिमा को नए भवन के बाहर एक हरे भरे एरिया में शिफ्ट किया गया था.

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