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'प्रेमचंद जैसा हाल न हो... ' तो इसलिए महाराष्ट्र में अब मैथ्स में 20 नंबर लाने वाले भी पास हो जाएंगे

Maharashtra में नया नियम आया है. कहा गया है कि 10वीं के बच्चों के मैथ्स (गणित) और साइंस (विज्ञान) में 20 नंबर भी आ गए तो उन्हें पास कर दिया जाएगा. सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

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फैसले को फैसले को स्कूल शिक्षा विभाग से मंजूरी मिल चुकी है (सांकेतिक फोटो- इंडिया टुडे)

महाराष्ट्र में 10वीं क्लास के छात्र अब एग्जाम में 20 मार्क्स पाकर भी पास हो जाएंगे (Maharashtra 10th Class Passing Marks). नया नियम आया है. कहा गया है कि 10वीं के बच्चों के मैथ्स और साइंस में 20 नंबर भी आ गए तो उन्हें पास कर दिया जाएगा. यानी पासिंग मार्क्स को 35 से कम करके 20 कर दिया गया है. ये फैसला महाराष्ट्र स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) ने लिया है.

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नए फैसले में एक ट्विस्ट भी है. बोर्ड कम मार्क्स वाले छात्रों को पास तो कर देगा, लेकिन उन्हें मैथ्स और साइंस में हायर एजुकेशन लेने की परमिशन नहीं दी जाएगी. मतलब ये कि अगली क्लास में जाकर वो ये दो सब्जेक्ट्स नहीं चुन सकेंगे. 11वीं क्लास में वो इन दो सब्जेक्ट्स के आलावा कोई भी और सब्जेक्ट चुन सकते हैं.

पासिंग मार्क्स कम करने की क्या वजह?

इस कदम का मकसद आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज जैसे सब्जेक्ट्स को पढ़ने में रुचि रखने वाले छात्रों की मदद करना है, जो 10वीं क्लास में पासिंग मार्क्स लाने में असफल होने पर पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं. कहा जा रहा है कि ये फैसला कम मार्क्स लाने वाले छात्रों को फ्लेक्सिबिलिटी देगा. उनके पास ऑप्शन होगा कि या तो वो कम मार्क्स के साथ अगली क्लास में जाकर दूसरा सब्जेक्ट लें. या फिर बेहतर रिजल्ट के लिए दोबारा एग्जाम दें.

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महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी ने कहा कि राज्य भर में नया पाठ्यक्रम लागू होने पर पासिंग मार्क्स में बदलाव भी लागू कर दिया जाएगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, SCERT के निदेशक राहुल रेखावार ने कहा कि ये बदलाव स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से पहले से अप्रूव्ड नए पाठ्यक्रम का हिस्सा है. बोले,

मैथ्स या साइंस में फेल होने पर अक्सर छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने का कोई अवसर नहीं मिलता है. भले ही वो किसी और सब्जेक्ट में अच्छे हों. ये बदलाव सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को गलत तरीके से सिस्टम से बाहर नहीं किया जाए.

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आगे बोले,

ऐसे छात्र हैं जो मैथ्स नहीं समझ सकते. मुंशी प्रेमचंद और हरि नारायण आप्टे जैसे कई महान लेखकों ने गणित के चलते अपनी पढ़ाई छोड़ दी. इसलिए अगर कोई छात्र कला सीखना चाहता है, तो उन्हें विज्ञान और गणित लेने के लिए क्यों मजबूर किया जाए जिसमें उनकी कोई योग्यता नहीं है?

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नए फैसले पर शिक्षाविदों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. कई लोग इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ आलोचकों का तर्क है कि ये शैक्षिक मानकों से समझौता कर सकता है.

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