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सालों पहले गुम हुआ व्यक्ति, शिवसेना के पोस्टर में दिखा, परिवार कह रहा ढूंढ के लाओ, चक्कर में पड़ी पार्टी!

Maharashtra: तीन साल पहले गुमशुदा व्यक्ति की तस्वीर 'CM Teerth Darshan Yojana' के पोस्टर पर दिखी. व्यक्ति के परिवार को पता चला तो उन्होंने Eknath Shinde से उन्हें खोजने में मदद करने की मांग की है. हालांकि Shiv Sena ने अपना पोस्ट डिलीट कर लिया है. अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है.

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तांबे 2021 के बाद से अपने घर नहीं लौटे हैं. (तस्वीर: सोशल मीडिया)

ज्ञानेश्वर विष्णु तांबे साल 2021 में पुणे के शिरुर तालुका स्थित अपने घर से निकले थे. इसके बाद उनके परिवार ने उन्हें कभी नहीं देखा. ना ही उनके बारे में कुछ सुना. लेकिन 20 जुलाई को उनके परिवार को शिवसेना (Shiv Sena) के इंस्टाग्राम हैंडल पर एक ऐड दिखा. उस ऐड के पोस्टर में तांबे की तस्वीर लगी थी. तांबे की तस्वीर को देखकर उनके परिवार में उनके फिर से मिलने की उम्मीद जताई है.

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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े चंदन हेगुंडे और आतिख रशीद की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना (CM Teerth Darshan Yojana) शूरू की. इसके तहत राज्य और बाहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए वरिष्ठ नागरिकों को 30 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी. राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में राज्य सरकार और CM एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) इस योजना का जोरदार प्रचार कर रहे हैं. विज्ञापन छपवाए जा रहे हैं. ऐसे ही एक विज्ञापन में तांबे की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि बाद में इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया.

CM Eknath Shinde से मदद की मांग

तांबे के बेटे भरत ने बताया है कि उनके किसी दोस्त ने उन्हें इस ऐड का स्क्रीनशॉट भेजा था. जिसे देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ. भरत, वरुडे गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर शिकरपुर में एक भोजनालय चलाते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे से मांग की है कि उनके पिता को ढूंढ़कर वापस लाने में मदद की जाए. उन्होंने कहा कि अब उन्हें पक्का पता है कि उनके पिता जीवित हैं और स्वस्थ हैं. अब उनके परिवार की उम्मीद बढ़ गई है कि वो मिल जाएंगे. 

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20 जुलाई की रात को तांबे की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई. शिकारपुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर दीपरतन गायकवाड़ ने बताया कि तांबे की तलाश शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि तांबे के परिवार ने इससे पहले कभी ज्ञानेश्वर तांबे के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी.

पुलिस ने क्या कहा?

पुलिस उपाधीक्षक प्रशांत ढोले ने कहा कि तांबे आखिरी बार दिसंबर 2021 में कोविड-19 के दौरान घर से निकले थे. वो पहले भी कई बार ऐसे ही घर से निकल जाते थे. लेकिन हर बार वापस भी आ जाते थे. इसलिए परिवार को लगा था कि वो खुद ही लौट आएंगे. लेकिन लंबा समय हो गया तो उन्होंने उम्मीद छोड़ दी. ढोले ने परिवार के सदस्यों के हवाले से बताया कि तांबे घर से निकलने के बाद अक्सर तीर्थ स्थलों पर जाते थे. उन्हें संदेह है कि वो ‘वारी जुलूस’ में गए होंगे. और यहीं उनकी तस्वीर खींची गई होगी.

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राजनीतिक बयानबाजी

इस बीच इस मसले पर राजनीति भी गरमाने लगी है. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने X पर लिखा है,

"(राज्य) सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को देव दर्शन कराने की योजना शुरू की है. मुख्यमंत्री योजना का प्रचार-प्रसार करते हैं. अगर आपने काम किया है तो आपको अच्छा विज्ञापन करना चाहिए. लेकिन झूठ बोलने के प्रति सचेत रहना चाहिए. CM द्वारा इस योजना के विज्ञापन में तीन साल पहले लापता हुए वरिष्ठ नागरिक तांबे की फोटो का इस्तेमाल करना, कई सवाल खड़े करता है. इस विज्ञापन से तांबे परिवार को कितना नुकसान होगा? प्रदेश के नागरिकों की तस्वीरों का अवैध इस्तेमाल एक बड़ा अपराध है. इंटरनेट और सोशल मीडिया से किसी व्यक्ति की तस्वीरें डाउनलोड करना और उन्हें बिना अनुमति के विज्ञापनों में इस्तेमाल करना गंभीर मामला है."

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पोस्ट डिलीट कर दिया गया

वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने इससे इनकार किया है. सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशक की ओर से इस बारे में एक बयान जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट से ऐसा विज्ञापन पोस्ट नहीं किया गया है.

शिवसेना ने अपने इंस्टा हैंडल से इस पोस्ट को डिलीट कर दिया है. पार्टी के प्रवक्ता नरेश म्हास्के ने कहा कि जहां तक उन्हें पता है, ये ऐड सरकार की ओर से था. लेकिन अगर इस पोस्टर को पार्टी के सोशल मीडिया टीम ने डिजाइन किया था, तो वो इस फोटो के स्रोर्स का पता लगाने की कोशिश करेंगे. ताकि तांबे को खोजा जा सके.

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